
- अफसरशाही की कार्यप्रणाली पर फूटा गुस्सा, संगठन भी हतप्रभ
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव से पहले मंत्री, विधायकों से फीडबैक लेने की भाजपा संगठन द्वारा पहली बार की गई शुरुआत का सरकार व शासन की सेहत पर क्या असर होगा, यह तो भविष्य में ही पता चल सकेगा, लेकिन शिव गणों की रुदाली देखकर संगठन भी हतप्रभ रह गया। हालात यह रही कि जहां विधायकों ने जमकर शिकायतों का पिटारा खोल दिया तो वहीं मंत्री भी अपने विभागीय अफसरों द्वारा उनकी बात नहीं सुनने का रोना रोते नजर आए। इस दौरान वन टू वन में मंत्री, विधायकों ने संगठन से साफ कर दिया कि जिले में कलेक्टर और मंत्रालय में अफसर उनकी नहीं सुनते हैं। कई अफसर तो ऐसे हैं सो उनकी बात सुनना तो दूर मिलते तक नहीं हैं।
इसकी वजह से उनके इलाकों में काम होना तो दूर विभाग तक में कामकाज ठीक तरीके से नही हो पा रहा है। वहीं कुछ विधायकों ने अपने इलाके के राजनीतिक समीकरण भी पार्टी को समझाए। प्रदेश भाजपा कार्यालय में संभागवार विधायकों की यह बैठक आज दूसरे दिन भी जारी है। जनप्रतिनिधियों द्वारा इस वास्तविकता को जब बताया जा रहा था, तब राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव भी मौजूद थे। बीते रोज ग्वालियर-चंबल अंचल के अलावा महाकौशल के मंत्री-विधायकों से चर्चा की गई, जबकि आज भोपाल, होशंगाबाद, उज्जैन और इंदौर संभाग के विधायकों की बैठक हो रही है।
विधायकों से यह किए गए प्रश्न
पूछा गया कि वे कब जीते, कब हारे। क्षेत्र में सियासी मुद्दे क्या हैं। आदिवासियों में क्या फीडबैक है, चुनाव के लिए क्या कदम उठाने चाहिए। सरकारी योजनाओं का फीडबैक क्या है।
बताया विचारधारा की लड़ाई
महामंत्री शिव प्रकाश ने कहा कि आदिवासी को कांग्रेस व दूसरे लोग भ्रमित कर रहे हैं। उसे मूल निवासी नहीं कहते। कभी ऑस्ट्रेलिया का बताते, कभी दूसरी जगह का। ये जंग पार्टियों की नहीं, विचारधारा की है। सीएम शिवराज ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की जनहितैषी योजनाओं का प्रचार-प्रसार जनता तक होना चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत किया जाना है।
सरकारी योजनाओं से नहीं मिलती जीत
विधायक संजय पाठक ने इस दौरान कहा कि सरकारी योजनाओं से वोट नहीं मिलते हैं। उनके द्वारा अपने इलाके के एक गांव का हवाला देते हुए बताया गया कि हमने वहां 400 पीएम आवास दिए, लेकिन चुनाव में एक भी वोट नहीं मिला। इसी तरह से केवलारी विधायक राकेश पाल सिंह ने बताया कि आदिवासी कैम्पेन कितना भी चलाएं , लेकिन वास्तविकता यह है कि हमारे इलाके में गोंडवाना पार्टी चुनाव नहीं लड़े तो जीतना मुश्किल होता है। क्षेत्र में कितने ही काम किए, पर वोट कम मिले। गोंडवाना पार्टी लड़ेगी तो वोट बंट जाएंगे, वरना मुश्किल है। दोनों ही विधायकों ने यह तब कहा जब शिव प्रकाश और मुरलीधर राव ने जनजातीय गौरव दिवस, आदिवासी कैम्पेन और सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के असर के बारे में जानकारी ली। इस दौरान विधायकों को समझाइश व गाइडलाइन तो दी गई , लेकिन अफसरशाही पर कुछ नहीं कहा गया।
जब मंत्रियों ने ली आपत्ती
प्रदेश भाजपा कार्यालय में सीएम शिवराज सिंह और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा विधायकों की संयुक्त बैठक में जब मंत्री-विधायकों से नवाचार, कोरोना काल के काम, इन दिग्गज नेताओं ने संगठन के आगामी बैठकों-दौरों, विस्तारकों का कार्यक्रम थमाया गया तो गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अभी शादी-ब्याह हैं, तो ऐसे में कैसे काम होगा। शिव प्रकाश व राव ने कहा कि शादी-ब्याह तो चलते रहते हैं। ये काम तो करना ही है। तब नरोत्तम ने कहा कि इसके बाद पंचायत चुनाव आ जाएंगे, तब क्या होगा। मंत्री गोपाल भार्गव ने भी कहा कि पंचायत चुनाव में दिक्कत होगी। सीएम ने कहा कि तब इन कार्यक्रमों की तारीखों को आगे-पीछे कर लेंगे।
मंत्री ने बताया दर्द
बैठक के दौरान ग्वालियर -चंबल अंचल से आने वाले एक मंत्री ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उनके विभाग के एक प्रमुख सचिव ने ही उनका एक प्रस्ताव बीते एक साल से रोक रखा है। अनेक मंत्रियों ने अपने ही विभाग के प्रमुख सचिव की शिकायत की और कहा कि वे उनके कामों में अड़ंगा लगाते रहते हैं। इसके अलावा कुछ और अफसरों के भी बारे में मंत्रियों ने खुलकर अपनी बात रखी, वहीं, विधायकों का कहना था कि छोटे-मोटे तक विकास कामों में बेहद दिक्कतें आ रही है, जबकि पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव सामने है। उनका कहना है कि कोरोना की वजह से विकास राशि पर लगी पाबंदी को अब हटा दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि विकास के कार्य होंगे तो ही चुनाव जीत पाएंगे। जबलपुर-महाकौशल के विधायकों ने ज्यादा सीट होने पर भी क्षेत्र से मंत्री नहीं होने और संवाद की कमी जैसे मामलों को जोर शोर से रखा। विधायकों का कहना है कि ऐसे में क्षेत्र की समस्याएं जस की तस हैं। अठारह महीने बाद चुनाव हैं। यही हाल रहा तो चुनावों में काफी दिक्कत होगी। एक विधायक ने तो यहां तक कह दिया कि हम खून के आंसू रो रहे हैं, पर हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं है।
यह पूछा मंत्रियों से
–क्या बेहतर काम किया जो किया उससे संतुष्ट हैं।
–विभाग या क्षेत्र में क्या नवाचार किए, सरकार की योजनाओं को आम आदमी तक पहुंचाने के लिए क्या रणनीति बनाई।
–क्षेत्र में और विभाग में क्या नवाचार किए जा सकते हैं।