
- अंचल में दो सभाएं कराने की तैयारी कर रही कांग्रेस
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद अब कांग्रेस ने भी मालवा निमाड़ अंचल में अपने सबसे बड़े चेहरों में शुमार राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी का कार्ड मालवा अंचल में खेलने की तैयारी कर ली है। बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी की सभा इसी माह में इंदौर में कराने की तैयारी की जा रही है। श्रीमति गांधी इसके पहले प्रदेश के दो महत्वपूर्ण अंचल महाकौशल और ग्वालियर में भी सभा कर चुकी हैं। उनकी सभा प्रदेश में एक बार फिर से कराने की तैयारी ऐसे समय की जा रही है, जब सागर में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और शहडोल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रवास का कार्यक्रम स्थगित हो चुका है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी के मालवा-निमाड़ में दौरे के समय दो अलग- अलग जनसभाएं कराई जाएंगी। इसमें मालवा को कवर करने के लिए इंदौर और उज्जैन के आसपास जनसभा हो सकती है तो निमाड़ के लिए खरगोन या खंडवा के आसपास के किसी एक जगह उनकी सभा कराई जा सकती है। दरअसल मालवा-निमाड़ वह अंचल है, जहां पर बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था, जिसकी वजह से ही कांग्रेस की डेढ़ दशक बाद सत्ता में वापसी हो सकी थी। इसी वजह से ही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मार्ग मालवा-निमाड़ से होकर तय किया गया था। दरअसल कांग्रेस इस अंचल में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखना चाहती है। यही वजह है कि कांग्रेस का इस अंचल में फोकस बना हुआ है।
किसानों पर करेंगी फोकस
प्रियंका गांधी मालवा- निमाड़ अंचल के दौरे के दौरान किसानों पर फोकस करते हुए उन पर बात कर सकती हैं। दरअसल इसके पहले उन्होंने जबलपुर में 12 जून को सरकार के घोटालों पर कटाक्ष किया था,तो उसके बाद 21 जुलाई को ग्वालियर में उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा हमला सरकार पर बोला था।
अंचल का महत्व
मालवा-निमाड़ इलाके को प्रदेश के विधानसभा चुनावों में एक सबसे अहम अंचल माना जाता है। इस अंचल के तहत इंदौर और उज्जैन संभाग के तहत 66 विधानसभा सीटें आती हैं। यह अंचल किसानों और आदिवासी बाहुल्य है। सीटों के लिहाज से देखें तो मालवा-निमाड़ में बाकी रीजन के मुकाबले में सर्वाधिक सीटें हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को बीजेपी की तुलना में मालवा-निमाड़ से बेहतर सफलता मिली थी। कांग्रेस चाहती है कि वो सफलता उसकी कायम रहे, क्योंकि इसी क्षेत्र से कांग्रेस का सरकार बनाने का रास्ता आगे बढ़ेगा। इस क्षेत्र की महत्तवता को समझते हुए कांग्रेस मालवा-निमाड़ पर खास फोकस कर रही है। कांग्रेस ने जो सफलता पिछली बार हासिल कर ली थी वो चाहती है कि इस चुनाव में भी मालवा-निमाड़ उसके साथ रहे और उसी से सरकार बनाने का बहुमत उसे मिले। इस अंचल की 66 सीटों में आदिवासी बाहुल्य 22 सीटें भी आती हैं। इन 22 में से कांग्रेस ने 14 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी के खाते में महज 6 सीटें आईं थीं। भगवानपुरा और मनावर में निर्दलीय और जयस उम्मीदवार जीते थे। कांग्रेस ने सैलाना, भीकनगांव, सेंधवा, भगवानपुरा, पानसेमल, राजपूर, झाबुआ, थांदला, पेटलावाद, सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धर्मपुरी सीट पर जीत हासिल की थीं।
यह रहा है सियासी इतिहास
साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात हो या फिर उससे पहले के विधानसभा चुनाव की, मालवा-निमाड़ का एमपी की सत्ता में ट्रेंड कभी नहीं बदला। जिस भी राजनीतिक दल ने मालवा-निमाड़ जीता समझो उसका मुख्यमंत्री बनना तय है। 1990 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मालवा-निमाड़ की 52 सीटें जीतीं और बीजेपी के सुंदरलाल पटवा सीएम बने। इसके बाद 1993 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मालवा-निमाड़ की 32 सीटें जीतीं और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह सीएम बने थे। 1998 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मालवा-निमाड़ की 47 सीटें जीतीं और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह दोबारा सीएम बने। 2003 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मालवा-निमाड़ की 51 सीटें जीतीं और बीजेपी की उमा भारती सीएम बनीं। 2008 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मालवा-निमाड़ की 41 सीटें जीतीं और बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान दोबारा सीएम बने।