
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से बचने के लिए लागू की गई पाबंदियों की वजह से कार्यालयों के कई महत्वपूर्ण काम प्रभावित हुए हैं। कोरोना काल में प्रदेश के मंत्रालय वल्लभ भवन, सतपुड़ा और विंध्याचल भवन में सन्नाटा पसरा रहा। यहां दस फीसदी अधिकारी भी दफ्तरों में नहीं पहुंचे। कर्मचारियों के बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव होने से लोगों में डर बैठ गया। हालांकि उसके बाद शासन ने भी उपस्थिति में छूट दे दी। ऐसे में कार्यालयों में रोजाना चलने वाली फाइलें तो थम ही गई, वहीं कई विभागों में महत्वपूर्ण काम भी अटक गए हैं। कार्यालयों में आम लोगों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में लोगों के काम अटके हुए हैं और वे कोरोना की पाबंदियों के पूरी तरह से हटने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला प्रदेश में संचालित होने वाली निजी सुरक्षा एजेंसियों के लाइसेंस नवीनीकरण और नए लाइसेंस जारी किए जाने का भी है। दरअसल यह काम गृह विभाग को करना है। लेकिन कोरोना दूसरी लहर के दौरान लगाए गए कर्फ्यू की वजह से यह काम भी लगभग ठप है। यही वजह है कि निजी सुरक्षा एजेंसी संचालक लाइसेंस नवीनीकरण कराने के लिए पिछले एक साल से भटक रहे हैं। दरअसल नई निजी सुरक्षा एजेंसी के संचालन के लिए लाइसेंस बनाने की जिम्मेदारी कुछ समय पूर्व ही गृह विभाग दी गई है। निर्धारित समय अवधि पूरी होने पर लाइसेंस का नवीनीकरण भी गृह विभाग को ही करना है। जबकि नए लाइसेंस और नवीनीकरण के लिए पूर्व की व्यवस्था ही लागू रहेगी। इसके तहत कंपनी में कार्यरत सुरक्षा कर्मचारियों का चरित्र सत्यापन, कंपनी आदि का सत्यापन पुलिस मुख्यालय के माध्यम से संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक द्वारा कराए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा निजी सुरक्षा अभिकरण विनियमन अधिनियम 2005 बनाया गया है। केंद्र सरकार ने हाल ही में इसकी व्यवस्था में बदलाव किया है। नए प्रावधान के तहत निजी सुरक्षा एजेंसियों के लिए कंट्रोलिंग अथॉरिटी राज्य के गृह सचिव को बनाया गया है। हालांकि निजी सुरक्षा एजेंसियों के निरीक्षण का कार्य पहले की ही तरह पुलिस मुख्यालय की संबंधित शाखा ही करती रहेगी।
अब तक चार बार बदल चुकी है व्यवस्था
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार द्वारा पिछले साल ही चौथी बार निजी सुरक्षा एजेंसियों के नियंत्रण की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। पूर्व में पुलिस मुख्यालय की निजी सुरक्षा एजेंसी शाखा द्वारा नई एजेंसियों को लाइसेंस जारी करना और लाइसेंस नवीनीकरण का काम किया जाता था। लेकिन अब नए बदलाव के बाद इस शाखा के पास सिर्फ निरीक्षण का काम बचा है। दरअसल राज्य में निजी सुरक्षा एजेंसियां चलाने के लिए निजी सुरक्षा अभिकरण विनियमन अधिनियम 2005 बना हुआ है। पूर्व में इन एजेंसियों का पंजीकरण लाइसेंस का नवीनीकरण एवं निरीक्षण पुलिस मुख्यालय ही करता था। उसके बाद वर्ष 2010 में राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर निजी सुरक्षा एजेंसियों के लिए कंट्रोलिंग अथॉरिटी आईजी कानून व्यवस्था पुलिस मुख्यालय को नियुक्त किया था। बाद में मई 2013 में पुन: बदलाव करते हुए एडीजीपी राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल एवं निजी सुरक्षा एजेंसी पुलिस मुख्यालय को कंट्रोलिंग अथॉरिटी नियुक्त कर दिया गया। उसके बाद ढाई साल पहले फिर से इसमें बदलाव कर राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल और निजी सुरक्षा एजेंसी को अलग अलग कर दोनों शाखाओं में अलग-अलग एडीजीपी कन्ट्रोलिंग अथॉरिटी बनाए गए। वहीं अब डेढ़ साल पहले केंद्र सरकार द्वारा अधिनियम में बदलाव किया गया और निजी सुरक्षा एजेंसियों का कन्ट्रोलिंग अथॉरिटी राज्य के गृह सचिव को नियुक्त कर दिया गया है।