- सरकार ने बनाई पंप हाइड्रो स्टोरेज प्रोजेक्ट नीति
- गौरव चौहान

प्रदेश में बिजली की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इसकी पूर्ति के लिए सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं। अब इन सोलर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली को स्टोर करने की तैयारी चल रही है। इस समस्या को दूर करने मप्र सरकार ने पंप हाइड्रो स्टोरेज प्रोजेक्ट नीति बनाई है। इस नीति के तहत पंप स्टोरेज पावर परियोजना से बिजली का उत्पादन भी होगा। गौरतलब है कि मप्र देश के सबसे अधिक बिजली उत्पादक राज्यों में शामिल है। मप्र अपने यहां उत्पादित बिजली की सप्लाई कई राज्यों में करता है। इससे प्रदेश में बिजली की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए अब नई तकनीक पर भी काम किया जा रहा है। प्रदेश में नदी पर पंप स्टोरेज हाइड्रोइलेक्ट्रिक क्षमता का मूल्यांकन केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने किया है।
इस तरह किया जाएगा भंडारण
जानकारी के अनुसार पंप हाइड्रो स्टोरेज प्लंाट के जरिए सोलर एनर्जी का भंडारण किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत एक स्थान पर पानी का भंडारण किया जाएगा। वहीं ऊचाई पर बड़ी पानी की टंकियां बनाई जाएंगी। दिन में जब सोलर से बिजली का उत्पादन होगा, तो सोलर की बिजली से मोटर चलाई जाएगी। इससे नीचे के पानी को ऊंचाई पर बनी टंकियों में भर दिया जाएगा। इससे सोलर से बनने वाली सस्ती बिजली से पानी ऊपर चला जाएगा। इसके बाद पंप हाइड्रो स्टोरेज प्लॉट के जरिए ऊंचाई पर बनी टंकियों के पानी को नीचे हाइड्रोइलेक्ट्रिक टर्वाइन पर गिराकर बिजली बनाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट के जरिए एक तरह से सोलर की बिजली को जल परियोजनाओं के बिजली मैं बदल दिया जाएगा। अगर यह प्रोजेक्ट सफल होता है, तो सोलर की बिजली का भंडारण भी सस्ता हो जाएगा।
देश में आठ परियोजनाएं चल रही है
भारत सरकार के एक सर्वे के मुताबिक भारत में नदी पर पंप स्टोरेज जल विद्युत क्षमता 59,036 मेगावाट है। इनमें से केवल 8 परियोजनाएं चालू हैं, जिनसे 4,745.60 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। वहीं तीन परियोजनाएं निमार्णाधीन हैं, जिनसे 1,580 मेगावाट और 2 परियोजनाओं को राज्य सरकार द्वारा सहमति दी गई है। इससे 2,350 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इस तरह से कुल नदी पर क्षमता में से केवल लगभग 14,7 फीसदी का उपयोग हो रहा है। जबकि जल परियोजनों से पैदा होने वाली बिजली सबसे सस्ती होती है और इससे प्रदूषण भी नहीं होता है। इसी को देखते हुए मप्र सरकार ने सोलर एनर्जी को पंप हाइड्रो स्टोरेज प्रोजेक्ट के जरिए स्टोर करने की तैयारी की है।
मप्र में की जा सकती है सात हजार मेगावॉट तक बिजली
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट में बताया है कि प्रदेश में नदी पर पंप स्टोरेज हाइड्रोइलेक्ट्रिक से 7 हजार मेगावॉट तक बिजली पैदा की जा सकती है। सीईए की रिपोर्ट के आधार पर सरकार इस तरह के प्लांट लगाए जाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार ने पंप हाइड्रो स्टोरेज प्रोजेक्ट नीति-2025 तैयार कर ली है। गौरतलब है कि प्रदेश में बिजली की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इसकी पूर्ति के लिए सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं। अब इन सोलर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली को स्टोर करने की तैयारी चल रही है। इस समस्या को दूर करने मप्र सरकार ने पंप हाइड्रो स्टोरेज प्रोजेक्ट नीति बनाई है। नई तकनीक पर आधारित यह प्रोजेक्ट देश और प्रदेश में पहली बार है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल हो जाता है, तो प्रदेश के साथ ही देशभर को सोलर एनर्जी को स्टोर करना आसान हो जाएगा। इससे पहले मप्र में रीवा सोलर पार्क बना। रीवा सोलर पार्क की सफलता के बाद ही सोलर एनर्जी पर काम शुरू हुआ है। पहले सोलर से बनने वाली बिजली महंगी पड़ती थी, लेकिन रीवा सोलर पार्क ने सोलर की बिजली को सस्ती दरों में उत्पादन करना बताना। इसकी सफलता को देखते हुए अब सरकार सोलर एनर्जी को स्टोर करने की नई तकनीक पंप हाइड्रो स्टोरेज प्रोजेक्ट ला रही है।