भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है जहां पर विदेश से चीते लाकर उन्हें सफलता पूर्वक बसाया गया है। अब प्रदेश में विदेशी चीतों का कुनवा भी बढऩे लगा है। इस सफलता को देखते हुए अब प्रदेश के ही गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों को बसाने की तैयारी तेजी से की जा रहीहै। इस अभ्यारण में दक्षिण अफ्रीका या केन्या से से आधा दर्जन चीते लाकर बसाने की योजना है। चीतों को लाने से पहले अभ्यारण में उनके भोजन का समुचित प्रबंध करने की कवायद की जा रही है। यही वजह है कि दूसरी जगह से लाकर इस अभयारण्य में चीतल और हिरण छोड़े जा रहे हैं। दरअसल चीतों के मनपसंद भोजन में यही शामिल होते हैं। इस अभ्यारण में चीतों के उपयुक्त भोजन के लिए 1200 से अधिक चीतल और हिरणों को छोड़ा जाना है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से अठारह नर और 10 मादा चित्तीदार हिरण लाए गए और उन्हें गांधीसागर में बाड़ वाले क्षेत्र में छोड़ा गया। इसके साथ ही अब तक गांधीसागर में 434 चित्तीदार हिरण छोड़े जा चुके हैं। इनमें 20 नर और 314 मादा शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2022 में नामीबिया और साउथ अफ्रीका से 20 चीते भारत में लाए गए थे। जिन्हें मध्य प्रदेश के कूनो वन अभ्यारण्य में चीता प्रोजेक्ट के तहत रखा गया था। जैसा कि योजना थी भारत में चीता शावकों का जन्म भी हुआ, लेकिन इस बीच भारत में जन्में 6 चीता शावकों और 2 चीतों की मौत हो चुकी है, लेकिन अब भी भारत में चीतों की संख्या 24 है। गांधी सागर अभ्यारण को पिछले एक साल से तैयार किया जा रहा है। यहां चीतों के लिए 8 बड़े बाड़े बनकर तैयार हो चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक इस साल के अंत तक या नए साल की शुरुआत में गांधी सागर अभयारण्य में चीतों को लाया जा सकता है। गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के अनुकूल घास के बड़े मैदान हैं, पीने के पानी और शिकार की पर्याप्त व्यवस्था की जा चुकी है। गांधी सागर को अभी 6 चीतों के रखने के हिसाब से तैयार किया गया है। यहां 64 वर्ग किमी में 8 क्वारेंटाइन बाड़े बनाए गए हैं। इनमें से 6 में चीतों को रखा जाएगा, जबकि 2 बाड़े रिजर्व रहेंगे। गांधी सागर अभयारण्य की व्यवस्थाओं को देखने अफ्रीकी दल और केन्या का दल भी दौरा कर चुका है।
900 वर्ग किमी में बनेगा बफर जोन
केंद्र सरकार ने गांधी सागर अभ्यारण्य की सीमा के बाहर 3 किमी के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन बनाने का गजट नोटिफिकेशन हो चुका है। इधर, गांधी सागर अभ्यारण्य के आसपास मंदसौर, नीमच जिले के रिजर्व फॉरेस्ट के 900 वर्ग किमी को बफर जोन बनाने की तैयारी है। इससे गांधी सागर अभ्यारण्य में वन्य जीव को विचरण के लिए 1300 वर्ग किमी का दायरा मिल जाएगा। वन विभाग का मानना है कि भविष्य में चीतों और चीतल के स्वच्छंद विचरण के लिए गांधीसागर अभयारण्य का बड़ा होना जरूरी है। गौरतलब है कि गांधी सागर अभयारण्य वर्तमान में पूर्व दिशा में राजस्थान के कोटा जिले के रावतभाटा व भैंसरोडगढ़ सेंचुरी से मिलता है। उत्तर में नीमच जिले के साथ ही राजस्थान का चित्तौडगढ़ जिला है। गांधी सागर अभयारण्य में आ रहे चीतों व अन्य वन्य प्राणियों के लिए जगह कम होने से अब नीमच जिले के मनासा और रामपुरा रेंज के 750 वर्ग किमी तथा मंदसौर जिले की भानपुरा रेंज के 150 वर्ग किमी (कुल 900 वर्ग किमी) से अधिक के रिजर्व फॉरेस्ट को बफर जोन बनाया जा सकता है।
कहां से कितने जानवर होंगे शिफ्ट
चीतों को गांधीसागर अभ्यारण्य में छोड़ने से पहले उनके खाने की व्यवस्था की जा रही है। वन विभाग के अनुसार यहां 1000 चीतल और 400 काले हिरण छोड़े जाएंगे। 500 चीतल कान्हा, 250 वनविहार भोपाल, 250 नरसिंहगढ़ के चिडिख़ो अभ्यारण्य से लाए जाएंगे। 400 काले हिरण शाजापुर से लाकर छोड़े जाएंगे।
27/10/2024
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