सरकार की पारदर्शी व्यवस्था पर पीडब्ल्यूडी के अधिकारी फेर रहे पानी

  • सडक़ निर्माण के टेंडर दबाकर परियोजनाओं को कर रहे प्रभावित

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में सरकार का फोकस सडक़ों का जाल बिछाने पर है। लेकिन सरकार की मंशा पर लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ही पानी फेर रहे हैं। खासकर सडक़ निर्माण के कार्यों का प्रभावित किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार सडक़ निर्माण की किसी योजना का टेंडर होता है तो अधिकारी उसे अपने पास दबाकर रख लेते हैं। इसका असर यह होता है कि सडक़ निर्माण की योजना में या तो देरी हो जाती है या अधर में लटक जाती है।
दरअसल, जानकारों का कहना है कि अपने आपको वजनदार मानने वाले ये अधिकारी मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री की प्राथमिकता वाले कार्यों को भी महत्व नहीं दे रहे हैं। इन अधिकारियों में प्रभारी मुख्य अभियंता संजय मस्के का नाम भी शामिल हैं, जिन्हें तीन अन्य चीफ इंजीनियरों के साथ राज्य शासन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि कुछ समय पहले अलग-अलग क्षेत्रों में सडक़ ब्रिज से जुड़े कार्यों को लेकर टेंडर खोले गए थे। इन कार्यों की फाइनेंसियल बिड खुल जाने के बाद भी अधिकारियों द्वारा निर्धारित समय में एप्रूअल नहीं दिया गया। जानकारों की मानें तो लंबे समय से पदोन्नति नहीं होने की वजह से मुख्य अभियंता के पद रिक्त है। ऐसे में राज्य शासन ने इन पदों पर अधीक्षण यंत्रियों को बतौर प्रभारी पदस्थ किया है। कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ अधिकारी अपनी ऊपरी पहुंच के चलते अपने हिसाब से अपनी पोस्टिंग कराते रहते हैं। कई बार इनमें से कुछ अधिकारियों से जुड़े मामले सामने भी आए है, लेकिन न तो उन पर विभाग द्वारा कोई किसी भी तरह का संज्ञान लिया जाता है।
विभागीय समीक्षा से खुली पोल
बताया गया है कि पिछले दिनों विभागीय मंत्री राकेश सिंह ने टेंडर कमेटी की बैठक ली, जिसमें यह बात सामने आई कि मुख्य अभियंताओं ने ऑनलाइन बिड निर्धारित समय पर खुलने के बाद भी स्वीकृति के लिए राज्य शासन को भेजने में बेवजह विलंब किया। इस पर मंत्री राकेश सिंह ने नाराजगी जताई और संबंधित अधिकारियों को नोटिस भेजकर कारण पूछने के निर्देश दिए। बताया गया है कि जिन अधिकारियों को नोटिस भेजा गया है उनमें भोपाल के मुख्य अभियंता संजय मस्के, राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य अभियंता आनंद राणे, ग्वालियर के सीई व्ही के झा और जबलपुर – रीवा के मुख्य अभियंता आरएल वर्मा शामिल है। विभागीय सूत्रों की मानें तो संजय मस्के पर आरोप है कि उनके द्वारा निविदा क्रमांक 431509 की बिड खुलने के बाद भी उसकी स्वीकृति लेने के लिए राज्य शासन पर दो माह से भी ज्यादा का समय लिया।

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