मोदी के साथ शिव मप्र की 21%आबादी को साधेंगे

मोदी-शिव

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जनजातीय गौरव दिवस के बहाने प्रदेश की 21 फीसदी से अधिक आबादी को साधने जा रहे हैं। इस आयोजन में इस वर्ग को साधने के लिए उनके द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी सहारा लिया जा रहा है। सरकार की पूर्व से संचालित तमाम आदिवासी वर्ग की योजनाओं के बाद भी माना जा रहा है कि दो दिन बाद होने वाले इस आयोजन में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा कई अन्य तरह की योजनाओं की घोषणा की जा सकती है। दरअसल प्रदेश में आदिवासी वर्ग का प्रभाव 90 से अधिक विधानसभा सीटों पर है। इन सीटों पर वे हार जीत को तय करने का मद्दा रखते हैं। यही वजह है कि अब मुख्यमंत्री का पूरा फोकस आदिवासी समुदाय पर बना हुआ है। बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर इसी के चलते भोपाल में यह आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन को भव्य और सुंदर बनाने के लिए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरी कमान अपने हाथों में लिए हुए हैं। इस आयोजन में इसी वजह से इस वर्ग के दो लाख से अधिक लोगों को बुलाया गया है। इन सभी के आने जाने से लेकर उनके भोजन व ठहरने तक का प्रबंध सरकार की ओर से किया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें लुभाने के लिए वे तमाम प्रयास किए जा रहे हैं जो संभव हो सकते हैं। दरअसल प्रदेश भाजपा में ऐसा कोई बड़ा आदिवासी नेता नहीं है, जो कि पूरे प्रदेश के अदिवासियों पर अपनी पकड़ रखता हो, इसकी वजह से ही अब खुद इस काम के लिए शिव को आगे आना पड़ रहा है। अगर जनजातीय की आबादी के हिसाब से देखें तो मप्र देश के उन राज्यों में शामिल है जो उनकी संख्या के हिसाब से बड़े प्रदेश माने जाते हैं। वैसे भी मप्र में सत्ता की राह इस वर्ग के पास से होकर ही निकलती है। अगर प्रदेश में इस वर्ग की जनसंख्या को देखें तो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार आदिवासियों की आबादी 21.10 प्रतिशत है।  इस हिसाब से देखें तो बीते दस सालों में उनकी संख्या बढ़कर करीब सवा दो करोड़ के आसपास हो चुकी होगी। इसकी वजह से ही प्रदेश की 229 विधानसभा सीटों में से आदिवासियों के लिए कुल 47 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं, लेकिन इसके बाद भी उनका प्रभाव नब्बे सीटों पर निर्णायक रुप से माना जाता है। राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही अब तक सीधा मुकाबला होता है। इस बीच आदिवासियों के नाम पर दो राजनैतिक दलों का भी उदय हो चुका है इनमें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी व जयस शामिल हैं। इन दोनों ही दलों का अपना प्रभाव माना जा रहा है।  हालांकि गोडवाना गणतंत्र पार्टी के नेताओं के बीच मतभेदों के चलते यह दल अब अपना वजूद तेजी से खोता जा रहा है, जबकि जयस का प्रभाव अभी  बढ़ता हुआ माना जा रहा है। यही वजह है कि अब भाजपा को पूरा फोकस इस वर्ग पर बना हुआ है। आदिवासी समाज का साथ मिलने की वजह से ही प्रदेश में भाजपा को डेढ़ दशक तक पूरी तरह से सरकार बनाने के लिए बहुमत मिलता रहा है, लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में यह वर्ग भाजपा से खिसक गया और उसे सत्ता से बाहर होना पड़ गया था।
अब चौथी बार भाजपा की सरकार बनी तो सरकार से लेकर उसके संगठन तक का पूरा फोकस इस वर्ग पर बना हुआ है। सरकार इस आयोजन के बहाने आदिवासियों को अपने पक्ष में करना चाहती है। इस वर्ग में चौहान के अलावा मोदी का भी अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। इसलिए ही मंच पर सिर्फ आदिवासी चेहरों को ही जगह दी जा रही है। इसके साथ ही मंच पर पूरी तरह से आदिवासी संस्कृति का झलक भी पूरी तरह से दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यक्रम में शामिल होने के समय प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री तक आदिवासी वेशभूषा में नजर आएंगे।
इस तरह दिखेगी आदिवासी संस्कृति की झलक
कार्यक्रम स्थल उनकी कला , संस्कृति और परंपराओं वाली थीम पर सजाया संवारा जा रहा है। इसके लिए तरह -तरह के चित्र भी उकेरे जा रहे हैं। इसके लिए बाहर से भी लोगों को भी बुलाया गया है। इस आयोजन में इस वर्ग के देवी देवता, त्योहारों व मेलों की भी झलक देखने को मिलेगी। यही नहीं आयोजन स्थल पर इस समुदाय के राजाओं, स्वतंत्रता सेनानियों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण लोगों की तस्वीरें भी लगाई जा रही हैं। इनमें प्रमुख रूप से बिरसा मुंडा, रघुनाथ शाह, शंकर शाह, भीमा नायक, टंट्या मामा और रानी दुर्गावती जैसे नाम शामिल हैं।
बीते दो चुनाव में क्या रही स्थिति
गौरतलब है कि प्रदेश में आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। इसके अलावा सामान्य वर्ग की 31 सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी मतदाता निर्णायक हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत नहीं मिल सका था, तो कहीं न कहीं उसका कारण आदिवासी सीटों पर मिली हार है। आरक्षित 47 सीटों में 2013 में भाजपा के पास 32 सीटें थी, जो 2018 में घटकर 16 रह गई थीं। जबकि कांग्रेस ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।

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