14 दिन की जगह तीन माह में मिल रही रिपोर्ट, जांच हो रही बेमानी साबित

बेमानी साबित

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में मिलावट के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियान बेमानी साबित हो रहे हैं। इसकी वजह है, जब तक लिए गए नमूनों की जांच रिपोर्ट आती है, तब तक खाद्य सामग्री करा विक्रय होकर उपयोग ही हो चुका होता है। दरअसल जांच रिपोर्ट के लिए वैसे तो 14 दिन का समय तय है , लेकिन प्रदेश में हालत यह है कि तीन -तीन माह में जांच रिपोर्ट आती है। प्रदेश में जांच के मामलों में किस तरह की लापरवाही चल रही है, इससे ही समझी जा सकती है कि दीपावली के समय लिए गए सात हजार सेंपल में से अब भी तीन हजार को जांच का इंतजार बना हुआ है।
जांच रिपोर्ट आने के बाद उसके आधार पर की जाने वाली कार्रवाई में भी समय लगता है। इसकी वजह है,सरकारी सिस्टम की कार्यप्रणाली। ऐसे में सेंपल लेकर की जाने वाली जांच का औचित्य ही समाप्त हो जाता है। दरअसल, इसकी सबसे बड़ी वजह है सैंपल की जांच करने वाले एनालिस्टों की कमी होना। हालात यहां तक बनते हैं कि जांच रिपोर्ट आ भी जाती है तो एनालिस्ट के हस्ताक्षर नहीं होने की वजह से रिपोर्ट अटक जाती है। गौरतलब है कि पूरे प्रदेश के सैंपल रिपोर्ट भोपाल में ही तैयार की जाती है। भोपाल स्थित खाद्य सुरक्षा प्रशासन की राज्य स्तरीय लैब में सामान्य दिनों में प्रदेश भर से हर माह एक हजार से अधिक सैंपल जांच के लिए आते हैं। 14 दिन में रिपोर्ट देने का नियम है, जबकि अभी जांच में तीन से छह माह लग रहे हैं। खाद्य सुरक्षा प्रशासन ने अपना काम करने के लिए कुछ सैंपल निजी लैब को देना शुरू किया है। लेकिन इसके बाद भी रिपोर्ट बड़ी संख्या में अटकी हुई हैं।
निजी लैब भी नहीं उतर रहीं खरी
सैंपल रिपोर्ट में तेजी के लिए चार निजी लैबों से अनुबंध किया गया है। लेकिन निजी लैब भेजे गए सैंपलों की रिपोर्ट भी महीनों अटकी रहती हैं। इस पर विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। राज्य स्तरीय लैब में एनालिस्ट के आठ पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में सिर्फ दो ही काम कर रहे हैं। अब नई लैबों के आने के बाद एनालिस्टों की संख्या बढ़ेगी।
अभी तक चालू नहीं हो सके नवनिर्मित फूड लैब
प्रदेश में सैंपलों की जांच को बढ़ाने के लिए तीन फूड लैब का काम शुरू किया जाना था। इसमें इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की लैब शामिल हैं। तीनों लैब को शुरू करने के लिए 28 फरवरी 2023 की डेडलाइन तय की थी, लेकिन अभी तक लैब का काम पूरा नहीं हो सका है। डेडलाइन भी अगस्त तक बढ़ाई गई। लेकिन लैब शुरू नहीं हो सकी। जानकारी के अनुसार अब तीन जनवरी को इंदौर की लैब का उद्घाटन है, जबकि जबलपुर की लैब में सभी उपकरण आ चुके हैं। इन्हें चालू किया जाना है। वहीं सबसे पीछे ग्वालियर है, यहां पर भवन का काम हुआ है। बिजली फिटिंग से लेकर अन्य कार्य शेष रह गए हैं। जबलपुर व ग्वालियर की लैब को शुरू होने में करीब दो माह का समय लगेगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है चुनावी कार्य और आचार संहिता के चलते इस काम में देरी हो रही है।

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