- कई संस्थानों में 25 सालों से प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं इंजीनियर
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार का फोकस विकास पर है। इसलिए सरकार विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से निर्माण कार्य करवा रही है। लेकिन विडंबना यह है कि जिन संस्थाओं को करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट पूरे करने की जिम्मेदारी है उनमें प्रतिनियुक्ति पर आए इंजीनियर काम संभाल रहे हैं। यानी प्रतिनियुक्ति पर आए इंजीनियरों के भरोसे करोड़ों रुपए की परियोजनाएं चल रही है। दरअसल, प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विभाग में काम करने की परंपरा तेजी से बढ़ रही है। मप्र सरकार के निर्माण विभागों के अधीनस्त निर्माण कार्यों से जुड़े निगम, मंडल और प्राधिकरण प्रतिनियुक्ति के भरोसे चल रहे हैं। मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण से लेकर मप्र सड़क विकास निगम, ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा, नगरी निकायों, मप्र गृह निर्माण मंडल में ज्यादातर इंजीनियर प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। खास बात यह है कि इन कार्यालयों में इंजीनियर 5 से लेकर 25 सालों से प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। कुछ की सेवाएं संबंधित कार्यालयों में मर्ज भी हो गई। जबकि प्रतिनियुक्ति की अवधि 5 साल होती है। कई संस्थान तो ऐसे हैं जिनके पास खुद के इंजीनियर नहीं, लेकिन काम अरबों रुपए के कर रहे हैं। मप्र ग्रामीण सडक़ विकास प्राधिकरण, मप्र सडक़ विकास निगम, मप्र ग्रामीण यांत्रिकीय विभाग, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, मप्र गृह निर्माण मंडल, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, नगरीय निकाय, भवन विकास निगम, पुलिस गृह निर्माण मंडल समेत अन्य कार्यालयों के पास खुद के अनुभवी इंजीनियर नहीं है। लेकिन इन संस्थाओं के पास जल संसाधन और लोक निर्माण विभाग से ज्यादा बजट वाले काम हैं।