जीरो बेस्ड बजटिंग के साथ बनेगा रोलिंग बजट

रोलिंग बजट
  • वित्त विभाग ने जारी किया बजट चर्चा का शेड्यूल
    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम

    मप्र सरकार पहली बार तीन साल का रोलिंग बजट तैयार करेगी। प्रदेश की दीर्घकालिक विकास रणनीति- विकसित मध्य प्रदेश 2047 पर केंद्रित वर्ष 2026-27, वर्ष 2027-28 एवं वर्ष 2028-29 के लिए त्रिवर्षीय रोलिंग बजट तैयार किया जाएगा। बजट पर चर्चा के लिए वित्त विभाग ने शेड्यूल जारी कर दिया है। इसके लिए 15 सितंबर से 30 सितंबर तक विभागवार बैठकें होंगी। 31 अक्टूबर को नई योजनाओं के प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाएंगे और एक अक्टूबर से 15 नवंबर तक द्वितीय चरण की चर्चा की जाएगी। बता दें कि इससे पहले बजट निर्माण में 28 से 31 जुलाई तक विभागीय प्रशिक्षण और प्रारंभिक चर्चा की जा चुकी है। इसके अलावा इस बार भी राज्य सरकार द्वारा शून्य आधार बजटिंग की प्रक्रिया को जारी रखते हुए वित्तीय अनुशासन और परिणाम आधारित बजट निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है। शून्य आधार बजटिंग प्रणाली से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि हर योजना के पीछे ठोस उद्देश्य हो, उसका समाज पर प्रभाव दिखे और प्रत्येक व्यय राज्य की विकास प्राथमिकताओं से मेल खाता हो।
    रोलिंग बजट एक ऐसी वित्तीय योजना है, जिसमें आगामी 3 साल के लिए बजट बनाया जाता है, लेकिन यह हर साल अपडेट होता है। यानी पहले वर्ष की समाप्ति के साथ अगले वर्ष के लिए नया अनुमान जोड़ दिया जाता है, जिससे योजना हमेशा ‘फॉरवर्ड-लुकिंग’ बनी रहती है। उदाहरण के तौर पर अगर 2026-27, 2027-28 और 2028-29 के लिए रोलिंग बजट तैयार किया गया है, तो 2026-27 के खत्म होते ही 2028-29 का अनुमान जोड़ दिया जाएगा और योजना फिर अगले तीन साल के लिए अपडेट हो जाएगी। वहीं जीरो बेस्ड बजटिंग में बजट अनुमान शून्य से शुरू किए जाते हैं। शून्य आधारित बजट में गत वर्षों के व्यय संबंधी आंकड़ों को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। इस प्रणाली में कार्य इस आधार पर शुरू किया जाता है कि अगली अवधि के लिए बजट शून्य है। शून्य आधार बजटिंग प्रक्रिया के अंतर्गत विभाग द्वारा ऐसी योजनाओं को चिन्हांकित किया जा सकेगा, जो वर्तमान में अपनी उपयोगिता खो चुकी है और जिन्हें समाप्त किया जा सकता है। मप्र सरकार ने पहली बार 2025-26 का बजट जीरो बेस्ड बजटिंग प्रक्रिया से तैयार किया था।
    इस बार बजट की तैयारियां पहले ही शुरू
    वित्त विभाग ने वित्तीय वर्ष 2026-27 के बजट निर्माण की तैयारियां शुरू कर दी हैं। चूंकि इस बार जीरो बेस्ड बजटिंग प्रक्रिया से बजट तैयार करने के साथ ही रोलिंग बजट भी बनाया जाएगा, इसलिए विभाग पिछले वर्षों की तुलना में इस साल बजट की तैयारियां जल्दी शुरू कर रहा है। पहली बजट चर्चा 15 सितंबर से शुरू होगी। वित्त विभाग ने पहली बजट चर्चा का शेड्यूल जारी कर दिया है। बजट चर्चा 15 सितंबर से शुरू होकर 29 सितंबर तक चलेगी। निर्धारित शेड्यूल के अनुसार वित्त विभाग के अपर सचिव व उप सचिव अन्य विभागों के अपर सचिव, उप सचिव रैंक के अधिकारियों और विभागाध्यक्षों के साथ विभागवार बजट की तैयारियों