
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कुछ समय पहले तक मप्र के जो नेता भारतीय जनता पार्टी के चमकदार चेहरे रह चुके हैं, उनमें से अधिकांश इन दिनों अपने आप को पार्टी व सरकार में न केवल उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अपने भविष्य की चिंता भी सता रही है। इसकी वजह से वे विचलित भी बने हुए हैं। अब ऐसे नेताओं के लिए संगठन ने नई जिम्मेदारी यूपी चुनाव की सौंपने की पूरी तैयारी कर ली है। यह वे नेता हैं जो चुनावी सामाजिक समीकरणों पर भी फिट बैठते हैं और उसकी हिन्दुत्व वाली लाइन में भी आते हैं। दरअसल उप्र में छह माह बाद होने वाले आम चुनाव के लिए भाजपा अभी से चुनावी मोड में आ गई है। जिन नेताओं को यूपी में चुनावी जिम्मेदारी दी जा रही है उनमें उमा भारती से लेकर जयभान सिंह पवैया तक के नाम बताए जा रहे हैं।
यह सभी नेता उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पक्ष में चुनावी प्रचार में बतौर सरदार मोर्चा सम्हालेगें। किस नेता को कब और कहां कैसे मैदान में उतारना है, इस पर मंथन और चिंतन का दौर संगठन स्तर पर जारी है। इस बीच इन सभी को यूपी चुनाव के लिए वहां जाने का लक्ष्य दे दिया गया है।
पार्टी सूत्रों की माने तो इसके लिए पार्टी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उमा भारती, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और वीरेंद्र कुमार को तो अभी से उप्र में सक्रिय रहने को कह दिया है, जबकि पार्टी उमा भारती , प्रज्ञा ठाकुर और जयभान सिंह पवैया को भी प्रचार की मैदानी जिम्मेदारी देने जा रही है। इन नेताओं को उन इलाकों में भेजा जाएगा, जो मध्य प्रदेश के सीमाई इलाके में तो आते ही हैं और जो जातिगत समीकरणों में बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस मामले में पार्टी नेताओं का कहना है कि पार्टी ने यूपी के चुनाव में पहले भी मध्य प्रदेश के नेताओं को बेहद अहम जिम्मेदारी दी थी। अब भी जहां पार्टी जहां जो जिम्मा देगी उसे पूरी तरह से निर्वाह किया जाएगा। पहले भी चुनाव में प्रदेश के नेता यूपी में असरदार साबित हो चुके हैं और इस बार भी होगें।
इस तरह से मिलेगी जिम्मेदारी
यूपी चुनाव के लिए पार्टी को अपने ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड के बड़े नेताओं पर अधिक भरोसा है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को छोड़ दें तों 2019 के लोकसभा चुनाव के कांग्रेस के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी ने यूपी में उतारने की तैयारी की है। इसी तरह से जातिगत समीकरणों को साधने के लिए केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार, प्रहलाद पटेल और उमा भारती को तो हिन्दुत्व के लिए उमा भारती के अलावा प्रज्ञा और जयभान सिंह का उपयोग किया जाएगा। इसी तरह से ठाकुर बाहुल्य इलाकों में नरेन्द्र सिंह तोमर को भेजा जाएगा। दरअसल यह वे नेता हैं जो चुनावी प्रबंधन में कुशल माने जाते हैं।
ब्लॉक और नगर स्तर पर लेगे सभाएं
वैसे तो यूपी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका सबसे प्रमुख रहना तय है। इसके बाद बड़़े नेताओं को कस्बों तक में भेजने की तैयारी की जा रही है। इनमें उन्हें जिला, ब्लॉक, नगर परिषद स्तर तक सभाएं व रोड शो करने भेजा जाएगा। इसी तरह से पार्टी अन्य प्रदेशों के हिंदी भाषी बेल्ट के प्रभावी नेताओं को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी देने जा रही है। इसी वजह से यूपी में मप्र के भाजपा नेताओं की भूमिका चुनाव प्रचार में अहम मानी जा रही है।
पहले भी मिलती रही है जिम्मेदारी
गौरतलब है कि मप्र के कई नेताओं को पहले भी दूसरे राज्यों में चुनावी जिम्मेदारी संगठन की तरफ से दी जाती रही है। हाल ही में कुछ माह पहले बंगाल में हुए आम विधानसभा चुनाव में भी मप्र के कैलाश विजयवर्गीय के अलावा नरोत्तम मिश्रा और प्रहलाद पटेल को भी जिम्मा सौंपा गया था। इसी तरह से यूपी में बीते विस चुनाव में भी गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को कानपुर के अलावा बुंदेलखंड की कई सीटों का जिम्मा सौंपा गया था। पार्टी की कोशिश है कि झांसी-आगरा बेल्ट की कई सीटों पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे का इस्तेमाल किया जाए।
