
- बिजली अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से कनाडिया इलाके में बिजली अफसरों की जारी है मनमानी …
इंदौर/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। शहर के प्रमुख इलाकों में शामिल कनाडिया इलाके के लोग इन दिनों बिजली विभाग के अफसरों की ठेकदारों के बीच जारी सांठगांठ की वजह से अघोषित कटौती का सामना करने को मजबूर बने हुए हैं। इसकी वजह से गर्मी के इस मौसम में लोगों को बेहद मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। हालत यह है कि 24 घंटों में करीब एक दर्जन बार यहां के रहवासियों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है।
लाइट जाने पर जब बिजली अफसरों से शिकायत की जाती है तो उत्तर मिलता है कि लोड बढ़ गया है जिसकी वजह से बिजली गई है। खास बात यह है कि लाइट जाने पर उपभोक्ताओं को इसी तरह के संदेश भी मोबाइल पर मिलते हैं। दरअसल इस तरह की स्थिति की वजह है बिजली विभाग के अफसरों द्वारा ठेकेदारों के साथ मिली भगत कर इलाके में लगे तीनों कैपेसिटर बैंक निकालकर उन्हें अपनी पंसद की जगहों पर निर्वाध बिजली सप्लाई के लिए लगाए जाना। इस मामले की शिकायत स्थानीय रहवासियों द्वारा मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत कंपनी के प्रबंध निदेशक अमित तोमर से भी कई बार की जा चुकी है, लेकिन फिर भी कोई हल नहीं निकल पा रहा है। दरअसल कनाडिया वितरण केंद्र में एंपायर स्टेट ग्रिड, गोल्फ लिंक ग्रिड और एनआर स्टेट ग्रिड इन ग्रिड पर कैपेसिटी बैंक लगाए गए थे, लेकिन विभाग के कनिष्ठ यंत्री अमर सिंह सोलंकी, कार्यपालन यंत्री और अधीक्षण यंत्री ने यह बोल कर इन्हें निकलवा लिया कि कालोनियों के ग्रिड पर लोड कम है इसलिए इन्हें निकाल कर ग्रामीण इलाकों के ग्रिड पर लगाना है। इसी तरह से इलाके के एक और वितरण केंद्र धरमपुरी मैं भी किया गया है। इस इलाके के प्रीमियम पार्क ग्रिड, सेंट्रल पार्क ग्रिड, लोटस पार्क ग्रिड और भी वितरण केंद्रों के अन्य ग्रिडों पर से भी कैपेसिटर बैंक निकालवा लिए गए हैं। आशंका है कि इन कैपेसिटर बैंक को ठेकेदार के माध्यम से अन्य ग्रिडों पर लगाया है और नए कैपेसिटर बैंक का बिल लगाकर अधिकारियों ने बिजली विभाग को लाखों रुपए का चूना लगा दिया गया है। अब इस मामले में लोगों द्वारा उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है।
इस तरह से किया जा रहा है किसानों को परेशान
नियमानुसार खेती के लिए सिंचाई पंपों के कनेक्शन करने के लिए पोल से बोरिंग की दूरी 150 फीट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए परंतु कनाडिया वितरण केंद्र में जब से कनिष्ठ यंत्री अमर सिंह सोलंकी आये है तब से जितने भी कृषि कनेक्शन हुए है उन कृषि उपभोक्ताओं को बोरिंग की दूरी पोल से डेढ़ सौ फिट से ज्यादा है बता कर परेशान किश जाता है। इस बीच जो भी उनका ख्याल रखता है उसे नियमों को ताक पर रखकर बिजली के कनेक्शन दे दिए जाते हैं। हालात यह हैं कि सोलंकी के समय में कई ऐसे कनेक्शन हैं , जिनकी पोल से 500 फीट से 2000 फीट की दूरी है फिर भी उन्हें स्थाई कृषि कनेक्शन दे दिए गए। इस मामले में भी अगर निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। बताया जाता है कि इन कनेक्शनों पर अमर सिंह सोलंकी ने लाखों रुपए की कमाई की है।
आपरेटरों से कराया जा रहा है 12-12 घंटे काम
कनाडिया बिजली वितरण केंद्र के तहत आने वाले कनाडिया और बिचोली हपसी सब स्टेशन पर ही 3 -3 आॅपरेटर है बाकी सभी सब स्टेशनों पर महज दो -दो आपरेटर हैं। इनमें एन आर स्टेट, गोल्फ व्यू ,एंपायर स्टेट ,ओमेक्स सिटी माया खेड़ी के दो ग्रिड शामिल हैं। यही हाल सेमलिया चाउ ग्रिड, गारी पिपलिया ग्रिड आदि ग्रिडों के भी हैं। इन पर पदस्थ दोनों आपरेटरों से 12-12 घंटे काम कराया जाता है। अगर इसमें से कोई एक आॅपरेटर बीमार हो जाता है या छुट्टी पर चला जाता है तो एक ही आॅपरेटर बचता है जिसे 24 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है। बिजली विभाग के नियम अनुसार ग्रिड पर तीन ऑपरेटर होते हैं जो 8 घंटे ड्यूटी करते हैं और सप्ताह में एक छुट्टी देना अनिवार्य है।
खास बात यह है कि कनाडिया वितरण केंद्र पर प्रत्येक ग्रिड पर तीन-तीन ऑपरेटर रिकॉर्ड और रजिस्टर में तो हैं, परंतु मौके पर दो लोग ही कार्य कर रहे हैं। 24 घंटा ड्यूटी करने के कारण 3 वर्ष पहले बिचोली हप्सी ग्रिड पर अनिल नाम के एक ऑपरेटर की मौत हो गई थी जो 8 दिन से 24 घंटे ड्यूटी कर रहा था और बीमार होने पर समय पर उसका इलाज नहीं हो पाया जिसे बिजली विभाग द्वारा एक रुपए की सहायता भी नहीं मिली।
सोलंकी द्वारा बनाया जाता है कर्मचारियों पर दबाब
कनिष्ठ यंत्री अमर सिंह सोलंकी कर्मचारियों पर बेहद दबाब बनाकर उनसे निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रोककर काम कराते हैं। इसके अलावा जो कर्मचारी उनका ध्यान नहीं रखता है उसे तरह- तरह से प्रताड़ित किया जाता है। खबर तो यह है कि यहां पर पदस्थी के दौरान की जा रही कमाई से सोलंकी द्वारा एंपायर स्टेट झलारिया के पास रुचि लाइफ स्टाइल कॉलोनी में एक आलीशान मंगला बनवाया जा रहा है। खास बात यह है कि सोलंकी की कार्यशैली ऐसी है कि उनसे उनके साथ अफसर व कर्मचारी भी बेहद परेशान रहते हैं। जो भी कर्मचारी उनके मुताबिक नहीं चलता है उसे दूर दराज के ग्रामीण इलाके में पदस्थ कर दिया जाता है।