4 साल बाद भी ठंडे बस्ते में मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट

मंदसौर गोलीकांड
  • न्यायिक जांच की तत्परता पर भारी पड़ रही कार्रवाई की सुस्ती

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। किसी भी गंभीर घटना की जांच के लिए जिस तत्परता से न्यायिक जांच आयोग गठित होते हैं, उनकी रिपोर्ट पर कार्रवाई में उतनी ही सुस्ती बरती जाती है। सन 2008 से अब तक विभिन्न घटनाओं की जांच के लिए गठित सात आयोगों ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, लेकिन इनमें से एक पर ही कार्रवाई हो पाई है, बाकी ठंडे बस्ते में है। इन्हीं में से एक है मंदसौर गोलीकांड। मंदसौर गोलीकांड में मारे गए किसानों की मौत के मामले की जांच के लिए गठित जैन आयोग की रिपोर्ट चार साल गुजर जाने के बावजूद सार्वजनिक नहीं की गई है। इस मामले में पूर्व विधायक पारस सखलेचा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। यह याचिका हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दायर की गई है, जिसकी सुनवाई जस्टिस विवेक रूसिया व जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ कर रही है। गौरतलब है कि मंदसौर जिले के पिपलिया मंडी में छह जून 2017 को किसान आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होने के बाद गोली चालन की घटना हुई थी। इस घटना में पांच किसानों की मौके पर मौत हो गई थी। इस मामले की जांच के लिए गठित जस्टिस जेके जैन की अध्यक्षता वाली आयोग ने 2018 को राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंप दी थी। जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3 के अनुसार शासन का यह दायित्व है कि छह महीने के अंदर जांच आयोग द्वारा की गई रिपोर्ट में अनुशंसा के आधार पर कार्रवाई करे और इस कार्रवाई से  राज्य सरकार मामले की जांच से विधानसभा को अवगत कराए। जैन आयोग की ओर से शासन को रिपोर्ट दिए हुए चार साल दो महीने से ज्यादा का समय हो गया था। लेकिन अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार ने रिपोर्ट भी विधानसभा में पेश नहीं की है। इसको लेकर विधानसभा में विधायकों ने अलग-अलग सवाल भी लगाए गए थे। इस पर सरकार ने जवाब भी अलग- अलग दिए हैं।
विस में पेश नहीं की गई रिपोर्ट
मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने अध्ययन करने, विश्लेषण करने और कार्रवाई प्रचलन में होने का हवाला दिया है। बावजूद इसके रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की गई है। सखलेचा ने इसको लेकर हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की है। सखलेचा के वकील प्रत्यूष मिश्रा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जो रिपोर्ट छह महीने में सार्वजनिक होनी चाहिए, वह 50 महीने से ज्यादा का वक्त गुजर जाने के बावजूद सार्वजनिक नहीं की गई है। उन्होंने कहा, हाईकोर्ट रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए राज्य सरकार को निर्देशित करे। विधानसभा सचिवालय की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग को बार-बार पत्र लिखा जा रहा है, इसके बावजूद रिपोर्ट नहीं भेजी गई है। हाईकोर्ट की युगलपीठ ने राज्य सरकार से तीन महीने में रिपोर्ट की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।
सात जांच आयोग में से एक में कार्रवाई
बता दें कि प्रदेश में 2008 से 2017 के बीच घटित हुई गंभीर घटनाओं की जांच के लिए 7 जांच आयोग गठित हुए हैं, जिनमें से एक की ही रिपोर्ट विधानसभा में रखी गई। बाकी 6 में सरकार का जवाब है कि कार्यवाही प्रचलन में है। जबकि जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3 (4) में साफ तौर पर कहा गया है कि आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होने पर  सरकार को छह महीने में दोषियों पर कार्रवाई कर रिपोर्ट विधानसभा में रखना जरूरी होगा। अभी तक सरकार ने पेटलावद में मोहर्रम जुलूस को रोके जाने की घटना के लिए गठित जांच आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होने पर दोषियों पर कार्रवाई कर जांच प्रतिवेदन विधानसभा में रखा है।  हाल ही में लटेरी गोलीकांड की जांच के लिए आयोग का गठन किया गया है। विधानसभा में सरकार द्वारा विभिन्न मामलों में दिए जवाब के अनुसार कई आयोगों की रिपोर्ट पर कार्यवाही प्रचलन में है। इनमें नगर निगमों में पेंशन घोटाले की जांच के लिए आयोग 8 फरवरी 2008 को गठित किया गया। जस्टिस एनके जैन आयोग ने रिपोर्ट 15 सितंबर 2012 को सरकार को सौंप दी। मौजूदा स्थिति में सामाजिक न्याय विभाग में कार्यवाही प्रचलन में है। भिंड गोली चालन में 12 जुलाई 2012 को न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया। जस्टिस सीपी कुलश्रेष्ठ की रिपोर्ट गृह विभाग को 17 जनवरी 2018 को भेजी गई, तब से कार्यवाही प्रचलन में है। भोपाल यूनियन कार्बाइड में जहरीली गैस रिसाव मामले में जांच आयोग 25 अगस्त 2010 को गठित किया गया।  जस्टिस एसएल कोचर ने रिपोर्ट 24 फरवरी 2015 को सौंप दी। इस पर गैस राहत विभाग में कार्रवाई प्रचलित है।  ग्वालियर में मुठभेड़ में मौत पर ज. कुलश्रेष्ठ की रिपोर्ट 9 जनवरी 2017, पेटलावद विस्फोट पर ज. 4 सक्सेना की रिपोर्ट 6 अप्रैल 2016 और मंदसौर गोली कांड में ज. जैन की रिपोर्ट 14 जून 2018 को गृह विभाग को भेजी थी। आयोगों की रिपोर्ट पर कार्रवाई न होने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका लगाने वाले पूर्व विधायक पारस सकलेचा का कहना है कि आयोग का गठन सच्चाई जानने के लिए होता है, लेकिन यहां सरकार इसलिए रिपोर्ट विधानसभा में नहीं रख रही है जिससे दोषियों के नाम सामने न आ सकें।

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