4 हॉट सीटों के लिए… बनेगी अलग रणनीति

  • मप्र की 18 लोकसभा सीटों के प्रत्याशी होंगे तय
  • विनोद उपाध्याय
रणनीति

अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी द्वारा  लोकसभा चुनाव के लिए अपनी दूसरी सूची जारी की जा चुकी है। इस  43 नामों की सूची में मध्य प्रदेश से 10 प्रत्याशियों के नाम का एलान किया गया है। इसमें इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर समेत 18 नामों को अभी होल्ड पर रखा गया है। 10 प्रत्याशियों में छिंदवाड़ा सीट से मौजूदा सांसद नकुलनाथ का नाम है। कांग्रेस ने अपनी साख बचाने के लिए तीन मौजूदा विधायकों को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, दिग्गज नेताओं के चुनाव लडऩे से इनकार के बाद नए चेहरे को मौका दिया गया है। वहीं कांग्रेस 18 मार्च को होने वाली सीईसी की बैठक में प्रदेश की 18 सीटों के प्रत्याशियों का नाम फाइनल करेगी। इनमें से 4 हॉट सीटों इंदौर-भोपाल, राजगढ़ और गुना सीट पर नए सिरे से रणनीति बना रही है।
मप्र में कांग्रेस छिंदवाड़ा सीट पर अपने आप को अजेय मान रही है। वहीं पार्टी करीब एक दर्जन सीटों पर अपने आप को मजबूत मान रही है।  केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में लगभग 70 फीसदी सीटों पर नाम तय कर लिए गए हैं, लेकिन कुछ सीटों को लेकर असमंजस बना हुआ है। इनमें प्रमुख रूप से राजगढ़, गुना, इंदौर और भोपाल जैसी सीटें शामिल हैं। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में जिन सीटों पर सिंगल नाम थे, उन्हें हरी झंडी दे दी गई है। अगर हम राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां 2014 से भाजपा के रोडमल नागर काबिज है। जिन्हें फिर भाजपा ने लगातार तीसरी बार चुनावी मैदान में उतारा है। गुना में भाजपा ने श्रीमंत को मौका दिया है। यहां पर कांग्रेस केपी यादव को अपने पाले में लाने के प्रयास में  है। वहीं भोपाल और इंदौर में भी यही स्थिति बन रही है। इंदौर में संजय शुक्ला के जाने से समीकरण बिगड़ गए हैं। ऐसे में इन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ रही है।
चार सीटों पर कांग्रेस की विशेष रणनीति
कांग्रेस इंदौर-भोपाल, राजगढ़ और गुना सीट को लेकर विशेष रणनीति पर काम कर रही है। राजगढ़ सीट से सबसे प्रबल दावेदार पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह खींची हैं। उन्होंने क्षेत्र में चुनाव के लिए खासी तैयारी भी की है। लेकिन पेंच यह है कि प्रियव्रत ने चुनावी समर में उतरने से पहले कुछ शर्तें पार्टी आलाकमान के सामने रखी है। इस मामले में उनका कहना है कि  शर्तें नहीं कुछ बिंदु हैं, जिन पर पार्टी आलाकमान की ओर से समर्थन की आवश्यकता है। अगर पार्टी उचित समझेगी तो मैं आदेश पर चुनाव लडऩे को तैयार रहूंगा। अगर प्रियव्रत सिंह चुनाव नहीं लड़ते हैं तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस दिग्विजय सिंह को चुनावी मैदान में उतार सकती है। इंदौर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। इस सीट से बदनावर के विधायक भंवर सिंह शेखावत का नाम चला था, लेकिन उन्होंने चुनाव लडऩे में अपनी असमर्थता जता दी है। यहां से पूर्व विधायक संजय शुक्ला भी दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन वे कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हो गए। भोपाल लोकसभा क्षेत्र में भी दो विधानसभा क्षेत्र में ही कांग्रेस विधायक हैं। हालांकि इस बार भाजपा ने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर आलोक शर्मा को टिकट दिया है। कांग्रेस की ओर से एसएएस के पूर्व अधिकारी जीपी माली, अरुण श्रीवास्तव, मेजर जनरल श्याम श्रीवास्तव के नाम पैनल में हैं, पार्टी यहां सामाजिक समीकरण को साध रही है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना सीट से भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने से यहां कांग्रेस को नई रणनीति बनानी पड़ रही है। पहले माना जा रहा था कि सिंधिया का राज्यसभा का कार्यकाल अभी बाकी है, तो उन्हें लोकसभा चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा, लेकिन घोषणा के बाद कांग्रेस नए सिरे से रणनीति बना रही है। पहले तो कांग्रेस नेताओं ने मौजूदा भाजपा सांसद केपी सिंह यादव का कांग्रेस में स्वागत है जैसे बयान दिए। जिससे यह स्पष्ट हुआ कि अगर यादव कांग्रेस में आते हैं तो टिकट उन्हें ही दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने भाजपा में ही काम करने की बात कही है। ऐसे में पार्टी यादव बाहुल्य सीट पर अरुण यादव को भी उतार सकती है। इस सीट पर वीरेंद्र रघुवंशी की भी उम्मीदवारी हो सकती है। रघुवंशी विधानसभा चुनाव के पहले इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन उस वक्त उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था। हालांकि रघुवंशी ने खुद अभी इस सीट पर लडऩे के लिए विचार करने का समय मांगा है। इससे लग रहा है कि कांग्रेस गुना सीट पर देर से प्रत्याशी घोषित कर सकती है।
मुरैना-ग्वालियर से ब्राह्मण व गुर्जर पर फोकस
कांग्रेस की सूचियों में मुरैना-ग्वालियर के प्रत्याशियों के नाम फाइनल नहीं हो सके हैं। इन दोनों ही संसदीय क्षेत्रों से पार्टी एक ब्राह्मण व एक गुर्जर समाज के प्रत्याशी को मैदान में उतारने का फैसला लेने का विचार कर रही  है। मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र के लिए दो नाम सबसे ऊपर आ रहे हैं। इनमें ब्राह्मण समाज से जौरा के मौजूदा विधायक पंकज उपाध्याय का है तथा गुर्जर समाज से जसवीर गुर्जर का, वहीं ग्वालियर से ब्राह्मण समाज से पूर्व विधायक प्रवीण पाठक का तथा गुर्जर समाज से रामसेवक (बाबूजी) का नाम है। अगर मुरैना में पंकज उपाध्याय को टिकट दिया जाता है तो ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से रामसेवक गुर्जर (बाबूजी) को टिकट देना निश्श्चित बताया जा रहा है। वहीं अगर ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से प्रवीण पाठक को टिकट दिया जाता है तो मुरैना में जसवीर गुर्जर को टिकट दिया जाना सुनिश्चित बताया जा रहा है। पार्टी का मानना है कि मुरैना-ग्वालियर दोनों संसदीय क्षेत्रों से एक ब्राह्मण या गुर्जर समाज के व्यक्ति को टिकट दिया जाए, जिससे दोनों समाज के वोटरों का लाभ उन्हें मिल सके।

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