
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का ग्वालियर -चंबल अंचल अवैध रेत और पत्थरों के खनन के लिए प्रसिद्व है। इसकी वजह से देशभर में अवैध उत्खनन के मामले में प्रदेश की बदनामी हो चुकी है, इसकी वजह रही है इस अंचल के तहत आने वाले मुरैना व श्योपुर की खदानों का नीलाम नहीं किया जाना। इसकी वजह तो बीते चालीस सालों में प्रदेश की सत्ता में रही सरकारें ही जाने , लेकिन अब उन्हें नीलाम करने की तैयारी की जा रही है। यह नीलामी भी तब की जा रही है, जबकि इसके लिए इसी अंचल से आने वाले दो केन्द्रीय मंत्रीद्धय नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा लंबे समय से प्रयास किए गए हैं। दरअसल इस अंचल के इन दोनों ही जिलों में चंबल और पार्वती नदी बहती है। इसके तहत कुल 11 रेत खदानें आती हैं। यह बात अलग है कि चंबल नदी में घडिय़ाल सेंचुरी होने और श्योपुर क्षेत्र में निकलने वाली पार्वती नदी का इलाका वन संरक्षित क्षत्र होने की वजह से वहां पर रेत के उत्खनन पर प्रतिबंध लागू किया गया था। इसके बाद से ही यह नदियों का इलाका अवैध रेत खनन करनेवाले माफियाओं की कमाई का बड़ा जरिया बन गया था। अब रेत खदानें नीलाम होने से चंबल क्षेत्र के लोगों को पर्याप्त और सस्ती रेत मिलने का रास्ता खुल जाएगा। फिलहाल मुरैना और श्योपुर जिले में रेत दूसरे जिलों से सप्लाई होती है। इससे यहां के लोगों को रेत महंगी दरों पर खरीदना पड़ती है। हालांकि पूरे चंबल को राजस्थान से रेत की आपूर्ति की जाती है। वहां भी चंबल नदी से रेत निकाली जाती है। प्रदेश में मुरैना जिले में चंबल घडिय़ाल सेंचुरी के इको सेंसेटिव जोन और श्योपुर में पार्वती के आसपास संरक्षित वन क्षेत्र के कारण रेत के उत्खनन पर 1980 से पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया था। रेत उत्खनन के चलते घडिय़ाल संकट में आ जाएंगे।
200 हेक्टेयर फॉरेस्ट क्षेत्र हुआ डी – नोटीफाई
ग्वालियर के बड़े नेताओं के प्रयासों से मुरैना और श्योपुर जिले में 200 हेक्टेयर से अधिक संरक्षित क्षेत्र डी- नोटीफाई किया गया है। चंबल घडिय़ाल सेंचुरी से लगे 198 हेक्टेयर जमीन को डी-नोटीफाई किया गया। अब इसमें 9 रेत खदानें निकाली गई हैं। इसके अलावा इसी क्षेत्र में पार्वती नदी से लगे क्षेत्र में 9 हेक्टेयर जमीन डीनोटीफाई की गई है।