
- आधी-अधूरी सड़क पर जरूरी सुविधाएं न के बराबर
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार ने हाल ही में कुछ टोल नाकों पर वाहन चालकों को राहत दी है, लेकिन सिर्फ वे टोल इस दायरे में आ रहे हैं, जो स्टेट हाइवे के हैं अथवा पहले ही बंद हो चुके हैं। बड़े और नेशनल हाइवे के ऐसे टोल नाके, जो रोड की लागत से ज्यादा वसूली कर चुके हैं, वहां कोई राहत नहीं मिल पाई है। स्थिति ये है कि एक मार्ग पर दो—तीन टोल बनाकर 300 रुपए तक लिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं अधूरी और खराब सड़क का भी टोल टेक्स लिया जा रहा है।
राजगढ़ जिले को जोड़ने वाले तीन फोरलेन और एक स्टेट हाइवे पर हर जगह वाहन चालकों को टोल चुकाना पड़ता है, जबकि नेता टोल बचा लेते हैं, अफसरों का टोल लगता नहीं है, पुलिस को राहत मिलती है। बस सीधा असर आमजन पर पड़ता है। भोपाल-देवास फोरलेन पर टोल प्लाजा वाले भरपूर वसूली कर चुके हैं। इतनी राशि आ चुकी है कि फोरलेन दो बार बन जाए। कुल मिलाकर निजी एजेंसियों को टोल वसूली का जिम्मा देकर एनएचएआइ ने उनका कमाई का माध्यम टोल को बना दिया है, जबकि सड़क पर जरूरी सुविधाएं न के बराबर हैं।
अधूरी सड़क पर भरपूर वसूली
भोपाल-ब्यावरा फोरलेन पर गुना-ब्यावरा फोरलेन पर गुना तक दो टोल फोरलेन पर पड़ते हैं, जिसमें 300 से अधिक का खर्च आने-जाने में होता है। इस प्रोजेक्ट में भी वसूली एजेंसी द्वारा की जा रही है। भोपाल तक दो टोल इस रोड पर पड़ते हैं, जिसमें आने-जाने में 250 रुपए से अधिक वाहन चालक के खर्च होते हैं। करीब दो साल से यह वसूली शुरू हुई है, लेकिन तय समय के बाद रोड हैंड ओवर नहीं हुआ। देवास-ब्यावरा फोरलेन पर करीब तीन साल पहले बने रोड का टोल 80 फीसदी निर्माण होने के दौरान ही वसूला जाने लगा। अब रोड सीसी होने के कारण कई जगह गड्ढे हो गए हैं, रोड की सूरत भी इतने कम समय में बिगड़ने लगी है।
वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था
प्रदेश में एमपीआरडीसी और एनएचएआई की करीब सात हजार किमी में टोल की सड़कों का जाल है, लेकिन इन सड़कों के वैकल्पिक मार्ग नहीं होने से मजबूरी में वाहन चालकों को टोल की सड़कों से गुजरना पड़ता है। पांच सौ किमी तक सफर करने के लिए लोगों को करीब पांच सौ रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक खर्च करना होते हैं। अगर किसी वाहन चालक के पास यह राशि देने की क्षमता नहीं है तो वह किसी अन्य मार्ग से होकर अपने गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच सकता है। क्योंकि सरकार ने इन सड़कों के सामानांतरण में कोई ऐसे कच्चे-पक्के अथवा एक लेन मार्ग नहीं बनाए हैं। भोपाल से इंदौर जाने तीन टोल पड़ते हैं। पहले टोल का विकल्प भोपाल से रातीबड़ होते हुए सीहोर में प्रवेश के लिए मार्ग है, लेकिन सीहोर के बाद दूसरा मार्ग नहीं है। दूसरा टोल सोनकच्छ , तीसरा देवास में है। भोपाल से नर्मदापुरम सीधे जाने के लिए मंडीदीप पर टोल पड़ता है। इससे बचने के लिए लोग भोजपुर से औबेदुल्लागंज का मार्ग चुनते हैं। इससे करीब 15 किमी अतिरिक्त का रास्ता तय करना पड़ता है। जैसे ट्रेन में सामान्य-विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था है, ऐसे ही आमजन के लिए बिना टोल की सड़कों की व्यवस्था होनी चाहिए।