आईपीएस में पदोन्नति तो दूर… नहीं मिल पा रहा नया ग्रेड पे

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  • छह दर्जन एसपीएस अफसरों की पदोन्नति में उम्र की सीमा बनी राह का रोड़ा

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य हैं, जहां पर राज्य पुलिस सेवा यानि की एसपीएस कैडर के पांच बैच के करीब छह दर्जन अफसरों को आइपीएस में पदोन्नत होना तो दूर नए ग्रेड पे के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। हालत यह है की यह आधा दर्जन अफसर पदोन्नति का इंतजार करते हुए तय उम्र से अधिक आयु पूरी कर लेंगे जिसकी वजह से वे आयोग्य हो जाएंगे। फलस्वरुप उन्हें राज्य पुलिस सेवा के एडीशनल एसपी के पद से ही सेवानिवृत्त होना पड़ेगा। इसकी वजह है एसपीएस अफसरों को आईपीएस बनाने के लिए पदों की संख्या का कम होना।
दरअसल एसपीएस से आईपीएस में पदोन्नत होने के लिए तय उम्र की सीमा 56 साल की तय है। खास बात यह है की इस सेवा के अफसरों को अब तक नया ग्रेड पे 8900 वाला अब भी नहीं मिला है, जबकि यह वेतनमान राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य वित्त सेवा के अफसरों को प्रदान किया जा चुका है। इसकी वजह से एसपीएस को दोहरे नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। पहले मध्यप्रदेश में आठ साल की सेवा पूरी करने वाले एसपीएस अफसरों को आईपीएस बना दिया जाता था। देरी होने पर भी दस साल बाद आईपीएस मिल जाता था। इसके साथ ही उन्हें तीन चार साल की वरिष्ठता भी मिल जाती थी। लिहाजा एसपीएस अफसर आईपीएस अफसरों से मात्र चार से पांच साल पीछे रह जाते थे। अब हालात यह हैं की 25 साल की सेवा पूरी करने के बावजूद एसपीएस अफसर आईपीएस नहीं बन पा रहें। यही नहीं आने वाले समय में तो एसपीएस अफसरों का आईपीएस बनना और मुश्किल होने वाला है। अगर एक जनवरी 2022 की स्थिति में देखें तो अब 1997 बैच के अफसरों का आईपीएस बनना शुरू हो गया है। वर्ष 1997 से 2002 के बीच के पांच बैच के अफसरों (क्योंकि 1999 में भर्ती नहीं हुई थी) की संख्या 109 है। इनमें 70 से ज्यादा एसपीएस पदोन्नति तक आते -आते तय उम्र की वजह से बाहर हो जाएंगे। इनमें जैसे तैसे 1997 और 1998 बैच के अफसर तो आईपीएस बन भी जाएंगे, लेकिन इसके बाद के  तीन बैच के अफसरों के लिए यह बहुत कठिन हो जाएगा। वजह है वर्ष 2023 के बाद एसपीएस से आईपीएस बनाने के लिए रिक्त होने वाले पदों की संख्या बहुत सीमित है। इसकी वजह से अगले एक-दो साल में तो बामुश्किल एक से तीन अधिकारी ही आईपीएस बन पाएंगे। नए कैडर रिव्यू में भी मात्र पांच नए पद ही मिल सके हैं। दरअसल अब नए सालों में सेवानिवृत्त होने वाले अफसरों की संख्या बहुत कम रहने वाली है।
एसपीएस से कई साल पिछड़े
मध्यप्रदेश में एसपीएस का कैडर 1269 अफसरों का है और आईपीएस के 319 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 33 फीसदी यानी 97 पद एसपीएस को मिलते हैं। इन्हीं रिक्त पदों पर एसपीएस को आईपीएस मिलता है। इसके उलट एसएएस का कैडर छोटा और आईएएस सेवा का कैडर बड़ा है। राज्य में एसएएस का कैडर 739 अफसरों का है, जबकि आईएएस अफसरों के स्वीकृत पदों की संख्या 439 है उस हिसाब से एसएएस को आईएएस बनने के लिए 132 पद मिल जाते हैं। इसकी वजह से हालात यह बन चुके हैं की  वेतनमान के साथ पदोन्नति में एसएएस कैडर के अफसर एसपीएस से पांच बैच आगे हैं। वर्तमान में 2001 बैच तक के एसएएस अफसर आईएएस बन चुके हैं और एक जनवरी 2022 की स्थिति में 2002 बैच के एसएएस अफसर आईएएस बन जाएंगे।
नहीं मिल पा रहा 8900 रुपए का ग्रेड-पे
हद तो यह है की राज्य सरकार भी इस सेवा के अफसरों को तय समय में 8900 रुपए का ग्रेड-पे नहीं दे रही है। यह स्थिति तब है, जब सरकार की आर्थिक स्थिति पर भी इसका कोई खास असर नहीं  पड़ना है। इसकी वजह है एसपीएस को 8900 रुपए का ग्रेड-पे से सरकार द्वारा देने पर महज हर साल सालाना आर्थिक भार मात्र 25 से 30 लाख रुपए ही आएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में मध्य प्रदेश राजपत्रित अधिकारी भर्ती पदोन्नति नियम-2000 लागू है। इसके तहत नए नियम में चार वेतनमान स्वीकृत किए गए हैं और इसमें एसएएस, एसपीएस और एसएफएस की सेवाएं आती हैं। तीनों कैडर के अफसरों को भर्ती के समय 5400 रुपए का ग्रेड-पे दिया जाता है। उसके बाद छह साल की सेवा पूरी होने पर वरिष्ठ श्रेणी के नाम से 6600 रुपए का ग्रेड-पे दिया जाता है। भर्ती के दस साल पूरे होने अथवा वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान और उसके चार साल पूरे होने पर प्रवर श्रेणी के तौर पर 7600 रुपए का ग्रेड- पे औरइसके छह साल बाद वरिष्ठ प्रवर श्रेणी के तौर पर 8700 रुपए का ग्रेड-पे प्रदान किया जाता है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2012 में एसएएस कैडर के लिए 8900 रुपए का ग्रेड-पे स्वीकृत किया था। यह वेतनमान वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान मिलने के छह साल बाद प्रदान किया जाएगा। वर्ष 2019 में यह वेतनमान एसएफएस अफसरों को भी दे दिया गया है, लेकिन एसपीएस कैडर के अफसरों को यह वेतनमान अब तक नहीं दिया गया है। इस वेतनमान के लिए एसपीएस अफसर 2012 से यह मांग कर रहे हैं।  

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