
- प्रदेश के नगरीय निकायों को सरकार का निर्देश
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में प्रदूषण घटाने और हरियाली बढ़ाने के लिए सरकार ने एक अनोखा फार्मूला तैयार किया है। इस फार्मूले के तहत प्रदेश के सभी 407 नगरीय निकायों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र में प्रदूषण घटाएं और अतिरिक्त बजट पाएं। सरकार का मानना है कि इससे निकायों में प्रतियोगिता का भाव जगेगा और प्रदूषण कम होगा। सरकार की नई नीति के तहत प्रदेश के सभी 407 नगरीय निकायों को वर्तमान प्रदूषण और उत्सर्जित होने वाले कार्बन की स्थिति का अध्ययन कराना होगा। वर्तमान स्थिति से धीरे-धीरे कार्बन और प्रदूषण कम करने पर उन्हें सरकार अतिरिक्त बजट देगी। इसके साथ ही उन्हें हरियाली भी बढ़ानी होगी। इसके लिए सिटी फॉरेस्ट, पार्कों के रख-रखाव और पौधरोपण पर कार्ययोजना तैयार करनी होगी। निकाय कार्बन उत्सर्जन जितना कम करेंगे और कार्बन संचय की क्षमता बढ़ाएंगे उतना ही उन्हें अतिरिक्त बजट दिया जाएगा।
स्मार्ट सिटी इंदौर के जरिए होगा अध्ययन
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने सभी कलेक्टरों को निकायों में कार्बन संचय क्षमता, कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण कम करने, इसका अध्ययन स्मार्ट सिटी इंदौर के जरिए कराने के लिए कहा है। यह कार्य उन्हें एक साल में कराना होगा। कार्बन कम नहीं करने वाले निकायों पर कार्रवाई भी होगी। इसके लिए उन्हें कचरा जलाने, बिजली खपत को कम करने, पुराने वाहनों को शहर से बाहर करने, ई-व्हीकल के उपयोग को बढ़ावा देने और साफ-सफाई को वैज्ञानिक तरीके से करने के लिए कार्ययोजना तैयार करनी होगी।
देना होगा पौधरोपण का प्लान
निकायों को प्रति वर्ष हरियाली के आंकड़े बताने होंगे। गत वर्ष हरियाली और पौधरोपण की क्या स्थिति थी और वर्तमान में क्या है। अगले वर्ष का भी पौधरोपण का प्लान देना होगा। इसी के चलते सरकार ने मकान बनाने के नक्शे को पास करने पौधरोपण जरूरी किया है। वहीं कार्बन उत्सर्जन करने वाले उद्योगों और संस्थाओं पर विशेष तौर पर फोकस किया जाएगा। कचरा कलेक्शन के बाद उसे वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने और उसे कमाई का जरिया भी बनाना होगी। इसकी भी मॉनीटरिंग की जाएगी कि कचरे में लोग आग न लगाएं, इसके लिए खाली प्लॉटों की सफाई पर कार्य किया जाएगा। कचरे में आग लगाने वालों पर जुमार्ना भी लगाया जाएगा। वहीं जिन क्षेत्रों में बड़े आवास, बहुमंजिला भवन बनाए जा रहे हैं, वहां निकलने वाली धूल, धुआं की मॉनीटरिंग की जाएगी, जिससे कम से कम कार्बन उत्सर्जित हो सके।