
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश मे राम पथ गमन मार्ग का काम बीते डेढ़ दशक बाद भी शुरु नहीं हो पाया है। इस मामले में समय-समय पर चर्चा तेज होती है, लेकिन फिर वो एकदम से शांत हो जाती है। यह बात अलग है कि इसको लेकर चुनाव के समय दोनों राजनैतिक दल जरुर दावे व वादे करने लगते हैं। अगर बीते डेढ़ दशक की बात की जाए तो कांग्रेस जरुर इस मामले में सरकार बनने पर गंभीर होती दिखी थी, लेकिन सरकार गिरते ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब हालत यह है कि चुनावी साल में प्रदेश सरकार ने ट्रस्ट की जगह श्री रामचंद्र पथ गमन न्यास गठन का निर्णय जरुर लिया है, लेकिन इस निर्णय को हुए चार माह का समय हो चुका है, लेकिन उसमें सदस्यों के नाम अब तक तय नहीं हो पाए है। जिसकी वजह से न्यास द्वारा इसका रोडमेप बनाने का काम ही शुरु नहीं हो पा रहा है। ये प्रोजेक्ट कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए कई बार से चुनावी स्टंट बन चुका है। चुनाव से पहले दोनों राजनीतिक दल इस प्रस्ताव को हवा देना करना शुरू कर देते हैं। हालात यह है कि ये मामला 14 वर्षों से चर्चा में तो आता है , लेकिन जमीन पर कुछ नहीं होता है। श्रीरामचंद्र पथ गमन ट्रस्ट को बैठक कर धर्म के जानकारों और शोधार्थियों की एक कमेटी भी बनाना है, जो यह तय करेगी कि भगवान राम मध्यप्रदेश में किस रास्ते से होकर निकलते थे। इनके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को भी चिंहित किया जाएगा। इन स्थलों का इंफ्रास्टक्चर, संस्कृति और अंतस जुड़ाव पर काम किया जाएगा। इसके साथ ही जगह – उस स्थल के महत्व के शिलालेख भी लगाए जाना है। दरअसल बीते चुनाव से पहले शिव सरकार ने इस मामले को धर्मस्व विभाग को दे दिया था, जिसने बाद में लंबे समय बाद इसे संस्कृति विभाग को भेज दिया था।
16 साल से है इंतजार
राम वनगमन पथ बनाने की घोषणा भाजपा सरकार ने वर्ष 2007 में की थी। इसके बाद इस मामले को चुनाव के समय ही याद किया गया। 2018 में कांग्रेस ने इस मामले को अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। सरकार बनने पर इसके लिए बीस करोड़ रुपए का बजट प्रावधान भी किया गया , लेकिन सरकार गिरने के बाद यह मामल एक बार फिर से ठंडे बस्ते में चला गया था। बाद में बीते साल इस मामले को कैबिनेट में लाकर श्री रामचंद्र पथ गमन न्यास को मंजूरी दी गई। जिसमें तय किया गया कि न्यास के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। न्यास में 33 सदस्य होंगे। इसमें 28 पदेन न्यासी सदस्य होंगे। अशासकीय न्यासियों का अधिकतम कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। न्यास का काम वनवास के समय श्री राम के प्रदेश से गुजरी जगहों का सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विकास करना है। केंद्र सरकार ने प्रदेश में 23 ऐसे स्थल को चिन्हित किया है। न्यास में 5 अशासकीय न्यासी सदस्य नामांकित किए जाएंगे, जो भगवान श्री राम के शोध और अध्ययन कार्य से जुड़ेंगे।