नए पदोन्नति नियमों के तहत होगा कोटे का निर्धारण

पदोन्नति नियमों
  • पांच लाख कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया में आई तेजी

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के करीब पांच लाख कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया को लेकर सरकार ने तेजी दिखाई है। इसी सिलसिले में मुख्य सचिव अनुराग जैन ने मंत्रालय में सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और विभागाध्यक्षों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई। बैठक में मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि एससी, एसटी और अन्य वर्गों की पदोन्नति की स्थिति स्पष्ट करने वाली रिपोर्ट 23 अक्टूबर तक अनिवार्य रूप से प्रस्तुत की जाए। इन रिपोर्टों के आधार पर एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे 28 अक्टूबर को हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार पदोन्नति की प्रक्रिया आगे बढ़ाएगी। मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा कि रिपोर्ट में यह साफ किया जाए कि अब तक किस वर्ग को कितना आरक्षण मिला है और कितना शेष है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई हाईकोर्ट के गुरुवार के निर्देशों के तहत की जा रही है। कोर्ट ने कहा था कि जब तक विभागवार ऑडिट रिपोर्ट नहीं मिल जाती, तब तक डीपीसी की अनुमति नहीं दी जा सकती।
    बैठक में यह भी बताया गया कि 17 जून 2025 को जारी नए पदोन्नति नियमों और प्रावधानों को सभी विभागों को ध्यानपूर्वक पढऩे और उसके अनुरूप रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रत्येक विभाग अपनी संख्यात्मक स्थिति स्पष्ट करे ताकि यह पता चल सके कि एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों का प्रतिनिधित्व किस स्तर पर है। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश के 55 विभागों में से 30 विभागों की ऑडिट रिपोर्ट तैयार हो चुकी है, जबकि बाकी विभागों की रिपोर्ट प्रक्रिया में है। सरकार अब चाहती है कि तय समयसीमा में सभी विभाग रिपोर्ट सौंपें, ताकि हाईकोर्ट में ठोस स्थिति पेश की जा सके और लंबे समय से अटकी पदोन्नति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
    10 दिन में निर्धारित होंगे पदोन्नति के पद
    जानकारी के अनुसार, अधिकारियों-कर्मचारियों को पदोन्नति देने से पहले कोटे का निर्धारण होगा। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित 36 प्रतिशत पदों को संवर्गवार देखा जाएगा। किसी संवर्ग में यदि पहले से पदोन्नति के पदों पर कोटे से अधिक आरक्षित वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी पदस्थ हैं तो फिर उसमें पदोन्नति नहीं होगी। आरक्षित वर्ग का व्यक्ति यदि मेरिट में है तो उसे अनारक्षित श्रेणी में अवसर तो मिल सकता है लेकिन पद की गणना आरक्षित में ही होगी। दोबारा वह अपनी श्रेणी में भी लौट पाएगा। नए नियम को लेकर हाई कोर्ट जबलपुर द्वारा मांगी गई संवर्गवार पदों की स्थिति को लेकर रिपोर्ट 23 अक्टूबर तक तैयार करने के निर्देश मुख्य सचिव अनुराग जैन ने अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और विभागाध्यक्षों की बैठक में दिए। पदोन्नति नियम 2025 में सरकार ने यह प्रविधान किया है कि प्रत्येक संवर्ग में पदोन्नति के पदों को निकालकर कोटे का निर्धारण होगा। प्रदेश में भर्ती से लेकर पदोन्नति में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 20 और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 16 प्रतिशत पद सुरक्षित किए गए हैं। पदोन्नति के लिए पदों की गणना संवर्गवार होगी। प्रत्येक संवर्ग में पदोन्नति के पदों में से जो पहले से भरे हैं, उन्हें घटाकर संख्या निकाली जाएगी। संभव है कि कुछ विभागों में आरक्षित वर्ग का कोटा पूरा हो तो ऐसे विभागों में पदोन्नति नहीं होगी। मेरिट में यदि आरक्षित वर्ग के अधिकारी अनारक्षित (सामान्य) वर्ग से ऊपर हैं तो पदोन्नत होने का अवसर मिलेगा लेकिन पद कोटे में शामिल माना जाएगा और आगे जब भी पदोन्नति होगी तब गणना उसे जोडकऱ होगी। अनारक्षित क्षेत्र में एक बार आने के बाद आरक्षित वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी को अपनी मूल श्रेणी में लौटने की पात्रता नहीं होगी।
    हाईकार्ट ने मांगी है ऑडिट रिपोर्ट
    हाई कोर्ट जबलपुर द्वारा संवर्गवार पदोन्नति की स्थिति को लेकर ऑडिट रिपोर्ट मांगी गई है। इसे लेकर मुख्य सचिव ने शुक्रवार को मंत्रालय में सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने निर्देश दिए कि आरक्षित पदों को लेकर स्थिति स्पष्ट रहे। यह बताया जाए कि संवर्ग में आरक्षित वर्ग के लिए पदोन्नति के पद कितने हैं, उनमें से कितने पहले से भरे हैं और कितने शेष हैं। नियम को अच्छे से पढ़ें और समझें। कोई असमंजस हो तो सामान्य प्रशासन विभाग से मार्गदर्शन लें। प्रत्येक विभाग जब संख्यात्मक स्थिति स्पष्ट करेंगे तो प्रतिनिधित्व स्पष्ट हो जाएगा। इसी आधार पर सूची बनेगी। थम श्रेणी के अधिकारियों के लिए पात्रता सूची मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर बनेगी। द्वितीय और तृतीय श्रेणी के पदों के लिए सूची वरिष्ठता के आधार पर बनाई जाएगी। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे आडिट रिपोर्ट तैयार करके 23 अक्टूबर तक सामान्य प्रशासन विभाग को दें ताकि इसके आधार पर समग्र रिपोर्ट तैयार करके हाई कोर्ट को दी जा सके। सूत्रों का कहना है कि पशुपालन एवं डेयरी, लोक निर्माण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सहित कुछ विभागों में पदोन्नति का मामला उलझेगा। दरअसल, पदोन्नति नियम 2002 से जो पदोन्नतियां की गईं, उसमें सामान्य वर्ग पिछड़ गया। आरक्षित वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी साथ में नौकरी में आने के बाद भी आरक्षण के कारण दो-तीन पद ऊपर पहुंच गए। यहां आरक्षित वर्ग का कोटा लगभग पूरा हो चुका है। ऐसे में जो लोग रह गए हैं, उन्हें अनारक्षित श्रेणी में अवसर मिलेगा। इसका ही विरोध मंत्रालय अधिकारी-कर्मचारी संघ, सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था सहित अन्य संगठन कर रहे हैं।

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