चीन की तर्ज पर अब प्रदेश में बिजली बनाने की तैयारी

बिजली बनाने की तैयारी
  • एक ही जगह बनेगी, पानी , हवा और सौर ऊर्जा से बिजली

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य हैं, जहां पर बिजली की स्थिति सरप्लस वाली है। यही वजह है कि दूसरे राज्यों को भी बड़ी मात्रा में बिजली की सप्लाई मप्र द्वारा की जाती है। ताप विद्युत के बाद मप्र में तेजी से सौर ऊर्जा से बिजली बन रही। अब प्रदेश सरकार इस क्षेत्र में नए प्रयोग करने जा रही है। यह प्रयोग विदेशों की तर्ज पर करने की तैयारी है, जिससे एक ही स्थान पर तीन तरह से बिजली बनाने का काम किया जाएगा। यानि की एक ही जगह पर पानी , कोयला के अलावा सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश में अब हाइब्रिड कॉबों पावर प्लांट लगाने की योजना है।   अभी तक सिर्फ एक ही कैटेगरी की बिजली का पावर प्लांट होता आया है, लेकिन प्रदेश में अब हाइब्रिड पावर प्रोजेक्ट लाने की तैयारी हो गई है। यानी सीधे तौर पर कहे तो हवा, पानी और सूरज से एक साथ बिजली बनाने का रास्ता खुलेगा। इसके चलते इस बार ग्लोबल इंवेस्टर समिट में भी सोलर के साथ हाइब्रिड पॉवर प्लांट पर निवेश आकर्षित किया जाएगा। परंपरागत बिजली उत्पादन से हटकर यह भविष्य की बिजली का रास्ता रहेगा।
यह होगा फायदा
हाइब्रिड प्रोजेक्ट मुख्य रूप से अक्षय ऊर्जा के रहते हैं। इसलिए इनसे कार्बन उत्सर्जन कम होता है और बिजली ज्यादा मिलती है। एक ही जगह दो पावर प्लांट होने से लागत कम होती है। इस पर खर्च भी कम होता है। ईंधन कम लगता है। यह प्लांट निजी निवेशकों द्वारा लगाए जाते हैं, जिससे एनर्जी के क्षेत्र में स्पर्धा बढ़ती है। इससे सस्ती बिजली मिलती है।  प्रदेश में अभी तक थर्मल, हाईडल, सोलर और विंड पावर प्लांट अलग स्थापित किए जाते हैं। लेकिन, अब इनमें से एक या दो कैटेगरी के पावर प्लांट एक  जगह पर लगाकर उत्पादन हो सकेगा। इसमें केवल सोलर, हाइडल व विंड प्रोजेक्ट हाइब्रिड होकर एक साथ भी लगाए जा सकेंगे। मसलन, पानी से बनने वाली बिजली की जगह पर ही सोलर पैनल के जरिए हाइडल व सोलर दोनों बिजली का प्रयोग हो सकेगा।
कई देशों में
काम कर रहे इस तरह के प्लांट
हाइब्रिड कॉबो पावर प्लांट विदेशों में सफल रहे हैं। इसमें चीन में सबसे अधिक काम हुआ है। इसके अलावा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका सहित कुछ देशों में हाइब्रिड सिस्टम है। वहीं भारत में साउथ में इस पर कुछ काम हुआ है। इसके अलावा स्ट्रीट लाइट्स में इस तरह के प्रयोग किए गए हैं। अब मध्यप्रदेश में इस पर काम हो रहा है।

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