
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। संपत्ति खरीदने के बाद जब पता चलता है कि वह विवादास्पद है, तो खरीददार अपने आप को ठगा हुआ महसूस करता है और फिर सालों तक उसके निपटारे के लिए भटकता रहता है। आम आदमी के इस परेशानी को देखते हुए अब सरकार ने संपत्ति के बारे में पूरी जानकारी संपदा पोर्टल पर उपलब्ध कराने का तय किया है। इसमें हर संपत्ति के बारे में कोर्ट में चल रहे संपत्ति विवाद की जानकारी दी जाएगी। इसे कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल और कंप्यूटर पर आसानी से देख सकेगा। खास बात यह है कि इसके लिए हाईकोर्ट की अनुमति भी राज्य सरकार को मिल चुकी है।
राज्य सरकार जमीन की रजिस्ट्री और पंजीयन शुल्क से होने वाली आमदनी में वृद्धि और लोगों को गैर विवादित प्रापर्टी खरीदी सुविधा देने के लिए इस तरह के प्रयास कर रही है। इन्ही प्रयासों के तहत ही पंजीयन और मुद्रांक विभाग के संपदा पोर्टल पर कोर्ट से जुड़े मकान, दुकान, जमीन या अन्य प्रापर्टी संबधित विवादों की जानकारी अपलोड की जाएगी। ऐसे में अगर किसी को प्रापर्टी खरीदनी है तो संबंधित उसका खसरा नम्बर डालकर पता कर सकेगा कि उस खसरे से संबंधित संपत्ति का कोई विवाद न्यायालय में लंबित तो नही है। हाईकोर्ट की अनुमति के बाद अब संपदा पोर्टल पर इससे संबंधित लिंक उपलब्ध कराई जाएगी जिससे प्रापर्टी खरीददारों को पूरी जानकारी मिल सकेगी। इसकी वजह से प्रापर्टी के मामले में छानबीन करने के लिए उन्हें वकील के माध्यम से सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
राजस्व के साथ टाइटल लेने वालों का भी ध्यान
राज्य सरकार राजस्व वृद्धि के प्रयास के साथ रजिस्ट्री के लिए होने वाले भ्रष्टाचार पर भी रोक लगाने के प्रयास कर रही है। यही वजह है कि अधिकांश व्यवस्थाओं को ऑनलाइन किया जा रहा है। इस तरह के प्रयासों की वजह से ही इस वित्त वर्ष में अब तक 2291 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व पंजीयन विभाग से मिल चुका है। यही नहीं नई व्यवस्था किए जाने से अब पंजीयन विभाग ने यह सुविधा दी है कि जो प्रापर्टी खरीदी जा रही है, उसका प्रापर्टी टैक्स जमा है या नहीं है। इसके अलावा इस पोर्टल पर प्रापर्टी खरीददार का पैसा उलझने से बचाने के लिए डाक्यूमेंट सर्च, गाइडलाइन, स्टांप वेरीफाई करने, कृषि भूमि का म्यूटेशन पता करने की सुविधा भी शुरू की जा चुकी है। जिस कॉलोनाइजर, डेवलपर द्वारा प्रॉपर्टी बेची जा रही है वह रेरा में पंजीकृत है या नहीं है और खसरा व स्टांप ड्यूटी रजिस्ट्रेशन चार्ज की जानकारी भी अब लोगों को आसानी से मिलने लगी है। अब इसमें खसरे के न्यायिक विवाद के मामले भी देखने को मिल सकेंगे।