बंद प्रोजेक्ट के लिए… करोड़ों की कंसल्टेंसी देने की तैयारी

कंसल्टेंसी फर्मों
  • कंसल्टेंसी फर्मों ने 15 प्रतिशत से लेकर 65 प्रतिशत तक पैसा मांगा

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र वाकई अजब है गजब है। यहां अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जो चर्चा का विषय बन जाते हैं। ताजा मामला प्रदेश में करीब आधा दर्जन फेल हो चुके प्रोजेक्ट में करोड़ों रूपए की कंसल्टेंसी फीस के भुगतान का है। दरअसल, सालों पहले बंद हो चुके कई प्रोजेक्ट में कंसल्टेंसी फर्मों ने 15 प्रतिशत से लेकर 65 प्रतिशत तक पैसा मांगा है। जिसका भुगतान करने की तैयारी चल रही है।
गौरतलब है कि दस साल पहले भोपाल के स्टड फार्म यानि ग्रीन मेडोस के पीछे की जमीन पर 35 मंत्रियों के लिए 115 करोड़ में नए बंगले बनने थे, लेकिन सरकार ने तब इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया, मगर उसकी कंसल्टेंसी में जो खर्च हुआ उसका पैसा अभी देने की तैयारी है। यह प्रोजेक्ट इकलौता नहीं, ऐसे छह काम हैं जिनकी कंसल्टेंसी दो करोड़ रुपए से अधिक में होनी थी, उसका पैसा अब पीडब्ल्यूडी के जरिए दिया जाएगा।
करोड़ों का करना है भुगतान
मंत्रालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जो प्रोजेक्ट बंद या फेल हो गए उनकी कंसल्टेंसी का करोड़ों रूपए भुगतान किया जाना है। बंद प्रोजेक्ट में मंत्रियों के लिए 35 नए बंगले बनाने का प्रपोजल भी शामिल है। प्रोजेक्ट दस साल पहले 115 करोड़ में 35 मंत्रियों के लिए नए बंगले ग्रीन मेडोस के पीछे की जमीन पर बनाए जाने का प्रोजेक्ट था। इस प्रोजेक्ट में कंसल्टेंसी क्लिम आर्ट प्रालि. नई दिल्ली को 52 लाख रुपए दी गई थी। प्रोजेक्ट गुना में 11 करोड़ से मल्टीपरपज स्टेडियम बनना था। कंसल्टेंसी भोपाल की मेहता एंड मेहता फर्म को 18 लाख रुपए में दी थी। शाजापुर में ट्रामा सेंटर का एक ब्लॉक 4.5 करोड़ में बनना था। कंसल्टेंसी सुमित गोथी एंड एसोसिएट्स भोपाल को 9 लाख रुपए में दी गई। भोपाल में स्टेट गेस्ट हाउस 34.76 करोड़ में बनना था। कंसल्टेंसी अरिनेम कंसल्टेंसी बननी थी। प्रा.लि. लखनऊ को 34 लाख में दी थी। अलीराजपुर में नई कंपोजिट कलेक्ट्रेट आॅफिस बिल्डिंग 34.67 करोड़ में बननी थी। कंसल्टेंसी मेहता एंड मेहता एसोसिएट्स भोपाल को 31 लाख में दी गई थी। वहीं ग्वालियर में कालीन पार्क बिल्डिंग 18.25 करोड़ में बननी थी। कंसल्टेंसी हैंडलूम विभाग ने खुद कंसल्टेंसी के लिए 33 लाख रखे। अब इनका भुगतान करने की तैयारी चल रही है।
समीक्षा बैठक में रखा गया प्रस्ताव
जानकारी के अनुसार मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने गत दिनों पीडब्ल्यूडी का रिव्यू किया, जिसमें कंसल्टेंसी फर्मों के भुगतान का प्रस्ताव दिया गया है। फर्मों ने 15 प्रतिशत से लेकर 65 प्रतिशत तक पैसा मांगा है। ये प्रोजेक्ट पीडब्ल्यूडी, खेल, स्वास्थ्य, सामान्य प्रशासन विभाग और हैंडलूम विभाग के थे। पीडब्ल्यूडी ने प्रस्तावित किया है कि कंसल्टेंसी फर्मों ने जो भी ड्राइंग, डिजाइन और डीपीआर तैयार की है, उसका उपयोग पीआईयू और विभाग भविष्य में करेगा। एप्को ने कंसलटेंट अपॉइंट किए थे।

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