पर चर्चा करेंगे। इस संबंध में सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश भी जारी किए गए हैं। प्रथम बजट चर्चा के बाद 31 अक्टूबर तक विभागों को नई योजनाओं के प्रस्ताव भेजना होंगे। एक अक्टूबर से 15 नवंबर तक द्वितीय चरण की चर्चा होगी। निर्धारित शेड्यूल के अनुसार पहले दिन 15 सितंबर को योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी, आनंद, प्रवासी भारतीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वन, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा और ऊर्जा विभाग के अधिकारी बजट पर चर्चा करेंगे। ऐसे ही अंतिम दिन 29 सितंबर को नगरीय विकास एवं आवास, कुटीर एवं ग्रामोद्योग व जनजातीय कार्य विभाग के अधिकारी बजट पर चर्चा करेंगे।
    इस बार बजट की तैयारियां पहले ही शुरू
    वित्त विभाग ने वित्तीय वर्ष 2026-27 के बजट निर्माण की तैयारियां शुरू कर दी हैं। चूंकि इस बार जीरो बेस्ड बजटिंग प्रक्रिया से बजट तैयार करने के साथ ही रोलिंग बजट भी बनाया जाएगा, इसलिए विभाग पिछले वर्षों की तुलना में इस साल बजट की तैयारियां जल्दी शुरू कर रहा है। पहली बजट चर्चा 15 सितंबर से शुरू होगी। वित्त विभाग ने पहली बजट चर्चा का शेड्यूल जारी कर दिया है। बजट चर्चा 15 सितंबर से शुरू होकर 29 सितंबर तक चलेगी। निर्धारित शेड्यूल के अनुसार वित्त विभाग के अपर सचिव व उप सचिव अन्य विभागों के अपर सचिव, उप सचिव रैंक के अधिकारियों और विभागाध्यक्षों के साथ विभागवार बजट की तैयारियों पर चर्चा करेंगे। इस संबंध में सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश भी जारी किए गए हैं। प्रथम बजट चर्चा के बाद 31 अक्टूबर तक विभागों को नई योजनाओं के प्रस्ताव भेजना होंगे। एक अक्टूबर से 15 नवंबर तक द्वितीय चरण की चर्चा होगी।
    बजट स्वीकृति के पहले हर योजना का होगा मूल्यांकन
    प्रत्येक योजना के लिए यह स्पष्ट करना आवश्यक होगा कि उस पर खर्च क्यों किया जा रहा है, उसका लाभ किसे होगा और उसका सामाजिक व आर्थिक असर क्या होगा। इस प्रक्रिया में गैर-प्रभावी योजनाओं को समाप्त करने और समान प्रकृति की योजनाओं को एकीकृत करने पर भी विचार किया जाएगा। बजट निर्माण के लिए दिसंबर और जनवरी में मंत्री स्तरीय बैठकें आयोजित की जाएंगी। 31 मार्च 2026 को समायोजन प्रस्तावों की अंतिम तिथि रखी गई है। वेतन, भत्ते और स्थायी व्यय की भी गणना अलग होगी। विभागों को अपने स्थायी खर्चों जैसे वेतन, पेंशन, भत्तों की गणना करते समय विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष के वेतन में तीन प्रतिशत वार्षिक वृद्धि जोड़ी जाएगी। जिन विभागों को भारत सरकार से सीधे फंड प्राप्त होता है, उन्हें वह राशि भी बजट प्रस्ताव में दर्शानी होगी। इसके अलावा, आफ-बजट ऋण, प्रोत्साहन योजनाओं का वित्तीय असर, और नवीन योजनाओं की स्वीकृति की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि बजट की तैयारी के लिए जो आईएफएमआईएस प्रणाली अपनाई गई है, उसमें तय समय के बाद प्रविष्टि की अनुमति नहीं दी जाएगी। विभागों को निर्देशित किया गया है कि वे सभी प्रस्ताव निर्धारित समय-सीमा में दर्ज करें और विभागीय बैठक के पूर्व पूरी जानकारी तैयार रखें।

Related Articles