
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के सरकारी खजाने की हालत बेहद चिंताजनक बनी हुई है। हालत यह है कि अगर सरकार को कर्ज मिलना बंद हो जाए तो विकास कामों के साथ ही सरकार के कई तरह के अन्य जरुरी खर्च के लिए सरकार के पैसा ही नहीं रहेगा। यही वजह है कि बीते डेढ़ साल में 510 अरब का कर्ज ले चुकी है। इस स्थिति के बाद भी सरकारी फिजूलखर्चाें पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा है। सरकार ने यह कर्ज 32 बार में लिया है।
सरकार का दावा है कि यह कर्ज उसके द्वारा तमाम प्रदेश की योजनाओं और विकास से जुड़े के कामों के लिए लिया है। सरकार ने बीते माह ही नया कर्ज दो हजार करोड़ का लिया है। इस नए कर्ज को मिलाकर अब तक प्रदेश सरकार पर ढाई लाख करोड़ रुपए का कर्जा हो चुका है। इसकी वजह से हालात यह हो चुके हैं कि हर साल प्रदेश सरकार को 15 हजार करोड़ रुपए से अधिक का ब्याज और इतनी ही राशि मूलधन के रुप में चुकानी पड़ रही है।
वित्त विभाग की अंतरिम रिपोर्ट में राज्य शासन के कर्ज से जुड़ा रिकॉर्ड है। वित्त नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने प्रदेश के लिए वर्ष 2021-22 के अंतिम लेखे तैयार नहीं किए है। बजट के पुनरीक्षित अनुमान में वर्ष 2022 तक ढाई लाख करोड़ तक कर्ज रहेगा। भाजपा की सरकार पिछले साल 23 मार्च 2020 को बनी थी। इसके बाद हर महीने लगभग दो बार कर्ज लिया गया है। अच्छी बात यह है कि इस साल के शुरूआती छह माह में सरकार ने बीते साल की तुलना में बेहद कम कर्ज लिया है, लेकिन माना जा रहा है कि तमाम सरकारी योजनाओं के लिए शेष वित्त वर्ष में सरकार द्वारा तेजी से कर्ज लिया जाएगा।
क्या कहते हैं आंकड़े
सरकारी वित्तीय आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2020 में 2250 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था। इसके बाद अगले ही महीने अप्रैल में दो हजार करोड़, मई में दो हजार करोड़, जून में एक हजार करोड़, जुलाई में दो हजार करोड़, अगस्त में दो हजार करोड़, सितंबर में दो हजार करोड़, अक्टूबर में तीन हजार करोड़, नवंबर में चार हजार करोड़, दिसंबर में चार हजार करोड़ रुपए कर्ज लेना पड़ा था। शासन ने वर्ष 2021 में कुल 11 बार लोन लिया था। जनवरी में दो हजार करोड़, फरवरी में 11 हजार करोड़, मार्च में 10,572 करोड़, जुलाई में दो हजार करोड़ और सितंबर में दो हजार करोड़ कर्ज लिया गया है।