प्रदेश में लगातार दूसरे साल स्कूली बच्चों को नहीं मिली साइकिल

साइकिल
  • हर साल 200 करोड़ की जरूरत, विभाग के पास महज 50 करोड़

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
    कोरोना संक्रमण के कारण पस्त हुई अर्थव्यवस्था का असर स्कूली व्यवस्था पर भी पड़ा है। कोरोना और फंड के अभाव में प्रदेश में पिछले दो साल से प्रदेश के साढ़े पांच लाख स्कूली बच्चों को साइकिल नहीं मिल पाई है। इन बच्चों को साइकिल दें या पैसा सरकार इस असमंजश में फंसी हुई है। वहीं अधिकारियों का कहना है की साइकिल वितरण या पैसा देने में हर साल 200 करोड़ रूपए खर्च होना है। लेकिन विभाग के पास मात्र 50 करोड़ रूपए हंै। ऐसे में मामला अधर में लटका हुआ है। फंड के अभाव के बावजूद प्रदेश के साढ़े पांच लाख स्कूली बच्चों को साइकिल या पैसा देने को लेकर एक बार फिर नोटशीट चल पड़ी है। स्कूल शिक्षा सचिवालय ने मंत्री को नोटशीट भेजी है। जिसमें बच्चों को साइकिल देने की बजाए दो साल की राशि 3500 रुपये प्रति छात्र, प्रतिवर्ष एक मुश्त देने पर विचार करने का सुझाव है। इसके अलावा बच्चों को साइकिल ही देने पर भी विचार चल रहा है। मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जल्द ही निर्णय ले सकते हैं। प्रदेश में लगातार दूसरे साल स्कूली बच्चों को साइकिल नहीं मिली है। वैसे दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते पूरी तरह से स्कूल भी नहीं खुल सके हैं, पर बात योजना का लाभ देने की है। इसलिए साइकिल देने की मांग आ रही है। जिसे देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने एक बार फिर नोटशीट चला दी है।
    साइकिल की बजाय राशि देने का सुझाव
    सूत्र बताते हैं कि विभाग ने साइकिल की बजाय राशि देने का सुझाव दिया है। यह नोटशीट विभागीय मंत्री के कार्यालय में पहुंच गई है, जहां से लोक शिक्षण संचालनालय भी भेज दी गई है। अब संचालनालय के अधिकारी इसमें अभिमत देंगे। अधिकारियों और मंत्री के एक राय होने पर नोटशीट मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी। क्योंकि किसी भी सूरत में राशि सरकार को ही देना है। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक साल साइकिल के लिए दो सौ करोड़ रुपये की जरूरत है और विभाग के पास महज 50 करोड़ रुपये हैं। साइकिल देने की योजना में सीएम राइज स्कूल का भी पेंच आ रहा था। कहा जा रहा था कि सरकार इस राशि से सीएम राइज स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए स्कूल तक लाने और छोड़ने की व्यवस्था करेगी। इसलिए साइकिल देना मुश्किल है, पर अब तक सीएम राइज स्कूल चालू नहीं हुए हैं।
    नोटशीट को लगा कोरोना संक्रमण
    छात्रों को साइकिल देने की कवायद शुरू हुई थी, उसी समय कोरोना संक्रमण फैल गया। जानकारी के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2020-21 में साइकिल देने के लिए जनवरी 2020 में ही प्रस्ताव तैयार हो गया था, पर कोरोना संक्रमण के कारण मार्च 2020 में देशभर में लॉकडाउन हो गया। तभी से सितंबर 2021 तक स्कूल नियमित रूप से नहीं खुल सके। पिछला सत्र बीता तो प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चला गया। अब शैक्षणिक सत्र 2021-22 के विद्यार्थियों को साइकिल देने की बात शुरू हुई, तो वरिष्ठों ने कहा कि पिछले साल के पात्र विद्यार्थियों को साइकिल नहीं दी, तो सरकार को लेकर गलत मैसेज जाएगा। बस फिर क्या था, दोनों साल की साइकिल देने का प्रस्ताव चल पड़ा। पांचवीं उत्तीर्ण कर छठवीं और आठवीं उत्तीर्ण कर नौवीं में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को सरकार साइकिल देती है, पर पिछले साल के विद्यार्थी छठवीं से सातवीं और नौवीं से 10वीं में पहुंच गए हैं। ये विद्यार्थी पिछले साल पात्र थे, पर उन्हें साइकिल नहीं मिली थी, इसलिए अब उन्हें यह लाभ दिया जाएगा।

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