बारिश-ओलावृष्टि ने किसानों को पहुंचाया नुकसान

बारिश-ओलावृष्टि

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बीते दिनों हुई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है। प्रदेश में तकरीबन 50 से 60 प्रतिशत तक आम और प्याज की फसल चौपट हो गई है। महाकौशल, मालवा, निमाड़, मध्य भारत, विंध्य, चंबल के किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है। सीजन का मुख्य फल आम केरी के रूप में झड़ चुका है। गोभी, भिंडी, टमाटर, बैंगन, गिलकी, ककड़ी, खीरे में कीड़े लग गए। मक्का गिर चुकी है। किसानों को ज्यादा नुकसान प्याज में हुआ है। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 80 प्रतिशत तक फसल खेत में ही बर्बाद हो गई। कटने से पहले और कटने के बाद खेतों में ही सड़ रही है। मूंग का भी यही हाल है। भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने कहा, अगस्त-सितंबर में प्याज रुलाने वाला है। सरकार सर्वे कराए। ग्रीष्म फसलों पर नीति बनाए। सीहोर कृषि कॉलेज के डीन डॉ. हरदयाल वर्मा का कहना है, खेतों में कीटनाशक का प्रयोग करें। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत कुछ राज्यों में इसी साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। बेमौसम बारिश से बर्बाद प्याज का इस बार अगस्त-सितंबर तक स्टॉक नहीं हो सकेगा। राजनीतिक पंडितों का कहना है, चुनाव के समय प्याज की कीमतें बढ़ सकती हैं। यह चुनावी मुद्दा बन सकता है। 1980 के चुनावों मैं प्याज पहली बार मुद्दा बना था। 2002-03 में केंद्र में वाजपेयी सरकार के समय भी प्याज मुद्दा था। 2017 में मंदसौर मंडी में प्याज को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत मुद्दा बना था।
कहां क्या स्थिति
प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हो रही बेमौसम बारिश का असर अब खेती-किसानी पर भी दिखने लगा है. बरसात और ओलावृष्टि से प्याज को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। सीहोर के भीम सिंह बताते हैं, 80 प्रतिशत किसानों ने प्याज सुखाने खेतों में रखा था, बारिश ने इसे सड़ा दिया। उधर, आम बनने से पहले ही केरी पेड़ों से झड़ रही हैं। टमाटर पौधे से गिर रहे हैं। बाजार मूल्य नहीं मिल रहा। औसतन प्याज की फसल में प्रति एकड़ 1 लाख तक नुकसान हो रहा है, जबकि ये केवल लागत मूल्य है। देवास के गोवर्धन लाल पाटीदार ने बताया, बारिश से प्याज का मजबूत छिलका भी गल गया। प्याज 6-8 माह तक स्टॉक कर सर्दी में बेचते थे, अब नहीं टिकेगा। 10-20 प्रतिशत नुकसान अन्य सब्जियों में भी हुआ है। किसानों को औसतन दो लाख रुपए प्रति हेक्टेयर तक नुकसान हुआ है।

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