चिकित्सा शिक्षकों की पेंशन के नाम पर हर साल हो रही 54 करोड़ की धांधली

चिकित्सा शिक्षकों

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए एक शिकायती पत्र के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। इस पत्र में हर साल प्रदेश के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों के चिकित्सा शिक्षकों की पेंशन के नाम पर हर 54 करोड़ रुपए की धांघली किए जाने का उल्लेख किया गया है। खास बात यह है कि यह बीते चार सालों से निरंतर जारी है। पत्र में कहा गया है कि इसे 2018 से अंजाम दिया जा रहा है। इसमें अब तक करीब दो सौ करोड़ रुपए की धांधली की जा चुकी है। यह खुलासा चिकित्सा शिक्षकों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में किया गया है। पत्र में दी गई जानकारी के मुताबिक प्रदेश के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों में पदस्थ चिकित्सा शिक्षकों से राष्ट्रीय पेंशन योजना (नेशनल पेंशन स्कीम)के नाम पर हर महीने मूल वेतन की 10 फीसदी राशि काट ली जाती है। फिल्हाल प्रदेश में लगभग तीन हजार  चिकित्सा शिक्षक हैं, जिनके वेतन से हर साल 27 करोड़ 20 लाख रुपए काटे जा रहे हैं। पेंशन में इतनी ही राशि सरकार को मिलानी होती हैं। जो करीब 54 करोड़ रुपए होती है। 2018 से अब तक करीब एक अरब 8 करोड़ 88 रुपए काटे जा चुके हैं। नियम के मुताबिक इतनी ही राशि सरकार को जमा करनी थी। इस हिसाब से अब तक 2 अरब 17 करोड़ रुपए से ज्यादा रुपए जमा होने थे। यह राशि 2018 में तत्कालीन प्रमुख सचिव द्वारा दिए गए निदेर्शों के बाद काटी जा रही है। खास बात यह है कि इसके बाद भी आज तक किसी का राष्ट्रीय पेंशन योजना का खाता तक नहीं खुलवाया गया है। इसकी वजह से इस राशि का क्या हो रहा है और कर्मचारी को कैसे मिलेगी अब तक किसी को भी पता नहीं है। बताया गया है कि यह राशि चिकित्सा महाविद्यालयों के अध्यक्ष (डीन) के पास सावधि जमा में जमा करने के मौखिक आदेश दिए गए थे। इसके बाद से ही राशि कटी जा रही है। इसकी वजह से हालात यह हो गए हैं कि इंदौर चिकित्सा महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. रामशरण रायकवार की कोरोना से मौत हो गई। इसकी वजह से आर्थिक जरूरतों के लिए परिवार ने जब इस योजना की राशि के लिए आवेदन किया, तो विभाग से अब तक कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद चिकित्सा शिक्षकों द्वारा सरकार को पत्र भी लिखा गया , लेकिन अब तक उसका उत्तर तक नहीं मिल सका है।
क्या कहता है नियम
2005 में केंद्र द्वारा इसे अनिवार्य योजना के रूप में लागू किया गया था। इसमें मूल वेतन का 10 फीसदी कर्मचारी के वेतन से और उतनी ही राशि सरकार को कर्मचारी के  पेंशन योजना खाते में जमा करानी होती है। इस राशि पर हर माह चक्रवृद्धि ब्याज भी मिलता है। जिसका फायदा सेवानिवृत्ति के बाद मिलेगा। इस प्रावधान के तहत मप्र में प्रोफेसर के मूल वेतन से 11471 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से एक साल में 1,37,652 रुपए काटे गए। इस तरह 427 प्रोफेसरों की वेतन से एक साल में 1, 5,87,77404 रुपए काटे गए। इसी तरह से एसोसिएट प्रोफेसर की वेतन से हर माह 11229 रुपए के हिसाब से हर साल 1,34,748 रुपए काटे गए। प्रदेश में 723 एसोसिएट प्रोफेसर हैं, जिनकी वेतन से एक साल में 9,74,22,804 रुपए काटे गए। इसी तरह से असिस्टेंट प्रोफेसर की वेतन से हर माह 6195 रुपए के हिसाब से एक साल में 74340 रुपए काटे गए। प्रदेश में 1179 असिस्टेंट प्रोफेसर से प्रतिवर्ष 8,76,46,860 रुपए लिए गए। इसी तरह से डेमोंस्ट्रेटर के पद पर कार्यरतों की वेतन से हर माह 5357 रुपए के हिसाब से प्रतिवर्ष 64284 रुपए काटे।
प्रदेश में 532 डेंमोंस्टे्रटर के एक साल में 3,41,99,088 रुपए काटे गए। इस हिसाब से एक साल में कुल 27,20,46,156 रुपए काटे गए। सरकार को भी इतनी ही राशि मिलानी थी, इस हिसाब से करीब 54 करोड़ रुपए जमा होने थे खाते में। अगर चार सालों की बात की जाए तो 2018 से अब तक करीब 1,08,81,84,624 राशि काटी गई। नियमानुसार इतनी ही राशि सरकार को मिलानी थी, जिससे वह रकम 2,17,63,69,248 होती है।
यह जताई जा रही आशंका
चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय का कहना है कि हमारे वेतन से इस योजना के नाम पर हर माह तय राशि कटती है। लेकिन उसे कहां जमा किया जाता है , किसी को पता नहीं। नियमानुसार इतनी ही राशि सरकार को भी देना होती है। लेकिन अब तक हम सभी को पेंशन खाता तक नहीं खुलवाया गया है इसकी वजह से इसमें  बड़ी गड़बड़ी की आशंका बनी हुई है। उधर गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. जितेन शुक्ला का कहना है कि राष्ट्रीय पेंशन योजना की राशि राष्ट्रीय पेंशन योजना के खाते में नहीं एक अलग एफडी के रूप में जमा होती है। शासन के आदेश हैं, सभी कर्मचारियों की जानकारी एकत्रित की जा रही है। इसके बाद खाते खुलेंगे और प्रान नंबर भी जारी किए जाएंगे। प्रक्रिया अभी चल रही है।

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