संजीव अग्रवाल पर बेनामी एक्ट के तहत कसेगा शिकंजा

संजीव अग्रवाल

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। आयकर विभाग द्वारा सेज ग्रुप के संचालक संजीव अग्रवाल के ठिकानों पर की गई छापेमारी में एक के बाद एक नए बेहद चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। ग्रुप के कई संस्थानों में ऐसा खेल किया गया कि बरामद अधिकांश दस्तावेजों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां पाई गई हैं।  छापे में नया खुलासा निर्माण सामग्री की नंबर दो में खरीदी और कर्मचारियों के नाम पर बेनामी संम्पत्तियों की खरीदी के रुप में हुआ है। इसकी वजह से यह तय माना जा रहा है कि सेज ग्रुप के संचालकों पर अब आयकर विभाग बेनामी एक्ट के तहत शिकंजा कस सकता है। फिलहाल अभी संजीव अग्रवाल और उनके परिजनों के नाम पर मिले लॉकरों में से करीब आधा दर्जन से अधिक खोला जाना शेष है। अब तक खोले गए लॉकरों में भी निवेश के डेर दस्तावेजों के अलावा हीरों- जवाहरात जड़े जेवरात भी बड़ी संख्या में मिल चुके हैं।  
 आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक अब तक जो दस्तावेज बरामद किए गए हैं उनमें से अधिकांश दस्तावेजों में बेनामी और कर चोरी से संबधित सामने आए हैं। इनमें वे दस्तावेज भी  शामिल हैं जिनमें फर्जी कंपनियां बनाने से लेकर बोगस खर्च दिखाया गया है। हद तो यह है कि इस ग्रुप द्वारा बिल्डर्स के काम में अधिकांश सामग्री नंबर दो में खरीद कर उपयोग में लाई गई है। इसमें सरिया से लेकर गिट्टी तक शामिल है। यह खरीदी कुछ गिने चुने लोगों से ही की जाती थी। आयकर विभाग को ऐसे करीब दस लोगों की जानकारी हाथ लग चुकी है। इनमें से तीन-चार सप्लायर्स से आयकर टीम पूछताछ भी कर चुकी है। पूछताछ में सप्लायर्स ने नकद में नंबर दो में सामग्री खरीद की जानकारी दी है। अन्य सप्लायर्स की भी आयकर विभाग की टीम खोज कर रही है। सप्लायर्स ने इस तरह की करोड़ों रुपयों की सामग्री खरीद की बात कही है। इस लेनदेन के दौरान या तो कच्ची पर्ची का इस्तेमाल किया गया या फिर बगैर बिल के ही खरीदारी किए जाने की बात सामने आयी है। यही नहीं बहुत ऐसे दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं जो उनके कर्मचारियों के नाम पर हैं। जब इन कर्मचारियों से पूछताछ की गई तो वे आश्चर्यचकित रह गए कि उनके नाम पर भी संपत्ति खरीदी गई है।
एक करोड़ दस लाख रुपए और ढाई करोड़ की ज्वैलरी जप्त
छापे के दौरान अग्रवाल के विभिन्न ठिकानों से बरामद रकम में से एक करोड़ दस लाख रुपए का कोई हिसाब नहीं दे पाने की वजह से उसे जप्त कर लिया गया है। इसी तरह से 15 में से 5 लॉकरों में मिले 15 करोड़ के जेवरातों में से भी करीब ढाई करोड़ के जेवरातों का भी कोई हिसाब किताब नहीं मिला है जिसकी वजह से उन्हें भी जप्त कर लिया गया है। अभी दस लॉकर और खोले जाने हैं। उनमें भी बड़ी संख्या में निवेश संबंधी दस्तावेज और बहुमूल्य जेवरात मिलने की उम्मीद है।
अस्पतालों में भी मिली 15 करोड़ की गड़बड़ी
होशंगाबाद रोड और बावड़िया कलां में दो अस्पतालों के नाम पर ग्रुप के 100 करोड़ से ज्यादा निवेश करने की बात सामने आ चुकी है। आईटी ने इन प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन कराया। साथ ही इससे जुड़े दस्तावेजों की जांच की तो उसमें भी करीब 10 से 15 करोड़ रुपए की गड़बड़़ी सामने आ चुकी है। इसमें पाया गया है कि प्रोजेक्ट्स में ज्यादा पैसा लगाया, लेकिन बताया कम गया है।
ट्रस्ट में भी की करोड़ों की गड़बड़ी, बोगस खर्च दिखाए
ग्रुप का एक ट्रस्ट भी है। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक ट्रस्ट में करोड़ों रुपए की गड़बड़ी के सबूत हाथ लगे हैं। बड़ी संख्या में ऐसे भी दस्तावेज मिले हैं जिनसे स्पष्ट हो रहा है कि ग्रुप ने बोगस खर्च दिखाया है। इसके लिए ग्रुप चेक दे देता था और कैश ले लेता था। इस लेन-देन में शामिल लोगों को भी विभाग कार्रवाई की जद में लेने जा रहा है। इसी तरह से कॉलेजों में भी संदिग्ध लेनदेन की जानकारी सामने आ रही है। फिलहाल बरामद किए गए दस्तावेजों की जांच जारी है।

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