
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बीते तीन चुनाव से जो राम वनगमन मार्ग चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनता रहा है, उसे अब भाजपा ने दरकिनार करते हुए सनातन का झंडा बुंलद करने का तय कर लिया है। अब इस मामले को लेकर भाजपा के रणनीतिकार आक्रामक होकर मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं। दरअसल सनातन का मुद्दा खुद विपक्ष ने भाजपा को चुनाव के समय हाथ में दिया है। यह हिंदुओं के लिए भावनात्मक रुप से बड़ा मुद्दा है। दरअसल के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटेे उदयनिधि स्टालिन की ओर से सनातन धर्म को लेकर दिए गए अनर्गल बयान पर देश भर में बवाल मचा है। इसके बाद जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष खडग़े के मंत्री पुत्र सहित कई अन्य लोगों ने उदय के बयान का समर्थन किया है, उसकी वजह से यह बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।
दरअसल प्रदेश में दो माह बाद विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में भाजपा ने इस मामले को अब चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाना तय कर लिया है। इसकी शुरुआत भी भाजपा मप्र की धरती से पूरे देश में करने जा रही है। राम वनगमन मार्ग के मामले में पिछड़ी भाजपा की शिव सरकार ने हालांकि प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में लोक बनाने की शुरुआत कर पहले ही जाता दिया था कि इस बार राम वनगमन मार्ग निर्माण की असफलता को पीछे छोड़ने के लिए धार्मिक लोकों का प्रचार प्रसार किया जाएगा, लेकिन इस बीच सनातन का मामला अनायस ही विपक्ष ने थमा दिया है। सनातन के मामले में को बड़े स्तर पर उठाने की शुरुआत 18 सितंबर को खंडवा के ओंकारेश्वर एकात्म धाम में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा के अनावरण समारोह से करने की तैयारी की जा रही है। दरअसल यहां पर देश की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित की जा रही है। इसका अनावरण करने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं। इस कार्यक्रम में चारों पीठों के शंकराचार्य भी आमंत्रित किए गए हैं। गौरतलब है कि आदि शंकराचार्य का प्राचीन भारतीय सनातन परंपरा के विकास और धर्म के प्रचार-प्रसार में अद्वितीय योगदान है। उन्होंने सनातन परंपरा को पूरे देश में फैलाने के लिए भारत के चारों कोनों में मठों की स्थापना की थी।
उधर, बीते चुनाव में सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच प्रमुख चुनावी मुद्दा रह चुका राम वन गमन पथ का मामला इस बार नेपथ्य में जाता हुआ दिखने लगा है। प्रदेश की भाजपा सरकार इस मामले को पीछे छोडऩे के लिए ही ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा की स्थापना के प्रचार-प्रसार पर पूरा जोर लगा रही है। अगर राजनैतिक विश£ेश्कों की माने तो सरकार की ओर से राम वन गमन पथ की बजाय ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण के प्रचार-प्रसार पर जोर देने की दो मुख्य वजहें हैं। पहली ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की मूर्ति के अनावरण से मप्र के साथ ही पूरे देश में सनातन धर्म के मुद्दे को ताकत मिलेगी। भाजपा का मानना है कि इसका फायदा पार्टी को विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव में होगा। दूसरी वजह है पड़ौसी राज्य छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार राम वन गमन पथ के विकास को लेकर वहां इतना काम कर चुकी है कि यदि मप्र सरकार इस दिशा में आगे बढ़ती भी है तो, कांग्रेस उसकी तुलना छत्तीसगढ़ से करेगी और भाजपा को बैकफुट पर जाना पड़ेगा।
चार माह बाद भी नहीं हुआ कोई काम
उल्लेखनीय है कि शिवराज कैबिनेट ने 4 मई, 2023 को श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास गठित करने का निर्णय लिया था। बैठक में तय किया गया था कि मुख्यमंत्री न्यास के पदेन अध्यक्ष होंगे। न्यास में 33 सदस्य होंगे। चार माह बाद भी इस मामले में कोई काम नहीं हो सका है। मान्यता है कि भगवान राम ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान 11 साल मप्र के जंगलों में बिताए थे। केंद्र सरकार ने शोध कराकर 249 श्रीराम वन गमन स्थलों की खोज की है। इनमें मध्य प्रदेश के 23 स्थल शामिल हैं। शिवराज सरकार ने पहली बार 01 अक्टूबर, 2007 को मध्यप्रदेश में राम वन गमन पथ विकसित करने की घोषणा की थी। उसके बाद से 15 माह का समय छोड़ दिया जाए तो प्रदेश में लगातार भाजपा की सरकार है, लेकिन इस मामले में धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है।