
नए आवासों के कई तरह के शुल्क में होगी कटौती
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पुराने जर्जर बहुमंजिला आवासों में रहने वाले लोगों को अब सरकार बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। तैयार की जा रही योजना के मुताबिक जर्जर फ्लैटों को तोड़कर बनाए जाने वाले नए आवास न केवल बेहतर होंगे , बल्कि उनमें पहले से अधिक सुविधाएं भी मिल सकेंगी। इन्हें इस तरह से बनाने का प्रस्ताव है जिससे मकान मालिक को वगैर अतिरिक्त राशि का भुगतान किए बगैर अधिक गुणवत्तापूर्ण ज्यादा बिल्टअप क्षेत्र वाले मकान मिल सकें। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा नई रीडेंसिफिकेशन पॉलिसी लाने जा रही है। दरअसल पुराने जर्जर हो चुके फ्लेटों को तोड़कर उनकी जगह नए बनाने की सरकार की योजना है, जिससे संभावित दुर्घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके। इनका निर्माण निजी डेवलपरों के अलावा गृह निर्माण मंडल, विकास प्राधिकरणों की मदद से किया जाएगा।
इस नई नीति में इस तरह से प्रावधान किए जा रहे हैं जिससे की डेवलपरों को भी नुकसान न हो और रहवासियों को भी अधिक सुविधाजनक आवास मिल सकें। नई नीति में एलआईजी, ईडब्ल्यूएस मकानों के निर्माण और आश्रय शुल्क में भी छूट देने की तैयारी की जा रही है। गौरतलब है कि प्रदेश के सभी महानगरों में खासतौर पर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित सभी बड़े महानगरों में कई बहुमंजिला इमारतें कई दशक पुरानी हो चुकी है, जिसकी वजह से वे बेहद खराब हालात में पहुंच गई हैं। इनका निर्माण सरकारी एजेंसियों के अलावा सरकारी संस्थाओं द्वारा किया गया था। इनमें से कई तो इस हालत में पुहंच गई हैं कि वे रहने लायक ही नहीं बची हैं। इसकी वजह से नगरीय निकाय उन्हें जर्जर घोषित कर तोड़ने के निर्देश तक दे चुके हैं या फिर इस तरह का ओदश देने की तैयारी में है। इसकी वजह से ही अब सरकार जर्जर हो चुके फ्लैटों की जगह मजबूत, अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस आवास बनाने के लिए नई रिडेंसिफिकेशन पॉलिसी ला रही है। यह योजना उन आवास मालिकों के लिए बेहद मददगार मानी जा रही है जो अपनी जमा पूंजी से बहुमंजिला आवासों के फ्लैटों में लंबे समय से रह रहे हैं और अब वे पारिवारिक जरुरतों के चलते वे इन जर्जर मकानों के बदले नये मकान बनाने या उनकी मरम्मत के लिए राशि जुटाने में असमर्थ है। नई प्रावधानों के तहत बहुमंजिला भवनों में रहने वाले 51 फीसदी रहवासियों की सहमति से इस तरह के प्रोजेक्ट पर काम किया जाएगा। इसमें रहवासियों को मुफ्त में सुविधाजनक आवास बनाकर दिए जाएंगे। इसके तहत निर्माण होने तक डेवलपर दूसरे आवासों में रहने की सुविधा उपलब्ध कराएगा।
डेवलपरों को यह मिलेगीं सुविधाएं
जर्जर बहुमंजिला इमारतों को गिराकर उनके पुर्ननिर्माण के लिए नई रिडेंसिफिकेशन पॉलिसी में सरकार डेवलपरों को मौजूदा एफएआर को आधा प्रतिशत बढ़ाकर देने की तैयारी कर रही है। अभी बहुमंजिला इमारतों के लिए ग्राउंड कवरेज तीस प्रतिशत है, जिसमें वृद्धि कर उसे चालीस प्रतिशत करने का प्रावधान किया जा रहा है। इसी तरह से नये निर्माण में ईडब्ल्यूएस, एलआईजी बनाने पर आश्रय शुल्क से भी छूट देने की तैरूारी है। इसी तरह से मौजूदा आवासीय भवनों के कामर्शियल एरिया में भी ढाई फीसदी की वृद्वि करते हुए उसे पांच की जगह साढ़े सात प्रतिशत करने और ऐसे भवनों की रजिस्ट्री पर स्टाम्प ड्यूटी आधा प्रतिशत से कम कर उसे एक चौथाई करने की तैयारी है। इसी तरह से नये भवनों की रजिस्ट्री के लिए एग्रीमेंट करेक्शन डीड पर मात्र एक हजार रुपए ही लिए जाएंगे। सबसे बड़ा बदलाव इसमें लीज होल्ड जमीनों को सरकार बिना शुल्क लिए ही फ्री होल्ड भी करेगी। इसी तरह से डेवलपर अधिक एफएआर मिलने से अधिक निर्माण और ज्यादा जमीन का उपयोग कर सकेगा, जिससे उसे नुकसान की जगह फायदा अधिक होगा।
इस तरह से होगा काम
रहवासी समिति की सहमति से नगरीय प्रशासन विभाग प्रस्ताव तैयार कर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति के पास प्रस्ताव भेजेगी। उनकी सहमति के बाद सरकारी एजेंसी या निजी डेवलपरों को आमंत्रित कर उनके जरिए ये निर्माण कराए जाएंगे। यदि सरकारी एजेंसियां इस योजना में निर्माण करती है। तो उन्हें सुपरवीजन चार्ज इस योजना में मिलेगा। ये संस्थाएं ठेकेदारों की मदद से ही निर्माण कराएंगी।