अफसरों के साथ शाह के सपत्नीक विदेश दौरे पर खड़े हो रहे सवाल

सपत्नीक विदेश दौरे
  • स्टडी टूर के बहाने खजाने को लगाया 24 लाख का चूना

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मौका मिलते ही अफसर व नेता विदेश दौरे पर निकल जाते हैं, फिर भले ही सरकारी खजाने को कितना भी चूना क्यों न लग जाए।  इन विदेश दौरों से आमजन के साथ ही सरकार को फायदा भले ही नही हो, लेकिन उन्हें तो नयनाभिराम दृश्य देखने और मौज मस्ती करने का मौका जरुर मिल जाता है। इसी तरह का कुछ मामला है प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह और उनके विभाग के कुछ आला अफसरों का।
शाह अपने विभाग के दो आला अफसर पीसीसीएफ आरके गुप्ता और एपीसीसीएफ शुभ रंजन सेन के साथ ही पत्नी को लेकर और अफ्रीका का दौरा कर आए हैं।  यह दौरा भी चीतों को बसाने की स्टडी के नाम पर किया गया है। यह बात अलग है कि अफसरों का कहना है कि शाह की पत्नी का खर्च टूर में शामिल नहीं किया गया है। यह दौरा तब किया गया है जबकि, मध्य प्रदेश के श्योपुर कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से चीता लाने का पूरा प्रोजेक्ट केंद्र सरकार और नोडल एजेंसी एनटीसीए  का है। नोडल एजेंसी ही पूरे प्रोजेक्ट की देखरेख और प्रबंधन कर रही है। मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह, पीसीसीएफ आरके गुप्ता और एपीसीसीएफ शुभ रंजन सेन ने यह दौरा स्टडी के नाम पर 21 अगस्त से 30 अगस्त 2022 तक किया है। वे इस दौरान तंजानिया और साउथ अफ्रीका की यात्रा कर आए।  इस स्टूडी टूर पर 32 लाख रुपये खर्च किया गया। अब वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने आरटीआई से मिले दस्तावेजों के आधार पर सवाल उठाए हैं कि केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट में मध्य प्रदेश के मंत्री और अधिकारी अलग से कैसे टूर कर रहे हैं। जबकि इस प्रोजेक्ट के लिए पहले ही एनटीसीए और मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारी भी टूर कर चुके और उनके ही देखरेख में पूरा प्रोजेक्ट चल रहा है। अब इस मामले की शिकायत लोकायुक्त के साथ ही प्रधानमंत्री से किए जाने की बात कही जा रही है।
नहीं आयी अब तक कोई स्टडी रिपोर्ट
जिस उद्देश्य से यह दौरा बताया गया है, वह रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है, जिससे उस पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। यही नहीं शाह अपने दो अधिकारियों के साथ तंजानिया और साउथ अफ्रीका का दौरा कर आए हैं, लेकिन दोनों ही जगहों से चीतों को नहीं लाया गया।  ऐसे में सवाल उठाया गया कि क्या एनटीसीए से टूर की अनुमति ली गई थी। इस मामले में वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा कि अब हम इस मामले में मुख्यमंत्री को शिकायत देने जा रहे हैं। साथ ही पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट के सामने भी रखेंगे। मध्य प्रदेश पहले से ही कर्ज में डूबा हुआ है। ऐसे में बेवजह  मंत्री और अधिकारी खचीर्ले दौरे कर रहे हैं। उधर अफसरों का कहना है कि वे पूरी रिपोर्ट दे चुके हैं।
अनुमान से दोगुनी राशि की खर्च
वन मंत्री और दो अधिकारियों के विदेशी टूर पर अप्रैल 2022 में 15 लाख रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया। इसके बाद टूर पर करीब 32 लाख रुपये का भुगतान किया गया। इसमें सवाल उठाया गया है कि जब टूर सही था तो शासन से ही अनुमति लेकर यात्रा क्यों नहीं की गई। सोसायटी के अध्यक्ष के वन मंत्री होने के चलते आसानी से पैसा खर्च करने को लेकर सवाल खड़े किए गए।  इसमें सवाल उठाया गया कि परिजन को साथ में लेकर जाने से खर्च डबल हुआ।

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