
केंद्र से मिली राशि में से एक नया पैसा भी उपयोग नहीं हुआ जिले में
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। नीति आयोग द्वारा 4 साल पहले घोषित आकांक्षी (पिछड़े) जिलों में विकास की गति दिखाई देने लगी है। लेकिन इनमें शामिल मप्र का राजगढ़ जिला आज भी पिछड़ा हुआ साबित हो रहा है। दरअसल, राजगढ़ पहला ऐसा जिला है जो केंद्र सरकार से मिली राशि में से एक नया पैसा भी उपयोग नहीं कर सका। जिले को तालाब निर्माण में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरी बार प्रोजेक्ट मिला है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा परफॉर्मेंस देने में बड़वानी जिला सबसे आगे है। इसके बावजूद एक भी जिला अबतक पिछड़ा होने का कलंक नहीं मिटा पाया है।
गौरतलब है कि चैंपियन ऑफ चेंज डेल्टा रैंकिंग तय करने के लिए पांच व्यापक पैरामीटर तय किये गए हैं। इसमें से मुख्य रूप से स्वास्थ्य और पोषण क्षेत्र में अच्छा काम को 30 फीसदी, शिक्षा को 30 फीसदी, कृषि और जल संसाधन को 20 फीसदी, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास को 10 फीसदी और इंफ्रास्ट्र अंक दिये जाते हैं। इन पैरामीटर पर प्राप्त अंक के आधार पर रैंकिंग की जाती है।
3 करोड़ व्यय करने का दावा
गौरतलब है कि चार साल पहले देश के 112 आकांक्षी (पिछड़े) जिलों में प्रदेश के आठ जिलों को शामिल किया गया था। देश के 112 जिले आकांक्षी जिले घोषित किए गए हैं। इन जिलों को पिछड़ेपन से बाहर निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है। योजना की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई। इसके बाद से इन जिलों में आगे निकलने की होड़ है। मध्यप्रदेश के चयनित सभी आठ जिले राष्ट्रीय स्तर पर अपनी रैकिंग सुधारने का दावा कर रहे हैं परन्तु केंद्र से मिलने वाली राशि का उपयोग करने में राजगढ़ जिला शून्य है। बड़वानी जिले ने सबसे ज्यादा राशि उपयोग की है। राजगढ़ जिले के कलेक्टर हर्ष दीक्षित कहते हैं कि केंद्र से एक साल देर से राशि मिलती है। जिले को दो चरणों में राशि मिली। अभी तक 3 करोड़ रुपए व्यय हो चुके हैं। आने वाले चार माह में पूरी राशि का उपयोग होगा। वित्तीय क्षेत्र में अच्छा काम हुआ। जीवन सुरक्षा योजना में 75 प्रतिशत तक सुधार हुआ है। 58 तालाब निर्माण के लिए प्रोजेक्ट मंजूर हुआ है। पहला जिला है कि तालाब निर्माण में हमें देश में दूसरी बार शामिल किया गया । राष्ट्रीय स्तर पर हमारा परफॉर्मेंस लगातार सुधर रहा है।
अच्छे परफॉर्मेंस पर मिलती है अलग राशि
देशभर के चयनित आकांक्षी जिलों के उन क्षेत्रों में तेजी से परिवर्तन करना है, जो नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता या आर्थिक उत्पादकता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य और पोषण, स्कूली शिक्षा, आधारभूत अवसंरचना, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेश और कौशल विकास पर अधिक फोकस किया जाता है। प्रावधान किया गया है कि अगर कोई जिला तय छह बिंदुओं में किसी भी एक में राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा परफॉर्मेंस करता है तो उस जिले को अलग से तीन करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इस राशि के लिए केन्द्र को नया प्रोजेक्ट देना होता है। इस क्रम में बड़वानी जिले को अबतक 14 करोड़ रु. आवंटित हुए और इसमें 13 करोड़ जारी हुए। जिले ने दस करोड़ रुपए खर्च करने का रिकॉर्ड बनाया है। वहीं राजगढ़ जिले का नाम 8.35 करोड़ की मिली राशि में एक नया पैसा खर्च नहीं होने की सूची में है। बड़वानी जिले के तत्कालीन कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा के अनुसार जिले ने केंद्र से प्राप्त राशि में सर्वाधिक उपयोग किया है। जिले में स्वास्थ्य को लेकर आशातीत सुधार आया है। संस्थागत प्रसव 55 से 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है। टीकाकरण में 91 प्रतिशत सफलता मिलने पर पीएम मोदी ने जिले का नाम राष्ट्रीय स्तर पर लिया था। जिले में कुपोषण में काफी कमी आई है। सभी तय छह उद्देश्यों में हेल्थ और पोषण में कई बार राष्ट्रीय स्तर पर परफॉर्मेस को सराहा गया है।