करोड़ों में आग लगाई, फिर भी हवा-हवाई पंचायतों का वाई-फाई

  • भारतनेट परियोजना की जो तस्वीर दिखाई जा रही है, हालत उससे उलट हैं

भोपालअपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। ग्राम पंचायतों को आॅप्टिकल फाइबर के जरिए हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ने के लिए भारतनेट परियोजना के तहत मप्र में बेशुमार धनराशि पानी की तरह बहा दी गई। करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी अधिकांश गांवों में केवल कागजों पर ही वाई फाई चल रहा है। दावा किया जा रहा है कि मध्यप्रदेश की 22710 ग्राम पंचायतें भारतनेट से जुड़ी हुई है। जबकि ग्रामीण इलाकों में आॅप्टिकल फाइबर के जरिए हाई स्पीड इंटरनेट पहुंचाने के लिए भारत नेट परियोजना के आंकड़े केवल हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। भारतनेट प्रोजेक्ट के जरिये केंद्र सरकार ने अंतिम कोने तक वाई-फाई के जरिये कनेक्टिविटी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सभी ग्राम पंचायतों में वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित किए गए। ग्रामीण स्तर पर ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा, ई-कृषि की सुविधाओं का दावा किया गया। यह तय किया गया था कि इस पर सतत निगरानी रखी जाएगी। ग्राम पंचायतों को हाइस्पीड इंटरनेट सेवा से जोड़ने और हाइटेक करने की योजना की यह धुंधली तस्वीर बताने के लिए काफी है कि कागजों में ही अधिकांश जगह ब्रॉडबैंड सुविधाएं चल रही है। भारतनेट परियोजना की जो तस्वीर दिखाई जा रही है, हालत उससे उलट हैं। रखरखाव व मरम्मत के नाम पर बजट जरूर ठिकाने लग रहा है।
पंचायतों में कई तरह के कार्य होते हैं ऑनलाइन
सभी ग्राम पंचायतों में संबल कार्ड, समग्र आइडी, पेंशन, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, खाद्यान्न पर्ची, रोजगार गारंटी, भुगतान, तकनीकी व प्रशासनिक स्वीकृति सहित कई कार्य ऑनलाइन करने होते हैं। अधिकांश जगह नेटवर्क की समस्या भी है। आम्बा के रोजगार सहायक  विनोद पाटीदार का कहना है कि वाई-फाई बंद है। डाटा मेरे मोबाइल का उपयोग कर रहा हूं। वर्ष 2020 में जरूर मेरे खाते में इंटरनेट डाटा को लेकर रुपए दिए थे। मॉडम खराब होने पर कम्पनी को कहा तो वे ठीक करने का कहकर मॉडम ही ले गए। रतलाम जिला पंचायत सीईओ जमुना भिड़े के अनुसार यह समस्या सामने आ रही है।  इसके लिए बीएसएनल के अधिकारियों को पत्र लिखा है कि गांवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी ठीक करें। मंदसौर जिला पंचायत सीईओ कुमार सत्यम का कहना है कि इस संबंध में ग्राम पंचायतवार जानकारी ली जा रही है। जल्द ही सभी जगह नेट शुरू करवाएंगे। वहीं रतलाम बीएसएनएल के महाप्रबंधक वीके सिंह का कहना है कि यह कार्य पहले निजी हाथों में था।
कहीं मॉडम गायब, कहीं पूरा सिस्टम ताले में
सरकारी आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश की 22710 ग्राम पंचायतें भारतनेट से जुड़ी हुई है। लेकिन हकीकत यह है कि ग्राम पंचायतों में आॅनलाइन सेवाओं के लिए ग्राम रोजगार सहायक व अन्य कार्मिक स्वयं का डाटा कार्ड या मोबाइल उपयोग में ले रहे हैं। कहीं मॉडम गायब है तो कहीं पूरा सिस्टम ही ताले में बंद है।  मंदसौर जिले में करीब 70 से 90 फीसदी नेट कनेक्शन बंद हैं। मंदसौर जनपद की 119 ग्राम पंचायतों में कनेक्शन है, लेकिन एक भी ग्राम पंचायत में चालू नहीं है। रतलाम के आम्बा गांव में मॉडम खराब होने पर बीएसएनएल कार्यालय में बताया गया तो कार्मिक ठीक करने का बोल मॉडल ले गया, जो आज तक नहीं लगा। नीमच की ग्राम पंचायत अल्हेड में इंटरनेट के लिए लगा मॉडम शुरू ही नहीं किया गया है। अधिकांश ग्राम पंचायतों में ऐसा हाल है।

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