संघ दोगुने पूर्णकालिकों को मैदान में उतारने की तैयारी में

संघ

एप से जुड़ने वाले लोगों में से करेगा चयन और देगा प्रशिक्षण

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। शताब्दी वर्ष में संघ अपने काम में और तेजी लाने की रणनीति पर काम करने जा रहा है। उसका लक्ष्य काम की गति को दुगना करने की है। इसके तहत उसका लक्ष्य हर नगर व विकास खंड स्तर तक अपने पूर्णकालिक समयदानियों की तैनाती करने का है।  इसकी वजह है कार्यक्षेत्र का तेजी से विस्तार करना। फिलहाल देशभर में चार हजार पूर्णकालिक स्वयंसेवक काम कर कर हैं, जिनकी संख्या वह सात हजार तक करने जा रहा है। इन तीन हजार स्वयंसेवकों का चयन एप के माध्यम से जुड़ने वाले लोगों में से करने के बाद उन्हें संघ की रीति व नीति का प्रशिक्षण देकर पूर्णकालिक वीहीन क्षेत्रों में पूरे देश में तैनात किया जाएगा।
दरअसल संघ को पूरी तरह से कैडर बैस संगठन माना जाता है, जिसकी वजह से इस तरह का प्रयोग पहली बार करने जा रहा है। यह योजना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के दो साल बाद पूरा होने वाले सौ साल यानि की शताब्दी वर्ष के लिए तय किए गए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बनाई गई है। हाल ही में संघ की प्रयागराज में हुई अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में शताब्दी वर्ष में सभी नगरों एवं खंडों में दो वर्षीय विस्तारक निकालने की योजना बनाई गई है। समाज के सभी वर्गों के बीच अपने काम को बढ़ाने के लिए तय किया गया है कि तीन हजार स्वयंसेवकों नए स्वयंसेवकों की भर्ती की जाए। संघ में यह विचार उसके एप ज्वाइन आरएसएस में लोगों के लगातार जुड़ने के कारण आया है। संघ ने पिछले साल लोगों को खुद से जोड़ने के लिए ज्वाइन आरएसएस एप लांच लिया था।  हालांकि प्रारंभ में जरुर े इसके अच्छे परिणाम सामने नहीं आए थे, लेकिन अब उसके अच्छे  परिणाम सामने आ रहे हैं। बीते साल महज 12 सौ लोगों ने ही इसमें रूचि दिखाई थी पर कोरोना का समय बीतते ही इसमें जुड़ने वालों में तेजी से इजाफा हुआ और इस साल 96 हजार लोगों ने आनलाइन माध्यम से संघ से जुड़ने के लिए आवेदन दिया है। सूत्रों की माने तो संघ इनमें से ही तीन हजार पूर्णकालिक समयदानियों का चयन करेगा।
संघ ने आने वाले एक साल में अपने सभी मंडलों और एक लाख नए स्थानों तक अपना कार्य पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। संघ की योजना है कि उसे अभी एडहाक के रूप में एक साल के लिए समयदानी पूर्णकालिक मिल जाएंगे। इसमें से ही आगे जीवनदानी प्रचारक भी निकाले जा सकेंगे।  वर्तमान में देश के लगभग सभी जिलों में किसी न किसी रूप में संघ सक्रिय है लेकिन शताब्दी वर्ष की तरफ बढ़ रहा संघ 2024 तक देश के सभी मंडलों तक अपना कार्य पहुंचाना चाहता है, संगठन को मजबूत करना चाहता है। तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत के अन्य राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विस्तार भी संघ के एजेंडे पर है। संघ पूर्वोत्तर के राज्यों में भी अपनी मजबूती पर खास फोकस करना चाहता है।
एक साल में 36 हजार शाखाओं की वृद्धि का लक्ष्य
आरएसएस ने अपने संगठन नेटवर्क के हिसाब से देश में 45 प्रांत बना रखे हैं। एक साल के अंदर देश में शाखाओं की संख्या को एक लाख के पार पहुंचाना चाहता है। अभी देश में 64 हजार 45 स्थानों पर उसकी शाखाएं चल रही हैं। पिछले एक साल में यह संख्या सात हजार के करीब बढ़ी है। पिछले साल तक 54 हजार 382 स्थानों पर संघ की शाखाएं लगती थीं।  इसके अलावा संघ अपने साप्ताहिक मिलन और मासिक मंडली बैठकों में भी वृद्धी  चाहता है।
56 क्षेत्रों चल रहा काम
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कामकाज 56 विभिन्न संगठनों के द्वारा किया जा रहा है। संघ शिक्षा, स्वास्थ्य, मजदूर, विद्यार्थी, स्वदेशी जागरण, स्वाबलंबन, पूर्व सैनिक, आदिवासी वर्ग के लिए कई हितकारी प्रकल्प चला रहा है। इसके लिए उसने अनुषांगिक संगठन भी बना रखें हैं।

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