
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग विभाग के प्रस्ताव पर मप्र सरकार द्वारा अब तक कोई रुख अख्तियार नहीं करने की वजह से प्रदेश के कई प्रमुख शहरों में बनाए जाने वाले रिंग रोड की रुपरेखा तैयार करने का काम शुरू नहीं हो पा रहा है। दरअसल यह विभाग चाहता है कि मप्र के बड़े और प्रमुख शहरों में रिंग रोड के लिए राज्य सरकार विभिन्न तरह के करों में 25 फीसद तक की छूट दे।
प्रदेश सरकार इसके लिए तैयार नही हैं इसकी वजह है कि यह राशि राज्य सरकार के ही खजाने में आती है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में विभाग के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी कह चुके हैं कि अगर राज्य सरकार 25 प्रतिशत जमीन और टैक्स में छूट का फॉर्मूला मंजूर कर ले तो वे इंदौर, जबलपुर सहित सभी प्रमुख शहरों के बायपास रिंगरोड बनवाने के लिए तैयार हैं। इससे आमजन की यात्रा और सुखद हो जाएगी।
यह आता है निर्माण खर्च
60 मीटर चौड़ी एक किमी सड़क बनाने पर करीब 20 करोड़ रुपए का खर्च आता है। सड़क जंगल, गांव या शहर के बीच बनाना हो तो 23 से 24 करोड़ खर्च आता है। एक किमी फोरलेन सड़क के लिए करीब 15 एकड़ भूमि अधिग्रहण की जाती है। सरकार 25 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण करती है तो 4 किमी. के लिए 15 एकड़ भूमि देनी होगी। संबंधितों को जमीन का दोगुना मुआवजा देना होता है।
गिट्टी से बढ़ती है लागत
गिट्टी की रॉयल्टी सड़क निर्माण की लागत करीब दोगुना कर देती है। मटेरियल में 12 प्रतिशत एसजीएसटी और सीजीएसटी देना होता है। सारे टैक्स माफ होने पर सड़क निर्माण लागत आधी रह जाती है। ठेकेदार जहां अपने प्लांट, डंपिंग स्टेशन, कार्यालय, टोल बूथ बनाते हैं वहां उन्हें एकड़ों में जमीन की जरूरत होती है। रजिस्ट्री करानी पड़ती है। स्टाम्प-शुल्क भी देना पड़ता है। गिट्टी की रॉयल्टी 120 रुपए प्रति घन मीटर है। फोरलेन सड़क बनाने में गिट्टी, मुरुम और पत्थरों का भी उपयोग होता है।
इनमें चाहता है विभाग राहत
केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग विभाग गिट्टी, भूमि ट्रांसफर रजिस्ट्री, पानी, बिजली सहित अन्य टैक्स में छूट/माफ कराना चाह रहा है। टैक्स माफ, करने से राज्य सरकार को राजस्व नहीं मिलेगा। जमीन देना भी इतना आसान नहीं होगा। सब कुछ देने के बाद भी ये सड़कें सरकार के अधीन होंगी। यहां से मिलने वाला टैक्स भी केंद्र के पास ही जाएगा।