हर विभाग की कमेटी में एससी-एसटी अफसर अनिवार्य

एससी-एसटी
  • सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किए पदोन्नति के नए नियम

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मोहन यादव कैबिनेट द्वारा लोकसेवा पदोन्नति नियम 2025 को मंजूरी देने के 48 घंटे बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने पदोन्नति संबंधी नियम जारी कर दिए हैं। गजट नोटिफिकेशन भी कर दिया गया है। सरकार ने कहा है कि 9 साल से पदोन्नति बंद होने से बड़ी संख्या में कर्मचारी-अधिकारी बगैर पदोन्नत हुए रिटायर हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार की कार्यक्षमता पर विपरीत असर पड़ रहा है और कर्मचारियों का मनोबल भी घट रहा है। इसलिए सरकार ने पदोन्नति के नए नियम बनाए हैं।
पदोन्नति नियम बनाए जाने के दौरान आरक्षित वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने और प्रशासनिक दक्षता तथा योग्यता को महत्व दिया गया है। नियमों में कहा गया है कि सीधी भर्ती के पदों में एससी और एसटी वर्ग को 16 प्रतिशत और 20 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। इसलिए सरकार पदोन्नति में भी इन्हें इसी आधार पर आगे बढऩे के लिए मौका देने को प्रतिबद्ध है। गजट नोटिफिकेशन के साथ ही सरकार के ये नियम प्रभावी हो गए हैं। जीएडी ने नियमों में कहा है कि कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के चलते सजा तय की गई हो और वह प्रभावी हो तो उसे पदोन्नति के लिए अपात्र माना जाएगा।
विभागीय पदोन्नति समिति बनेगी
राज्य शासन द्वारा पदोन्नति से भरे जाने वाले हर संवर्ग के पदों को अलग से तय किया जाएगा। इसके लिए समिति द्वारा निर्णय लिया जाएगा। समिति के अध्यक्ष विभाग के सचिव और विभागाध्यक्ष सचिव होंगे। समिति में उपसचिव या उससे अधिक ऊंचे पद का जीएडी का एक अफसर भी शामिल होगा। इसके साथ ही इन तीनों सदस्यों में से कोई एक सदस्य एससी वर्ग का नहीं होने पर एससी वर्ग का एक सेंकेंड क्लास अधिकारी भी समिति में शामिल किया जाएगा। पहले तीन सदस्यों में से कोई सदस्य एसटी वर्ग का न होने पर सेकेंड क्लास कैटेगरी का एसटी वर्ग का एक अधिकारी भी कमेटी में शामिल होगा। पदोन्नति का आधार भी बनाया गया है। प्रथम श्रेणी से प्रथम श्रेणी के उच्च वेतनमान के पदों पर योग्यता सह वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति दी जाएगी। शेष सभी पदों पर पदोन्नति वरिष्ठता सह उपयुक्तता के आधार पर मिलेगी।
नए पदोन्नति नियम को लेकर कैवियट दायर
मप्र शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम-2025 मप्र राजपत्र में अधिसूचित किया गया है। इस संभावना के दृष्टिगत राज्य के किसी संघ या शासकीय सेवक द्वारा मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम-2025 नियम अथवा नियम के किसी भी प्रावधान पर स्थगन लेने के लिए हाईकोर्ट, मुख्य खंडपीठ जबलपुर। खंडपीठ इंदौर/खंडपीठ ग्वालियर में रिट याचिका दायर की जा सकती है। सामान्य प्रशासन विभाग ने कहा कि यदि मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम-2025 या उसके किसी भी प्रावधान को चुनौती दी जाती है, तो उसकी अग्रिम प्रति महाधिवक्ता कार्यालय जबलपुर / इंदौर/ग्वालियर को उपलब्ध कराई जाए। इस संबंध में उप सचिव अजय कटेसरिया ने बताया कि हाईकोर्ट मुख्य खंडपीठ जबलपुर / खंडपीठ इंदौर/खंडपीठ ग्वालियर में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कैवियट दायर की जा रही है।
2028 तक के लिए बनेगी कमेटी
