
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सरकार ने एक तरफ माफिया मुक्त मप्र बनाने का अभियान चला रखा है, वहीं दूसरी तरफ सहकारिता माफिया के रसूख के आगे सारे नियम-कानून ताक पर रख दिए गए हैं। राजधानी में संचालित गृह निर्माण समितियों में सदस्यों के साथ न सिर्फ धोखाधड़ी की गई है, बल्कि कर्ताधर्ताओं ने नक्शों में भी हेर-फेर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसका खुलासा होने के बाद जांच के निर्देश सहकारिता उपायुक्त को दिए गये थे। उपायुक्त को इसकी जांच रिपोर्ट एक माह में पेश करनी थी, लेकिन दो साल बाद भी न तो गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई हुई और न ही जांच पूरी की गई। दरअसल, सहकारिता माफिया के खिलाफ चलाए अभियान में टीएंडसीपी द्वारा ले-आउट उल्लंघन करने वाली 65 सोसायटियों की रिपोर्ट कलेक्टर को दी गई थी। इन गृह निर्माण समितियों में संचालक मंडल ने अपने हिसाब से प्लाटों के साइज बदल दिए। इसके अलावा 40 सोसायटी ऐसी हैं, जिनमें रहवासियों की सुविधा के लिए छोड़ी गई जमीनों तक में निर्माण कर डाला गया। समितियों के 30 फीसदी लोगों को अब तक प्लाट तक नहीं मिल सके हैं।
इसके लिए उन्हें सहकारिता विभाग के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। यह ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपनी जमा पूंजी प्लाट खरीदने के लिए समिति में जमा कर दी थी और सबसे पहले सदस्यता ली थी। इसके बाद भी इन सदस्यों को दरकिनार कर गैर सदस्यों और बिल्डरों को प्लाट बेच दिए गए।इस पर सदस्य आवाज उठाते भी हैं तो सहकारिता माफिया के रसूख के सामने सभी नियम-कायदे धरे रह जाते हैं। रोहित गृह निर्माण फेज टू में कॉम्पलेक्स, सामुदायिक भवन निर्माण की जगह बेच दी गई। नक्शे में इतना फेरबदल किया कि कई जगहों पर प्लॉटों के साइज ही छोटे हो गए। इसी तरह सर्वधर्म में भी सोसायटी की जमीन को बिल्डरों को बेच दी गई, जहां आज बड़ी-बड़ी कॉलोनियां खड़ी हो गई हैं। गौरव गृह निर्माण समिति में बिल्डर को जमीन बेच दी गई।
नक्शों में जमकर फेरबदल
शादाब गृह निर्माण, शिल्पी गृह निर्माण, समन्वय गृह निर्माण, गौरव गृह निर्माण, श्री राम गृह निर्माण, रोहित गृह निर्माण, एसबीआई स्टाफ हाउसिंग सोसायटी, आकांक्षा, कामधेनू, पंचसेवा, रोशन गृह निर्माण, गुलाबी गृह, प्रकाश गृह, सालेहा गृह निर्माण, ग्रीन लैंड, कावेरी, न्यू मित्र मंडल, महाकाली, सहित अन्य सोसायटियां ऐसी हैं, जहां पर नक्शों से छेड़छाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चार दर्जन से ज्यादा सोसायटियों के कई भू माफिया हैं, जो सैकड़ों पीडि़तों का हक मारे बैठे हैं। पीड़ित रोजाना विभाग में शिकायतें लेकर जाते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है। बता दें कि डेढ़ साल पहले मुख्यमंत्री ने सहकारिता विभाग को फर्जीवाड़ा करने वाली सोसायटियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसका फायदा गृह निर्माण समितियों के पदाधिकारियों ने उठाया और गैर सदस्यों और बिल्डरों को ऊंची कीमत पर प्लाट बेच दिए। माफिया के खिलाफ कार्रवाई के दौरान यह शिकायतें बड़े पैमाने पर आई थी, जिसकी बाद इसकी जांच शुरू कराई गई थी।
अध्यक्ष न रहने पर भी कर दी रजिस्ट्री
श्रीराम जनकल्याण गृह निर्माण सह संस्था मर्यादित की पूर्व अध्यक्ष सुशीला साहू ने पद से हटाए जाने के बाद भी तीन भूखंड की रजिस्ट्री कर दी। इनमें से एक भूखंड अपनी बेटी नाम कर दिया। वर्तमान में तीनों की कीमत करीब डेढ़ करोड़ रुपए है। कोलार पुलिस ने आवेदन के आधार पर आरोपी महिला के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक, साकेत नगर गोविंदपुरा निवासी अल्का तिग्गा (40) सहकारिता विभाग में सह निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें श्रीराम जनकल्याण गृह निर्माण संस्था का प्रशासक नियुक्त किया गया था। संस्था की अध्यक्ष श्रीमती सुशीला साहू को 2 जनवरी 2020 को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। इसके बाद भी सुशीला साहू ने 2 जुलाई 2020 को प्रेम नारायण राठौर को सर्वधर्म कोलार स्थित समिति का एक भूखंड दे दिया। इसी तरह विनोद राठौर को 7 अगस्त 2020 तथा अपनी बेटी पूजा साहू को 18 सितंबर 2020 को समिति की जमीन में से एक-एक भूखंड की रजिस्ट्री कर दी। जबकि सुशीला इसके लिए पात्र नहीं थी। पद पर न रहते हुए भी उन्होंने आर्थिक लाभ अर्जित करते हुए छलपूर्वक यह तीनों भूखंड की रजिस्ट्री कर दी थी।