
- भवन, सडक़, पुल व अन्य परियोजनाओं के निर्माण की गुणवत्ता पर फोकस
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भवन, सडक़, पुल और अन्य परियोजनाओं के निर्माण का बेहतर बनाने पर सरकार का फोकस है। इसके लिए सरकार लोकनिर्माण विभाग के इंजीनियरों की काबिलियत का परीक्षण करवाएगी। जानकारी के अनुसार सरकार के पैमाने पर खरा उतरने के लिए पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को मूल्याकंन परीक्षा देनी होगी। यह परीक्षा उनके ज्ञान और कौशल का मूल्यांकन करने के लिए आयोजित की जाती है, और यह सुनिश्चित करती है कि वे अपने काम के लिए योग्य हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में लोक निर्माण विभाग द्वारा बनवाई गई सडक़ों की गुणवत्ता को लेकर बराबर सवाल उठते रहते हैं। ऐसे में पीडब्ल्यूडी ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए अपने अधीनस्थ इंजीनियरों के लिए निर्माण संबंधी कोड और मानकों को याद करना अनिवार्य कर दिया है। विभाग ने निर्देश जारी कर स्पष्ट किया कि विभाग के सभी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और उनसे नीचे के इंजीनियरों को निर्माण कोड्स का पूरा ज्ञान होना चाहिए। इसके लिए जल्द ही मूल्यांकन परीक्षा भी होगी। इस परीक्षा में उन कोड्स और मानकों को शामिल किया जाएगा जो भवन, सडक़, पुल व अन्य परियोजनाओं में लागू होते हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में पीडब्ल्यूडी सबसे बड़ी सरकारी निर्माण एजेंसी है। पीडब्ल्यूडी के अधीन कुल 80,775 किमी सडक़ नेटवर्क है। जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग 9,315 किमी,मुख्य जिला मार्ग 25,639 किमी, राज्य राजमार्ग 11,389 किमी और अन्य जिला मार्ग 34,432 किमी है।
अभियंताओं का होगा मूल्यांकन
प्रमुख सचिव सिंह अपने पत्र में कहा गया है कि विभाग में कार्यरत सभी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एवं उनसे नीचे के स्तर के इंजीनियरों को निर्देशित किया जाता है कि वे 15 अगस्त तक संबंधित कोड्स का अध्ययन सुनिश्चित कर भविष्य में निर्माण कार्य में उपयोग करें। इसके बाद एक मूल्यांकन परीक्षा आयोजित की जाएगी। यह परीक्षा ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन मोड में आयोजित की जा सकती है। परीक्षा का उद्देश्य अभियंताओं की तकनीकी ज्ञान क्षमता, व्यावहारिक क्रियान्वयन योग्यता एवं गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार की क्षमता का समुचित मूल्यांकन करना है। परीक्षा के प्राप्तांक विभागीय डेटाबेस में संधारित किए जाएंगे और उनका उपयोग वार्षिक मूल्यांकन, प्रशिक्षण आवश्यकताओं की पहचान, जिम्मेदारी वितरण एवं विशेष परियोजनाओं के आवंटन जैसे महत्वपूर्ण संदभों में किया जाएगा। इस उद्देश्य हेतु विभागीय पोर्टल पर अध्ययन के लिए जरूरी दिशा-निर्देश एवं संदर्भ कोड सूची जल्द उपलब्ध कराई जाएगी। चूंकि यह प्रक्रिया विभागीय नीति का अभिन्न अंग है, अत: सभी विभागीय मुख्य अभियंता, अधीक्षण यंत्री भी अपने कार्य क्षेत्र से संबंधित सभी महत्वपूर्ण कोड्स का अध्ययन करेंगे एवं इस परिपत्र का परिपालन सुनिश्चित करने हेतु अपने अधीनस्थ अभियंताओं को जरूरी जानकारी प्रदान करेंगे एवं कार्यों को गुणवत्ता पूर्वक करने के लिए प्रेरित करेंगे।
पद संभालते ही एक्शन में पीएस
दरअसल, वरिष्ठ आईएएस सुखवीर सिंह को हाल में लोक निर्माण विभाग का प्रमुख सचिव पदस्थ किया गया है। उन्होंने पदभार ग्रहण करते ही विभागीय अमले की कसावट शुरू कर दी है। उन्होंने विभाग के अंतर्गत चल रहे सभी भवन, सडक़ और ब्रिज निर्माण कार्यों की गुणवत्ता, टिकाऊपन एवं सुरक्षा मानकों को और अधिक सुदृढ़ एवं पारदर्शी बनाने के लिए विभाग में कार्यरत सभी इंजीनियरों को भारतीय सडक़ कांग्रेस (आईआरसी), नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) और संबंधित भारतीय मानक (आईएस) कोड्स के अनुसार कार्यों का क्रियान्वयन करने को कहा है। जारी निर्देशों में परीक्षा लेने संबंधी बिंदु से विभाग के प्रदेश भर के इंजीनियरों में हडक़ंप मच गया है। प्रमुख सचिव सिंह ने प्रमुख अभियंता लोक निर्माण, प्रमुख अभियंता (भवन), प्रबंध संचालक मप्र सडक़ विकास निगम और प्रबंध संचालक मप्र भवन विकास निगम को पत्र लिखकर जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पत्र में अधोसंरचना निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाले आईआरसी, एनबीसी और आईएस से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कोड्स की सूची भी संलग्न की गई है। इन कोड्स के अनुसार निर्माण कार्य करने को कहा गया है। वर्तमान में पीडब्ल्यूडी के 22,500 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसमें 10,000 किमी सडक़ों एवं 10,463 करोड़ रुपए से 474 पुलों और फ्लाय ओवरों पर कार्य प्रगति पर है। साथ ही नर्मदा प्रगतिपथ, विध्य एक्सप्रेस वे, मालवा-निमाड़ कॉरिडोर, अटल प्रगतिपथ, बुंदेलखंड और मध्य भारत विकास पथ जैसी छह प्रमुख परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जो प्रदेश के पिछडे अंचलों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ेंगी।
