जेलों में बंद कैदियों की सजा का जल्द दें रिकॉर्ड

 सजा
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, जेल अधीक्षकों के लिए नया फरमान

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की जेलों में बंद कैदियों की सजा का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। जेल मुख्यालय ने इसके लिए सभी जेल अधीक्षकों को इसके निर्देश दिए हैं। जेल मुख्यालय ने सभी जेल अधीक्षकों से एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। जेल मुख्यालय ने यह निर्देश हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए 25 लाख रुपए के मुआवजा आदेश के बाद दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब मप्र जेल विभाग ने सभी जेल अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि जेलों में सजा काट रहे दोषियों की सजा की समीक्षा की जाए। हर कैदी को कितनी सजा सुनाई गई है और उसकी कितनी सजा अवधि अभी बाकी है, इसका रिकॉर्ड तैयार करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा ऐसे कितने कैदी हैं, जो सजा की अवधि खत्म होने के बाद भी जेलों में बंद हैं। जेल मुख्यालय के डीजी वरूण कपूर द्वारा जारी निर्देश में सभी जेल अधीक्षकों से एक हफ्ते में रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में रेप के दोषी को सजा अवधि से ज्यादा समय तक जेल में रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 25 लाख रुपए मुआवजे का आदेश दिया है। इसके बाद अब मप्र की सभी जेलों में बंद कैदियों की सजा और वास्तविक जेल अवधि की समीक्षा की जाएगी। जेल अधीक्षकों से कहा गया है कि हर कैदी को मिली सजा की जांच करें और बताएं कि ऐसे कितने कैदी हैं जो सजा अवधि पूरी होने के बाद भी जेल में हैं। जेल मुख्यालय ने एक हफ्ते में प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक और जेल अधीक्षकों से इसकी रिपोर्ट मांगी है। जेल अधीक्षकों को चेतावनी भी दी गई है कि अगर इस तरह की गड़बड़ी पाई गई तो इसके लिए जेल अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। जेल मुख्यालय ने सभी जेल अधीक्षकों को चेतावनी दी है कि यदि किसी तरह की गड़बडी की गई, तो इसकी जिम्मेदारी जेल अधीक्षक की ही होगी। मप्र की जेलों में 21 हजार से ज्यादा कैदी हैं। इनमें से करीबन 14 हजार ने अपनी सजा के खिलाफ हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की हुई है। जेल मुख्यालय ने कहा है कि विभिन्न अपराधों में सजा काट रहे कैदियों के दस्तावेजों की जांच कर सुनिश्चित करें।
कोर्ट ने इसलिए दिया मुआवजा आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को सागर स्थित खुरई के रहने वाले सोहन सिंह उर्फ बब्लू के मामले में मध्य प्रदेश सरकार पर जुर्माना लगाया है। सोहन सिंह को 2005 में सागर जिले की खुरई अदालत ने दुष्कर्म, घर में घुसपैठ और धमकी देने के मामलों में दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि 2017 में मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने अभियोजन पक्ष की कमियों को देखते हुए उम्रकैद की सजा को 7 साल कर दिया था। इसके सजा की सीमा निकलने के बाद भी उसे जेल से रिहा नहीं किया गया और 4 साल 7 महीने तक उसे जेल में रखा गया। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए 25 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। प्रदेश में करीब 21,000 सजायाफ्ता कैदी हैं, जिनमें से लगभग 14,000 ने अपनी सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर कर रखी हैं। जेल अधिकारियों के अनुसार सभी जेल अधीक्षकों को सभी सजायाफ्ता कैदियों के दस्तावेजों की गंभीरता से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि कैदियों की सजा पूरी करने की तारीखों की जांच करें। किसी भी कैदी को तय तारीख और मैच्योरिटी डेट से पहले छुट्टी नहीं दी जाएगी। डीजी जेल वरुण कपूर की ओर से जारी आदेश में अफसरों से कहा गया है कि वे ऐसे कैदियों की उपस्थिति की जांच करें, जिनकी सजा अवधि पूरी हो चुकी है और वे अभी भी किसी कारण से जेल में हैं। प्रदेश की हर जेल में एक कियोस्क मौजूद है, जहां पुलिस अधीक्षक और अन्य कर्मचारी ऐसे मामलों का विवरण देख सकते हैं और निर्णय ले सकते हैं। जेल कर्मचारी किसी विशेष मामले या कैदी के बारे में दस्तावेजों और जानकारी की अनुपलब्धता का बहाना नहीं बना सकते। इसमें उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के अधीन सभी मामलों का विवरण उपलब्ध है।

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