मप्र से अवैध रूप से काटी गई सागौन वनोपज का संग्रहण गढ़ बना राजस्थान

सागौन वनोपज
  • वन विभाग के प्रतिवेदन में मैदानी अमले ने किया खुलासा

भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम। टिंबर माफिया ने मप्र के सीमावर्ती राजस्थान के इलाकों को अपने कारोबार का मुख्य अड्डा बना लिया है। माफिया द्वारा हर महीने करीब एक करोड़ कीमत की सागौन पेड़ों की कटाई की जाती है। राजस्थान का मनोहर थाना बीनागंज रेंज से 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। चूंकि अंतर्राज्यीय सीमा के नियमों के कारण वन विभाग का अमला कार्रवाई करने में अक्षम है। सूत्रों की माने तो टिंबर माफियाओं को सत्ता के रसूखदारों का संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि पिछले एक दशकों से यह सिलसिला जारी है। प्रदेश के विभिन्न जंगलों से अवैध रूप से काटी गई सागौन इमारती लकड़ी का संग्रहण राजस्थान के मनोहर थाना क्षेत्रों में किया जा रहा है। हथियारबंद सागौन के तस्कर 25 से 50 मोटरसाइकिल में सवार होकर हर दिन  मनोहर थाना के आसपास इलाकों में इमारती लकड़ी पहुंचा रहे हैं। यह तस्कर किन रास्तों से होते हुए राजस्थान के मनोहर थाना पहुंचते हैं, इसकी जानकारी वन विभाग एवं पुलिस प्रशासन को पता है फिर भी तस्करों को पकड़ने की कोई सख्त कदम नहीं उठा रहे है।   यह खुलासा लटेरी कांड के बाद वन विभाग के प्रतिवेदन से हुआ है। माफियाओं द्वारा वर्षों से लटेरी के जंगलों से सागौन की अवैध कटाई की जा रही है। सागौन के तस्करों द्वारा लटेरी के जंगलों से सागौन की कटाई करने के बाद 25 से 50 मोटरसाइकिल पर सवार होकर संगठित रूप से मक्सूदनगढ़ से निकलकर बीनागंज पर परिक्षेत्र के पैंची गांव के रास्तों से निकलकर राजस्थान जिला झालावाड़ा के सेमलीभोज में पहुंचते  हैं। इसके बाद वे मनोहर थाना पहुंचते हैं। बीनागंज पर क्षेत्रों से मनोहर थाना की दूरी 35 किलोमीटर है, जो कि सागौन तस्कर 1 घंटे में यह दूरी तय कर लेते हैं। सागौन तस्करी कितने रुपए और हमलावर होते हैं कि कई बार इनके द्वारा परिक्षेत्र बीनागंज के गश्ती दल पर गोफन के पत्थरों से वर्ष 2017 से लेकर सितंबर 2021 के बीच कई बार प्राणघातक हमले किए गए। इस घटना में रेंजर डिप्टी रेंजर और वाहन चालक गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। यही नहीं, सागौन की अवैध कटाई और परिवहन को  रोकने के प्रयास करने पर वन विभाग के अनुबंधित वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। हथियार विहीन वन विभाग का मैदानी अमला सागौन के तस्करों को रोकने में अक्षम रहा है।
तस्करी के लिए करते हैं चोरी के वाहनों का उपयोग
ज्यादातर सागौन तस्कर लटेरी की सीमा पर स्थित रायपुरिया डेरा और झिरनिया के निवासी बताए जाते हैं। प्रतिवेदन के अनुसार तस्करों द्वारा सागौन की सिल्लीयों के अवैध परिवहन के लिए चोरी की गई मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करते हैं। जब कभी वह पकड़े भी जाते है तो  मोटरसाइकिल छोड़ कर भाग जाते हैं। ऐसी स्थिति में उनका सुराग भी नहीं लग पाए। एक मोटरसाइकिल पर 5-6 सागौन की सिल्लीयां रखी जाती है।

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