
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं पैतिृक रुप से किसान हैं। यही वजह है कि वे किसानों की पीड़ा समझते हैं। इसकी वजह से ही उनके लगातार 17 सालों के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में किसानों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। यही वजह है कि अब मध्यप्रदेश में किसानों को राहत दर राहत मिल रही है, फिर मामला सिंचाई को हो या फिर फसल खरीदी का।
अब एक बार फिर किसानों को शिव सरकार ने बड़ी राहत दी है। यह राहत फसल बीमा राशि से कर्ज वसूली न करने के रुप में दी गई है। यही नहीं किसानों के बैंक खातों के संचालन में भी बड़ी राहत दी गई है। इसके लिए हाल ही में आदेश जारी कर दिए गए हैं। जारी आदेश में कहा गया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा की राशि से किसानों के कर्ज की वसूली नहीं की जाएगी। कालातीत और मध्यावधि में परिवर्तित ऋण के अलावा कोई वसूली नहीं की जा सकती है। चालू ऋण के समायोजन के लिए पहले किसान से सहमति लेनी होगी। इसके आधार पर ही राशि काटी जाएगी। यदि बीमा राशि से कोई अतिरिक्त राशि काटी गई है तो उसे वापस किसानों के खाते में जमा करना होगा। गौरतलब है कि प्रदेश में इस बार 49 लाख 85 हजार 24 किसानों को खरीफ 2020 और रबी 2020-21 का सात हजार 618 करोड़ रुपये से अधिक का फसल बीमा मिला है। यह राशि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी किसानों के खातों में सिंगल क्लिक के माध्यम से अंतरित कर दी। इस राशि से जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अपने ऋण की वसूली कर रहे थे।
इसकी वजह से पहले से ही फसल नष्ट होने की वजह से आर्थिक मार का सामना कर है किसानों की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही थीं। गौरततलब है कि मध्य प्रदेश में 4536 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों से 76.22 लाख किसान जुड़े हैं। इन प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के माध्यम से किसानों को ब्याज रहित कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए राशि मिलती है। इस तरह इन सहकारी बैंकों एवं समितियों की मदद से खरीफ और रबी सीजन में हर साल 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का ऋण 40.02 लाख किसानों को दिया जाता है। खाद और बीज की व्यवस्था भी इन्हीं के माध्यम से की जाती है।
उपार्जन में गड़बड़ी पर लगाम कसेंगे नोडल अधिकारी
प्रदेश में 25 मार्च से गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद प्रारंभ होगी। इसमें पात्र किसानों से गुणवत्तायुक्त उपज की खरीद सुनिश्चित करने के लिए पूरे प्रदेश में दतिया की तर्ज पर व्यवस्था होगी। इसके तहत प्रत्येक उपार्जन केंद्र पर दो-दो नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। इनका काम किसान से ऋण पुस्तिका खाते की नकल की छायाप्रति प्राप्त करना, आधार कार्ड और पंजीयन संबंधी दस्तावेज लेकर जांच करना होगा। वे किसानों की खरीदी संबंधी शिकायतें सुनकर निराकरण करेंगे। वहीं उपज की गुणवत्ता की जांच भी करेंगे। क्योंकि अधिकांश किसान डिफाल्टर नहीं थे। नियम भी यही है कि कालातीत और मध्यावधि में परिवर्तित ऋण की वसूली की फसल बीमा की राशि से की जा सकती है। चालू खाते से वसूली करने का प्रावधान नहीं है। इसके बाद भी बैंक कार्रवाई कर रहे थे।