मप्र में फिर महंगी… होगी प्रॉपर्टी!

  • 2026-27 के लिए गाइडलाइन रेट बढ़ाने की तैयारी
  • गौरव चौहान
प्रॉपर्टी

प्रदेश के प्रॉपर्टी खरीदारों के लिए नया साल महंगा साबित हो सकता है। मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2026-27 के लिए नई गाइडलाइन रेट (सर्किल रेट) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शुरुआती प्रस्तावों के अनुसार अधिकांश जिलों में गाइडलाइन दरों में बढ़ोतरी की संभावना है, जिससे जमीन, मकान और कारोबारी संपत्तियों की रजिस्ट्री महंगी होगी। आदेश के अनुसार नई गाइडलाइन का प्रस्ताव पहले सभी जिलों की उप जिला मूल्यांकन समितियों द्वारा बनाकर 15 जनवरी 2026 तक जिला मूल्यांकन समितियों को भेजना होगा। इसके बाद जिला मूल्यांकन समिति प्रस्तावित गाइडलाइन को लेकर अधिसूचना जारी कर लोगों व राजनीतिक दलों से सुझाव लेगी।
जिला मूल्यांकन समिति को 30 जनवरी 2026 तक अंतिम प्रस्ताव तैयार करना होगा, जिसे 15 फरवरी 2026 तक राज्य स्तरीय केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड को भेज दिया जाएगा। बोर्ड की मंजूरी के बाद नई गाइडलाइन रेट 1 अप्रैल 2026 से लागू हो जाएंगी। पिछले कुछ वर्षों में भोपाल के कई पॉश इलाकों में गाइडलाइन रेट में 20-50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। इस बार भी बाजार भाव और मौजूदा रेट के बीच के अंतर को कम करने के नाम पर अच्छी-खासी बढ़ोतरी होने की संभावना है। इसका सीधा असर प्रॉपर्टी रजिस्ट्री की लागत, स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस पर पड़ेगा। जानकारी के अनुसार प्रदेश में करीब एक लाख 12 हजार में से 74 हजार स्थानों पर प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त अधिक होती है। विभिन्न जिलों में इन स्थानों का पंजीयन और राजस्व अधिकारियों द्वारा एआई सहित अन्य माध्यमों से सर्वे कराया जाएगा। इस सर्वे के बाद ही तय होगा कि कितने स्थानों पर प्रापर्टी की दरों में वृद्धि की जानी है।  बता दें कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में लगभग 60 हजार स्थानों पर प्रॉपर्टी की दरों में वृद्धि की गई थी। हालांकि आवासीय आरसीसी निर्माण और सभी क्षेत्रों में आरबीसी, टिनशेड, कच्चा कवेलू के लिए प्रचलित निर्माण दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई थी।
इन बिंदुओं का ध्यान रखना होगा
स्थानों में दरें निर्धारित करने (यथावत, वृद्धि या कमी) नये स्थान व कालोनी जोड़े जाने की स्थिति में दरें प्रस्तावित किए जाने के लिए आवश्यक अनुमतियों की जानकारी एवं दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध हों। ऐसे स्थान जहां भूमि अधिग्रहण हो रही है या होने की संभावना है तो स्थानों व अधिग्रहण भूमि के आसपास के क्षेत्रों में होने वाले संभावित विकास को दृष्टिगत रखते हुए दरें प्रस्तावित की जाएं। मूल्य सूचकांक तथा नगर व ग्राम में हुए और प्रस्तावित विकास को दृष्टिगत रखना होगा। दरें यथासंभव वास्तवित रूप से प्रचलित दरों के अनुरूप हों। पिछले सालों की निर्माण के लिए तय लागत दरों को ध्यान में रखते हुए प्लाट आदि की दरें निर्धारित की जाएं।
भोपाल में 3000 से ज्यादा लोकेशन पर होगा सर्वे
राजधानी भोपाल में भी बीते कई सालों की तरह इस बार फिर से भोपाल जिले में प्रस्तावित कलेक्टर गाइडलाइन 2025-26 को लेकर प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इस बार फिर राजस्व विभाग जिले की जमीनों के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव ला सकता है। शहर में जहां-जहां पर नई फोरलेन, व्हाइट टॉपिंग, सीसी रोड और नए विकास कार्य होने हैं, वहां पर जमीनों के दाम 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की तैयारी है। नई प्रस्तावित कलेक्टर गाइडलाइन को तैयार करने के सर्वे का काम 20 नवंबर से शुरू हो सकता है। प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो इस बार जिले में तीन हजार से अधिक लोकेशन पर सर्वे का काम किया जाना है। बीते एक साल में शहर के आउटर इलाकों में जमकर विकास कार्य हुए हैं। साथ ही, शहर के आसपास कई नए निजी प्रोजेक्ट लांच होने से मार्केट में जमीनों के बाद काफी बढ़ गए हैं। ऐसे में सर्वे में इन सबको प्राथमिकता देकर वहां के रेट और हो रही रजिस्ट्रियों के दाम निकाले जाएंगे। इसके बाद यहां पर प्रस्तावित रेट तय कर बैठक में रखे जाएंगे।
पिछली बार जमीनों के दाम बढ़ाने का हुआ था विरोध
बता दें कि पिछले साल जिला प्रशासन ने करीब 243 लोकेशंस पर जमीनों के रेट बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया था। जिन-जिन इलाकों से सिक्सलेन व फोरलेन सडक़ें प्रस्तावित थीं, वहां पर जमीनों के रेट बढ़ा दिए गए थे। इस पर जनप्रतिनिधियों के अलावा क्रेडाई संगठन ने भी जमीनों के रेट को लेकर जमकर आपत्ति दर्ज कराई थी। ऐसे में इस बार फिर से जमीनों के दाम बढ़ाने के विरोध में संगठन और आम जनता विरोध जता सकती है।

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