प्रदेश की आधा दर्जन सड़कों पर मिलेगी टोल वसूली से राहत

 टोल वसूली

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां पर अफसर आम लोगों की परवाह न करते हुए ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने की चिंता करने में लगे रहते हैं। ऐसे एक नहीं कई मामले लगातार सामने आते रहते हैं। इसी तरह का एक मामला बीते लंबे समय से लगातार सामने आने के बाद अब सरकार ने एबीओटी के तहत बनाई गई उन सात सड़कों पर लोगों को टोल के भुगतान करने से राहत देने की कवायद शुरू की है, जिन पर लागत से कई गुना अधिक वसूली होने के बाद भी अब भी टोल लिया जा रहा है। यह वे सड़कें हैं जिनका निर्माण एक दशक पहले किया गया था। इसके बाद भी अफसर इन सड़कों पर टोल वसूली को रोकने के लिए कोई कदम उठाने की जहमत नहीं उठा रहे थे। दरअसल इस तरह के फायदे के लिए अफसर योजना बनाते समय ही इस तरह की अवधि का निर्धारण कर देते हैं, जिससे किआम आदमी की जेब कटती रहे और ठेकदारों को अधिकतम मुनाफा हो सके।
अब इस मामले में खुद सरकार को ही आगे आना पड़ा है। फिलहाल इस तरह की सात सड़कों को चिहिन्त किया गया है। इनमें कई सड़कें तो ऐसी पाई गई हैं, जिनकी लागत से चार गुना अधिक तक टोल की राशि की वसूली पहले ही की जा चुकी है, लेकिन उनकी टोल वसूली की सीमा अभी आगे दो दशक तक की बची हुई है। अब सरकार स्तर से इन सभी सातों सड़कों की निर्माण लागत से लेकर उन पर अब तक की गई टोल वसूली की जानकारी मांगी गई है। इसके आधार पर  समीक्षा करने के बाद टोल समाप्त करने का फैसला किया जाएगा।
इन सड़कों पर मिल सकती है राहत
 मप्र की जिन सड़कों पर टोल से राहत मिल सकती है उनमें भोपाल-देवास, लेबड़-जावरा, जावरा-नयागांव, मंदसौर-सीतामऊ, ग्वालियर-भिंड-इटावा वाली सड़कें शामिल हैं। इन सड़कों से ठेकेदारों को हर साल लगभग 350 करोड़ रुपए की कमाई हो रही है।  यह  प्रदेश की उन 61 प्रमुख सड़कों में शामिल हैं, जिनका निर्माण मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन ( एमपीआरडीसी) द्वारा कराया गया है। जिनमें से 10 से ज्यादा ऐसी हैं जिन्हें बनाने के लिए ठेकेदारों ने बैंकों से जो कर्ज लिया था उससे ज्यादा वसूली कर चुके हैं। हालांकि इन सड़कों को बनवाए जाने के समय जो शर्तें तय की गई हैं, उसके हिसाब से अभी 7 से 23 साल तक और इन सड़कों पर वाहनों से टोल की वसूली होना है। यह मामला हाल ही में अधोसंरचना विकास को लेकर हुई बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने आया था, जिसके बाद ही इन सड़कों की रिपोर्ट मांगी गई है।
की जाएगी पुनर्गणना
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के हिसाब से जिन टोल की वसूली हो चुकी है, उस मार्ग की पुनर्गणना करने के बाद सरकार टोल समाप्त कर सकती है। इसमें फिजिब्लिटी रिपोर्ट पर तैयार किए गए इंटरनल रेट आफ रिटर्न की पड़ताल की जाएगी। इसमें यह भी देखा जाएगा कि जब टोल लागत वसूली जा चुकी है तो टोल खत्म क्यों नहीं किया गया। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या इस मामले में दोषी अफसरों पर भी कोई कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही यह सवाल खड़ा हुआ है कि जिन अफसरों की वजह से वाहन चालाकों की जेब पर पर यह टोले भारी पड़ रहा  है उन्हें किस तरह से राहत मिलेगी।  

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