
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में जिन चार सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें से तीन सीटें तो ऐसी हैं जिनमें आदिवासी मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। इनमें से खंडवा लोकसभा व जोबट विधानसभा की सीट पर तो पूरी तरह से इस वर्ग के मतदाताओं द्वारा ही हार जीत का फैसला किया जाता है। इसकी वजह से ही भाजपा व कांग्रेस इनका साथ पाने के लिए हर संभव प्रयास कर कर रहीं हैं। अब इन्हें लुभाने के लिए दोनों ही दलों द्वारा रामायण तक का सहारा लिया जा रहा है।
सत्तारुढ़ दल होने की वजह से भाजपा द्वारा इनके लिए तमाम तरह की विकास की योजनाओं का लालीपॉप दिया जा रहा तो साथ ही धर्म का सहारा भी लेने से पीछे नहीं रह रही है। ठीक इसी तर्ज पर अब कांग्रेस भी उन्हें साथ जोड़ने के लिए धर्म का सहारा लेने में पीछे नहीं रहना चाहती है। भाजपा द्वारा अब आदिवासी वर्ग को लुभाने के लिए आदिवासी इलाकों में रामलीला की तर्ज पर शबरी लीला का आयोजन करने की तैयारी कर ली गई है। आदिवासियों को लुभाने के लिए बीजेपी द्वारा यह नया दांव चला जा रहा है। भाजपा इस दांव से उपचुनाव के साथ ही आगामी आम विधानसभा के लिए पकड़ बनाना चाहती है। कांग्रेस से उपचुनाव में मिल रही कड़ी चुनौति की वजह से ही भाजपा को आदिवासी समाज के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए भगवान राम और वनवासी समाज से आने वाली उनकी अनन्य भक्त शबरी को आगे लाना पड़ रहा है। योजना के तहत भाजपा ने प्रदेश के आदिवासियों का साथ पाने के लिए प्रदेश के 89 ब्लॉकों में रामलीला के साथ ही शबरी लीला के मंचन की योजना तैयार की है। इसकी शुरुआत भी इंदौर जिले के महू से की जा चुकी है।
कांग्रेस व जयस को प्रभाव होगा कम
भाजपा के रणनीतिकारों का मानना हे कि उपचुनावी क्षेत्रों में शामिल खंडवा, जोबट और रैगांव में आदिवासियों का बड़ा वोट बैंक है। इन इलाकों में बीजेपी को कांग्रेस के अलावा आदिवासियों के संगठन जयस (जय युवा आदिवासी संगठन) की भी चुनौती बनी हुई है। इसकी वजह है इन इलाकों में जयस का प्रभाव भी तेजी से बड़ रहा है। लिहाजा भाजपा रामलीला के जरिए आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कांग्रेस के अलावा नए नवेले जयस संगठन की भी काट ढूंढ़ना चाहती है। यही वजह है कि बीजेपी रामायण में प्रभु राम के साथ जुड़े रहे शबरी और निषादराज जैसे किरदारों के जरिए आदिवासियों का साथ पाने के प्रयासों में लग गई है।