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा बनाए नियमों में कहा गया है कि जो कमेटी बनाई जाएगी वह वर्ष 2024 से 2028 तक की विभागीय पदोन्नति समिति के लिए लागू मानी जाएगी। पांच साल के बाद इस कमेटी को फिर नए सिरे से बदला जा सकेगा। कर्मचारी की सेवा की अवधि की गणना उस अवधि तक की जाएगी जिस चयन वर्ष की पदोन्नति के लिए समिति की बैठक आयोजित की जा रही है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर कोई कर्मचारी-अधिकारी दिसम्बर 2021 में फीडर संवर्ग या सेवा के पद में आया है तो 31 दिसम्बर 2025 को उसकी पांच वर्ष की प्रमोशन योग्य सेवा पूर्ण हो जाएगी। विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक के लिए प्रतिनियुक्ति और अन्य कारणों से अगर अधिकारी 31 दिसम्बर की स्थिति में उपलब्ध नहीं है, तो पद को रिक्त माना जाएगा। कर्मचारी की सेवा अवधि की गणना कर्मचारी की सेवा की अवधि की गणना उस अवधि तक की जाएगी, जिस चयन वर्ष की पदोन्नति के लिए समिति की बैठक आयोजित की जा रही है।
सीआर नहीं तो नहीं मिलेगा प्रमोशन
 नए नियमों के अनुसार पदोन्नति से भरे जाने वाले हर संवर्ग के पद अलग से तय किए जाएंगे। ऐसे ही हर विभागीय पदोन्नति समिति में आरक्षित वर्ग का अधिकारी को शामिल किया गया है। साथ ही सीआर उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में पदोन्नति नहीं दिए जाने का उल्लेख किया गया है। नए नियमों में कहा गया है कि सीधी भर्ती के पदों में एसटी वर्ग के लिए आरक्षित पदों की संख्या पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों की कुल संख्या का 20 प्रतिशत होगी। एससी वर्ग के लिए आरक्षित पदों की संख्या पदोन्नति से भरे जाने वाले कुल पदों की संख्या का 16 प्रतिशत होगी। क्लास 1 अधिकारी (जैसे डिप्टी कलेक्टर) के लिए लिस्ट मेरिट कम सीनियरिटी दोनों के आधार पर बनेगी, जबकि क्लास-2 और नीचे के पदों के लिए सीनियोरिटी कम मेरिट के आधार पर दावेदारों की सूची बनेगी। नियमों में कहा गया है कि अधिकारी, कर्मचारी की सीआर का निर्धारण जिस चयन वर्ष की पदोन्नति के लिए समिति की बैठक की जा रही है, उससे ठीक 5 वित्तीय वषों में उपयुक्त होनी चाहिए। यदि 5 साल की सीआर में से अधिकतम दो सीआर किसी कारण से उपलब्ध नहीं है, तो विभागीय पदोन्नति समिति ठीक 2 पुराने साल यानी कुल सात साल के सीआर को पदोन्नति के लिए आधार बना सकेगी। वर्ष 2026 में होने वाली विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक (जिसमें 31 दिसंबर, 2027 तक के पद सम्मिलित हैं, इसके लिए वित्तीय वर्ष 2024-2025, वर्ष 2023-2024, वर्ष 2022-2023, वर्ष 2021-2022 वर्ष 2020-2021 के सीआर को जांचा जाएगा। यदि किसी कारणवश इन वर्षों में से कोई भी दो वर्षों का गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं है, तो ऐसी स्थिति में वित्तीय वर्ष 2019-2020 एवं वर्ष 2018-2019 के गोपनीय प्रतिवेदनों पर विचार किया जा सकेगा। नियमों में यह भी कहा गया है कि सीआर अनुपलब्ध रहने की दशा में संबंधित प्रकरणों को परिभ्रमण में नहीं रखा जाएगा एवं ऐसे पदों के विरुद्ध अन्य पात्र कर्मचारी को पदोन्नत किया जाएगा। ऐसे प्रकरणों को गोपनीय प्रतिवेदन की उपलब्धता के बाद होने वाली विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक में पदोन्नति के लिए रखा जाएगा। अगली विभागीय पदोन्नति समिति में पात्र पाए जाने पर उस कर्मचारी की सीनियारिटी पूर्ववत यथास्थान स्थापित की जाएगी। जीएडी ने नियमों में कहा है कि कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के चलते सजा तय हो व वह प्रभावी हो तो उसे पदोन्नति के लिए अपात्र माना जाएगा।

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