बीना पर रार…अब 56वें जिले के लिए लंबा इंतजार

  • जिला बनाने पर भाजपा में ही किचकिच
  • विनोद उपाध्याय
लंबा इंतजार

मप्र में बीना को 56वां जिला बनाने की संभावना बनी हुई है। लेकिन सागर जिले की बीना तहसील को जिला बनाने के मामले को लेकर जिस तरह सियासत गर्माई है और खुरई को जिला बनाने का मुद्दा उछाल दिया गया है उससे सरकार भी सहम गई है। सूत्रों का कहना है कि बीना और खुरई को लेकर जिस तरह भाजपा नेताओं में द्वंद देखने को मिल रहा है, उसको देखते हुए सरकार ने प्रदेश में फिलहाल नया जिला बनाने का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यानी अब प्रदेश में 56वें जिले के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। दरअसल इस मुद्दे पर पार्टी में ही मतभेद पैदा हो गए है। बीना को जिला बनाने पर भाजपा में ही किचकिच हो रही है। इस मुद्दे पर पार्टी के कुछ बड़े नेताओं का विरोध सामने आया है। दरअसल बीना को जिला बनाने में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र खुरई का भी पेंच फंसा है। बीना के जैसे ही खुरई तहसील को भी जिला बनाने की मांग दशकों पुरानी है। सागर जिले की ये दोनों तहसीलें पुरानी और विकसित तहसीलें हैं। दोनों तहसीलों में जिला बनाने की मांग पर कई दिनों से आंदोलन चल रहे हैं। बीना को जिला घोषित किए जाने पर खुरई की जनता नाराज होगी, जिससे भाजपा को खासा नुकसान हो सकता है। राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार यही कारण है कि पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह बीना को जिला बनाने का विरोध कर रहे हैं। जिला बनाने की मांग को लेकर खुरई में 3 सितंबर को बंद का आव्हान भी किया गया था। तब भी पार्टी के निर्देश पर भूपेंद्र सिंह ने दखल देकर ऐन वक्त पर बंद स्थगित करवा दिया था।
अब दो साल तक कोई नया जिला नहीं
अपने शहर को जिला बनाने की मंशा पाले नेताओं को अब झटका लग सकता है। सरकार अगले दो सालों तक अब किसी भी नए जिलों के गठन का ऐलान नहीं करेंगी। ऐसा 2026 में विधानसभा सीटों का नए सिरे से होने वाले परिसीमन को देखते हुए किया जा रहा है। विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन होने के बाद ही अब विधायकों की मांगों विचार किया जाएगा। हालांकि सरकार विधायकों की मांग पर इन क्षेत्रों में नई नगर परिषद और तहसीलों का ऐलान करेगी। सबसे ताजा मामला बीना का है। बीना की कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने इसी शर्त पर भाजपा ज्वाइन की थी कि बीना को जिला बनाया जाए। उन्होंने भाजपा ज्वाइन करते वक्त एक दर्जन मांगों की लिस्ट सीएम और संगठन को सौंपी थी। बताया जाता है कि उस समय संगठन ने उन्हें निगम मंडल में पद देने की भी पेशकश की थी पर उन्होंने बीना जिला बनाने की मांग को ही प्रमुखता से रखा था। भाजपा ज्वाइन करने के बाद भी सप्रे ने अभी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है। वे चाहती थी कि मुख्यमंत्री अपने दौरे के समय बीना को जिला बनाने का ऐलान करें और उसके बाद वे मंच से इस्तीफे की घोषणा करें। मुख्यमंत्री का चार सितम्बर को बीना का दौरा था, पर उनके पिता के देहांत के कारण यह दौरा टल गया है। इसके पहले दो सितम्बर को सीएम हाऊस में बीना उपचुनाव को लेकर हुई बैठक में साफ कर दिया गया था कि केन्द्र सरकार ने अब नए परिसीमन तक किसी भी नए शहर को जिला बनाने के लिए कहा है।
तीन और जिला बनाने की मांग
गौरतलब है कि बीना के अलावा गुना जिले के चाचौड़ा, उज्जैन के नागदा और छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव को भी जिला बनाने की मांग लंबे समय से चल रही है। चाचौड़ा को जिला बनाए जाने को लेकर तो कई बार धरना-प्रदर्शन हो चुके है। इन प्रदर्शन में पूर्व कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह शामिल हुए थे। वे चाचौड़ा को जिला बनाए जाने की वकालत कर रहे है। वहीं नागदा के जनप्रतिनिधि भी  नागदा को जिला बनाने को लेकर लंबे समय से सरकार से आग्रह कर रहे हैं। जुन्नारदेव को लेकर भी भाजपा के ही नेता जिला बनाने की मांग कर रहे है। गौरतलब है कि सरकार ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले पार्ढुना, मऊगंज और मैहर को जिला बनाने का ऐलान किया था। इसके बाद से ही इन शहरों को जिला बनाने की मांग ने ज्यादा और पकड़ा है।
परिसीमन के बाद नया जिला
नए परिसीमन और जनगणना के बाद ही अब किस शहर को जिला बना सकते हैं इस बारे में तय किया गया जाएगा। हालांकि इसके पीछे सियासी कारण भी बताएं जा रहे हैं। बीना के साथ खुरई को जिला बनाने की मांग भी लंबे समय से उठ रही है। पांच दशक पुरानी मांग के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि खुरई बीना से भी पुरानी तहसील है जबकि बीना को 1982 में तहसील का दर्जा मिला था। यहां के विधायक और पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह भी चाहते है कि खुरई को जिला बनाया जाए। उन्होंने इस क्षेत्र में पिछले तीन दशक में विकास के भी काफी काम कराए हैं। खुरई में जिला बनाने को लेकर संघर्ष समिति का भी गठन किया गया है जिसने सीएम के दौरे के ठीक एक दिन पहले यानी तीन सितम्बर को खुरई बंद का आव्हान भी किया था। हालांकि सीएम हाउस में बैठक के बाद भूपेन्द्र सिंह ने संघर्ष समिति के लोगों से बात कर बंद टलवा दिया था। अब बीना विधानसभा के मंडीबामौरा में नगरपरिषद और खिमलासा का तहसील का दर्जा मिल सकता है। इस पर दो सितम्बर को हुई बैठक में सहमति चन गई है।

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