
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। चित्रकूट में भले ही संघ की औपचारिक दो दिवसीय बैठक दो दिन बाद यानि कि 12 जुलाई से होनी है, लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत के पहुंचने के साथ ही संगठन की आगामी रणनीति और कामों पर मथंन का दौर अनौपचारिक रुप से शुरू हो चुका है। बैठक के ऐजेंडे में तो वैसे कई अहम मुद्दे हैं, लेकिन इसमें प्रमुख रुप से कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी, कोविड के बीच संघ की शाखाओं को नियमित करने पर चर्चा हो चुकी है। चर्चा के साथ ही संघ ने तीसरी लहर से लड़ने की तैयारी कर ली है। इसके तहत तय कर लिया गया है कि सभी अनुषांगिक संगठन कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने पर फोकस करेंगे। इस बैठक में संघ के सभी प्रमुख चालीस पदाधिकारी शामिल हो रहे हैं। वैसे तो संघ की हर बैठक अहम होती है, लेकिन इस बार इस बैठक का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसके कुछ माह बाद ही उप्र में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं।
बैठक के अहम बिन्दुओं में शामिल कोरोना इन दिनों सभी के लिए चुनौती बना हुआ है। इस महामारी के बीच संघ के स्वयंसेवकों ने समाजसेवा के लिए अपने लगभग सभी प्रकल्पों को काम पर लगाया हुआ था, लेकिन अब एक बार फिर से तीसरी लहर की चेतावनी मिल चुकी है। इस चेतावनी के बीच संघ ने अभी से कोरोना के समय उठाए जाने वाले कदमों पर विचार विमर्श कर रणनीति तैयार कर ली है। इसके अलावा संघ के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती अपनी नियमित शाखाओं के संचालन की बनी हुई है। अगर तीसरी लहर आती है तो इन शाखाओं का आयोजन किस तरह से हो इस पर भी मंथन किया जाना है।
दरअसल बीते एक साल में आ चुकी कोरोना की दो लहरों की वजह से संघ की शाखाओं पर भी विराम लगाना पड़ा था। संघ लगातार संगठन का विस्तार करता रहता है। इस बीच अगले चार साल बाद यानि कि 2025 में संघ की स्थापना के सौ साल भी पूरे होने जा रहे हैं। संघ शताब्दी वर्ष मनाने से पहले हर गांव में शाखा का विस्तार करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इसकी वजह है संघ चाहता है कि उसका विस्तार अब ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से हो। माना जा रहा है कि इस पर प्रांत प्रचारकों की बैठक में फैसला कर रणनीति तैयार की जाएगी। इसके साथ ही संघ अब संगठन का उन इलाकों में भी तेजी से विस्तार कर रहा है जो देश के पूर्वोत्तर और दक्षिण के इलाकों में आते हैं। यह वे इलाके हैं, जो संघ की दृष्टि से बेहद कठिन माने जाते हैं। इसकी वजह है उन राज्यों की जातीय व्यवस्था। हालांकि बड़ी बात यह है कि बीते कुछ सालों में संघ का पूर्वोत्तर राज्यों में संघ का प्रभाव तेजी से बड़ा है।
यही वजह है कि इसमें शामिल असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में भाजपा को अपना संगठन खड़ा करने में बेहद अहम मदद मिली है। यही नहीं भाजपा इन दोनों राज्यों में अपनी सरकार बनाने में भी सफल रही है। यही वजह है कि अब संघ ने न्याय पंचायत स्तर तक लगने वाली अपनी शाखाओं का विस्तार ग्राम पंचायत तक करने का मन बना लिया है। इन शाखाओं के विस्तार में खास बात यह रहने वाली है कि इनमें हिंदू ही नहीं बल्कि हर वर्ग के लोगों को जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे। दरअसल संघ चाहता है कि हर व्यक्ति का शारीरिक क्रियाओं के साथ बौद्धिक रूप से राष्ट्र के प्रति समर्पण व निष्ठा भाव का विकास किया जा सके। इसके पहले संघ-मंडली का गठन किया जाएगा फिर मिलन शाखा से शुरुआत करके प्रात: और संध्या के कुछ अंतराल के बाद रात्रि शाखा संचालन का कार्य सिलसिलेवार किया जाएगा। संघ के इस प्रयास को हिंदू राष्ट्रवादी संगठन की छवि से बाहर निकलकर राष्ट्रवादी संगठन बनने के प्रयासों के रूप में भी देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर भी सक्रियता दिखेगी
अब संघ अपनी कार्यपद्दति में भी समय के साथ बदलाव कर रहा है। आधुनिकता के इस युग में सोशल मीडिया का प्रभाव तेजी से बड़ा है। इस वजह से ही अब संघ अपने स्वयंसेवकों को इस पर सक्रिय करने की तैयारी करचुका है। इसके लिए स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने की भी योजना तैयार की गई है। इससे स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों का प्रचार प्रसार कर लोगों को जोड़ने में मदद पा सकेंगे। यही नहीं आम आदमी को भी संघ के सेवा कार्यों के बारे में पता चल सकेगा। यह स्वयंसेवक पूरी तरह से आईटी सेल की तरह काम करेंगे। इसके लिए संघ अपने उच्च तकनीकी डिजिटल संवाद केन्द्रों की स्थापना करेगा।
श्रमिकों की पीड़ा से संघ आहत
कोरोनाकाल में दर बदर हुए प्रवासी श्रमिकों के लिए भले ही तमाम राज्यों और केन्द्र सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं, लेकिन इसके बाद भी उनकी परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। इससे संघ भी चिंतिंत है। यही वजह है कि अखिल भारतीय प्रांत प्रचारकों की चार दिवसीय बैठक के पहले दिन प्रवासी श्रमिकों के रोजगार, उनके बच्चों की शिक्षा के लिए प्रयास और बढ़ाने पर विचार विमर्श किया गया।