
भोपाल/गौरव चौहान /बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में बिजली की दरों को वित्तीय वर्ष 2022-23 में 8.71 प्रतिशत बढ़ाने की नई याचिका पेश की गई है। मप्र नियामक आयोग द्वारा पुरानी याचिका लौटाने के बाद मप्र विद्युत वितरण कंपनियों की होल्डिंग कंपनी मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी ने पुरानी याचिका को नया बता कर पेश कर दिया है। इस याचिका में भी 3915 करोड़ रुपए की अतिरिक्त जरूरत की पूर्ति के लिए बिजली दरों में 8.71 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव पेश किया है। आयोग इस प्रस्ताव पर 8, 9 और 10 मार्च को जनसुनवाई करेगा। ऊर्जा विभाग ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए विद्युत दर में 34 पैसे/यूनिट, ऊर्जा प्रभार में 43 पैसे से लगाकर 71 पैसे/यूनिट और गैर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 19पैसे/प्रति यूनिट से लगाकर 44 पैसे/यूनिट की बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव दिया है। पिछले महीने जब ऊर्जा विभाग की ओर से प्रस्तावित टैरिफ प्लान मप्र विद्युत नियामक आयोग को भेजा गया था तो आयोग में मेंबर लॉ का पद खाली होने के कारण इस पर सुनवाई शुरू नहीं हो सकी थी। अब इस पद पर विधि विभाग के रिटायर्ड पीएस गोपाल श्रीवास्तव की नियुक्ति हो गई है।
बिना किसी फेरबदल के दायर कर दी नई याचिका
बिजली कंपनियों की ओर से पुरानी याचिका को ही नए सिरे से नियामक आयोग के समक्ष पेश की गई है। कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 48 हजार 874 करोड़ रुपये की जरूरत बताई है। जबकि आय 3915 करोड़ रुपए कम हो रही है। इसकी भरपाई के लिए कंपनी ने बिजली की दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। याचिका में वित्तीय वर्ष 2019-20 के राजस्व लक्ष्य में कंपनी को करीब दो हजार करोड़ रुपये की कम आय हुई। इसे भी कंपनी इस बार बिजली उपभोक्ताओं से वसूलने की तैयारी में है। यहीं नहीं बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 4981 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च होना दशार्या है। यह राशि अनुमान और वास्तविक खपत का अंतर है। इसे भी आम उपभोक्ताओं से वसूलने के लिए अलग से याचिका लगाई है।
अनाप-शनाप खर्च को बनाया है आधार
बिजली मामले के जानकार रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने बिजली दर बढ़ाने का विरोध किया है। उनका दावा है कि कंपनियों ने कागजों में बने बिजली घर के लिए 470 करोड़ रुपए, नान सोलर खरीदी के लिए 573 करोड़, बिजली हानि में बिना सुधार किए 378 करोड़ रुपए, कागजों में बनी वितरण योजना पर 109 करोड़, रेगुलेशन के तौर पर 461 करोड़, सब्सिडी पर 1300 करोड़ और खराब कर्ज पर 450 करोड़ रुपए और सोलर ऊर्जा पर 173 करोड़ बेजा खर्च दशार्या है। ये सारी योजनाएं अभी कागजों में है। पर उपभोक्ताओं पर इसका भार डाला जा रहा है। ये सारा जोड़ 3916 करोड़ रुपए होता है।
इस तरह बिजली की दर बढ़ाने की तैयारी
– कृषि में 10.61 प्रतिशत।
– घरेलू बिजली में 9.97 प्रतिशत।
– वाणिज्यिक में 4.44 प्रतिशत।
– निम्नदाब औद्योगिक में 5.11 प्रतिशत।
एक साल में इस तरह बढ़ाई बिजली की दर
– 17 दिसंबर 2020- 1.98 प्रतिशत
– 30 जून 2021- 0.63 प्रतिशत
– 01 जनवरी 2022- 3.29 प्रतिशत (एफसीए के रूप में)
– 01 अप्रैल 2022-23- 8.71 प्रतिशत (प्रस्तावित )