
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ प्रदेश सरकार अपने खजाने को खनिज रायल्टी से भरने की रणनीति पर काम कर रही है तो वहीं रेत ठेकेदार इस मामले में सरकार को लगातार झटके पर झटका दे रहे हैं। भिंड के बाद अब भोपाल और होशंगाबाद जिले के ठेकेदारों ने रेत खदानों को सरेंडर कर दिया है। इसकी वजह से सरकार को रेत खदानों के मामले में अब तक बड़ा झटका लग चुका है। दरअसल सरकार को सबसे ज्यादा रेत रॉयल्टी होशंगाबाद और भोपाल जिलों के रेत समूह के ठेकेदारों से ही मिलती है। बताया जा रहा है कि इन दोनों ही जिलों के रेत ठेकेदार अवैध रेत खनन करने वाले माफिया पर नकेल कसने के लिए सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से परेशान चल रहे थे। रेत ठेका सरेंडर किए जाने से अब इन दोनों जिलों के आसपास के करीब एक दर्जन जिलों में रेत का बड़ा सकंट खड़ा होने के आसार बन रहे हैं। हालात यह हैं कि बीते दो सालों में ही होशंगाबाद रेत खदानों का ठेके लेने वाले दो ठेकेदार सरेंडर कर चुके हैं। इसी तरह से खरगोन के रेत खदान समूह के ठेकेदार ने भी ठेका सरेंडर करने का प्रस्ताव सरकार को दिया है। यह बात अलग है कि सरकार द्वारा उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया है। प्रस्ताव ठुकराने के मामले में खनिज साधन विभाग ने ठेकेदार को कहा है कि वह पहले पुरानी बकाया राशि और रॉयल्टी जमा करे फिर आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। गौरतलब है कि विभाग द्वारा शिवपुरी, छतरपुर, रीवा, राजगढ़, रायसेन, धार, शाजापुर और आलीराजपुर जिले के रेत खदानों का ठेका आठ माह पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। इसके साथ ही अब तक पन्ना, भिंड और रतलाम जिले के ठेकदारों द्वारा पहले ही ठेके सरेंडर किए जा चुके हैं। आगर मालवा और उज्जैन जिले की रेत खदानें लेने के लिए ठेकेदार शुरू से ही रुचि नहीं ले रहे हैं जिसकी वजह से इन जिलों की खदाने नीलाम ही नहीं हो पा रही हैं। हालात यह हैं कि अब तक प्रदेश में करीब 15 खदानें सरेंडर या फिर सस्पेंड की जा चुकी हैं। इसके पहले जिन चार जिलों में ठेकेदार खदानें सरेंडर कर चुके हैं उनमें पन्ना, भिंड, शाजापुर और रतलाम जिले शामिल हैं। इन जिलों में ठेकेदारों ने अनुमान से कम आमदनी की वजह से अपनी रेत खदाने समर्पित की हैं।
नहीं हुई नीलामी
सरकार ने खदानों की नीलामी तहसील और ब्लॉक स्तर पर करने की नीति तैयार कर ली है, लेकिन अभी तक नीलामी नहीं हुई है। भोपाल और होशंगाबाद रेत खदानें सरेंडर होने के बाद कई जिलों में रेत का संकट और अवैध उत्खनन का कारोबार बढ़ जाएगा। जब लोगों को सहज और सुलभ रेत नहीं मिलेगी तो ब्लैक मार्केटिंग और चोरी से रेत का कारोबार तेजी से बढ़ेगा।
हाईकोर्ट का आदेश भी नहीं रुकवा पा रहा अवैध उत्खनन
भिंड जिले के बरैठी खुर्द में सरकारी रिकॉर्ड में श्मशान में दर्ज जमीन से रेत उत्खनन को लेकर पूर्व में हाईकोर्ट में केस लगाया गया था। हाईकोर्ट के आदेश पर उत्खनन करने के आरोपित पर केस पंजीबद्ध किया गया था, लेकिन इसके बावजूद अब फिर से इसी नंबर से रेत का उत्खनन किया जा रहा है। इस संबंध में कलेक्टर के यहां बरैठी खुर्द गांव निवासी योगेंद्र पुत्र राजेंद्र सिंह ने शिकायत भी की है। शिकायतकर्ता का कहना है कि जबलपुर हाईकोर्ट में केस संचालित है, लेकिन इसके बावजूद खनिज महकमा अवैध उत्खनन नहीं रोक रहा है।