
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। दमोह विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की करारी हार के बाद अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने हर हाल में खंडवा लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने की रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि इन दिनों चौहान वीडी के अलावा संगठन के प्रमुख नेताओं से लेकर मंत्री तक लगातार इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों के दौरे कर रहे हैं। इस दौरान उन इलाकों पर विशेष रुप से फोकस किया जा रहा है जहां पर आदिवासियों की संख्या अधिक हैं। दरअसल इस लोकसभा सीट पर इस वर्ग की संख्या छह लाख से अधिक है। यही वजह है कि बीते एक माह में मुख्यमंत्री तीन बार जनदर्शन कार्यक्रम कर चुके हैं तो वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा खुद भी दौरा कर चुके हैं। इस सीट को अब तो अब स्वयं जीत के लिए नाक का सवाल बना लिया है। यही वजह है कि बीते रोज इस संसदीय इलाके में मुख्यमंत्री सहित उनके पांच कैबिनेट मंत्री प्रवास करते नजर आए। अपने इस प्रवास में मुख्यमंत्री ने भीकनगांव के झिरन्या को नगर परिषद बनाने और उद्वहन सिंचाई परियोजना की घोषणा की। यह क्षेत्र इलाके में आदिवासी मतदाताओं का बड़ा गढ़ है। इससे पहले भी वे पंधाना के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में रैली व सभाएं कर चुके हैं। इससे यह तो तय हो गया है कि भाजपा इस सीट पर आदिवासी मतदाताओं के भरोसे चुनाव जीतने की रणनीति पर अमल कर रही है।
बीते रोज प्रवास के समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भीकनगांव व झिरन्या में न केवल आमसभा की, बल्कि रोड शो भी किया। इस दौरान उनके द्वारा झिरन्या को नगर परिषद बनाने, सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति व सड़क-पेयजल कार्यों के लिए राशि स्वीकृत कराने की घोषणा की गई। पूरे लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं के हर एंगल को परखा जा रहा है। इस लोकसभा के तहत आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें आदिवासी समुदाय के मतदाताओं का आंकड़ा 6 लाख से अधिक है। इनमें से तीन विधानसभा क्षेत्र तो इसी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इन तीन पर विशेष दारमोदार बना हुआ है। इसके पहले आदिवासी समुदाय को परखने का काम कमलनाथ भी कर चुके हैं। इसके लिए उनके द्वारा बड़वानी में सम्मेलन भी किया जा चुका है। इस वजह से ही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी इसी लोकसभा क्षेत्र के आदिवासी बहुल पंधाना में पूरा दिन दिया है। बीते रोज जब मुख्यमंत्री झिरनिया व भीकनगांव के आदिवासी बेल्ट में पहुंचे, तो वे छोटे -छोटे गांव में भी जाने से नहीं रुके। इस दौरान उनके द्वारा कार्यकतार्ओं को खुश करने के लिए उनके साथ फोटो खिंचवाना भी नहीं भूले। इससे साबित होता है कि वे लोकसभा का उपचुनाव कितनी बारीक रणनीति से लड़ने जा रहे हैं।
यह शिवगण रहे सक्रिय
प्रदेश सरकार के पांच कैबिनेट मंत्रियों में शामिल नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, कृषि मंत्री कमल पटेल और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर बीते रोज खंडवा लोकसभा क्षेत्र में प्रवास कर रहे थे। मंत्री पटेल और तोमर तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र के रोड शो व आमसभा के दौरान साथ थे। मंत्री डंग ने खंडवा भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं व संगठन पदाधिकारियों की बैठक लेकर रायशुमारी की। मंत्री सिलावट ने बुरहानपुर के नेपानगर तो मंत्री यादव ने विभागीय गतिविधियों सहित पंधाना का दौरा किया।
वीडी भी कर चुके हैं दौरा
इसके पहले वीडी शर्मा अलीराजपुर , जोबट , बुरहानपुर और खंडवा का दौरा कर चुके हैं। उनका यह दौरा चार दिनों का था। इस इलाके के आदिवासी मतदाताओं पर खास फोकस करने की एक और अन्य वजह है जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन यानि जयस। इस संगठन द्वारा अचानक खंडवा लोकसभा और जोबट विधानसभा सीट पर सक्रियता बढ़ा दी गई है। जयस दोनों सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुका है। इन दोनों ही सीटों पर आदिवासी वोट निर्णायक माने जाते हैं। यही वजह है कि जयस के चुनाव लड़ने की स्थिति में भाजपा और कांग्रेस दोनों को नुकसान होना तय है। कहा जा रहा है कि जयस जोबट सीट पर नीतेश अलावा को प्रत्याशी बना सकता है।
प्रत्याशी नहीं बल्कि शिव व नाथ होंगे चेहरा
इस संसदीय सीट पर फिलहाल यह तो तय हो चुका है कि इस सीट पर भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी महज मोहरा होंगे। उन्हें मैदान में उतारा तो जाएगा, लेकिन मुख्य चेहरा शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ का ही होगा। संघ के मंथन में भी यह साफ हो चुका है मध्यप्रदेश में चुनावी सफलता के लिए आदिवासी समुदाय का साथ होना जरूरी है। उसे पता है कि प्रदश में मुस्लिम मतदाताओं से साथ तो मिल नही सकता है। यही वजह है कि इस इलाके में भी आदिवासी मतदाताओं पर पूरा फोकस किया जा रहा है। यह बात अलग है कि इलाके में पैठ जामने में भाजपा की राह में सबसे बड़ी मुश्किल महंगाई और एक समुदाय बड़ा रोड़ा बने हुए हैं। यही वजह है कि इससे पार पाने के लिए मोदी और हिंदुत्व से इस खाई को पाटने की भी रणनीति बनाई जा चुकी है। इसका उपयोग ऐन वक्त पर भाजपा पैंतरा बदल कर करने की तैयारी में है।