
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के एक मात्र सरकारी राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजपीवीपी) द्वारा अपने ही कैंपस में संचालित किए जा रहे यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (यूआइटी) को नए छात्रों के संकट का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि इस संस्थान में प्रवेश के लिए कटऑफ रैंक में भारी गिरावट आयी है। इसकी वजह है निजि संस्थानों पर छात्रों और उनके अभिभावकों का अधिक भरोसा होना। दरअसल राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित इस संस्थान की कार्यप्रणाली और शिक्षा के स्तर पर आए दिन कोई न कोई सवाल खड़ा होता रहता है। इसी वजह से अब नए छात्रों का बीटेक में प्रवेश लेने को लेकर इससे मोहभंग होता जा रहा है। इसकी वजह से प्रवेश परीक्षा में अच्छी रैंक पाने वाले छात्र निजी संस्थानों में चले जाते हैं, जिसकी वजह से इस संस्थान को महज वे ही छात्र मिल पाते हैं जिनकी रैंक अच्छी नहीं होती है। यह हकीकत सामने आयी है तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा जेईई मेन 2021 की मेरिट के आधार पर पहले राउंड की काउंसलिंग में हुई सीट अलॉटमेंट के बाद। बीते सालों की ही तरह इस साल भी कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (सीएसइ) ब्रांच विद्यार्थियों की पहली पसंद है। कोरोना काल के कारण सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की मांग में वृद्धि हुई है। इसकी वजह से इस सत्र में सीएस ब्रांच में प्रवेश छात्रों की पहली पसंद बनी हुई है। यूआईटी में सीएसई के लिए जेईई मेन की कट ऑफ रैंक पिछले सत्र की अपेक्षा 10,849 गिरी है। इस बार की कट ऑफ रैंक 86,251 है। आरजीपीवी मध्यप्रदेश का एकमात्र विश्वविद्यालय है, जिसकी वजह से इसे अन्य इंस्टीट्यूट के लिए आदर्श होना चाहिए था, लेकिन हकीकत इससे अलग है। प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों की बात की जाए तो देवी अहिल्या विवि इंदौर के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में ही कट ऑफ रैंक यूआईटी-आरजीपीवी से अधिक है। इसकी सीएसई में कट ऑफ रैंक 38,006 है। इसी तरह से इंदौर के ही श्रीजीएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी व एमआईटीएस ग्वालियर की कट ऑफ रैंक भी इससे अधिक रही है।
यह हैं हालात: आरजीपीवी के यूआईटी में संचालित एक भी कोर्स नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। यह हाल तब है जबकि कई सालों से इसके लिए तैयारी की जा रही है। यह सब स्थानीय स्तर पर दिखावे तक ही सीमित है। इसकी वजह से ही भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा तय नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के तहत जारी रैंकिंग में स्थान नहीं मिल पा रहा है। दरअसल जेईई मेन के आधार पर राज्य स्तरीय काउंसलिंग होने के बाद भी जेईई में अच्छी रैंक पाने वाले विद्यार्थी प्रदेश के इंस्टीट्यूट में कम ही दाखिला लेते हैं।
यह भी हैं कुछ वजहें: बताया जाता है कि इसके पीछे कुछ वजहें हैं उनमें प्रमुख रूप से आरजीपीवी में लीडरशिप को न होना , जिसकी वजह से विवि की ओर से कोई जीवंत कार्य नहीं दिखता है। इस विव में बीते कई सालों से भर्ती नहीं हुई है , जिसकी वजह से मेधावी विद्यार्थियों को अकादमिक माहौल अच्छा नहीं मिल पता है। इस वजह से प्रोफेसर्स के अच्छे स्तर की भी कमी बनी हुई है। इसी तरह से एसजीएसआईटीएस में भी कॉन्ट्रैक्ट फैकल्टी से ही इंस्टीट्यूट चलाया जा रहा है।